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पूर्व सैनिक पिता के सपने को बेटे ने किया साकार, लेफ्टिनेंट के तौर पर लद्दाख में हुई पोस्टिंग

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Published : Jun 13, 2021, 4:08 PM IST

भारतीय सेना से हवलदार के रुप में रिटायर हुए रमेश कुमार के बेटे पुष्पेंद्र कुमार की लेफ्टिनेंट के पद पर लद्दाख में पोस्टिंग हुई है. इस उपलब्धि से परिवार में खुशी का माहौल है. पिता का सपना खुद लेफ्टिनेंट बनने का था, जिसे अब बेटे ने पूरा किया है.

Son made the dream of ex-serviceman father come true
पूर्व सैनिक पिता के सपने को बेटे ने किया साकार

सागर। मैकेनिकल ब्रांच में सैनिक के तौर पर भर्ती होकर हवलदार पद से रिटायर होने वाले सागर के रमेश कुमार सुड़ेले फिलहाल पुलिस में आरक्षक के पद पर पदस्थ हैं. उनका सपना था कि वह सेना में अफसर बनें, वो अपना सपना तो साकार नहीं कर पाए, लेकिन उनके बेटे पुष्पेंद्र सुड़ेले ने देहरादून में पासिंग आउट परेड के बाद लेफ्टिनेंट पद पर लेह लद्दाख में नियुक्ति पाई है.

पूर्व सैनिक पिता के सपने को बेटे ने किया साकार

कभी खुद सेना में अफसर बनने का सपना देखने वाले पूर्व सैनिक रमेश कुमार सुड़ेले का सिर आज गर्व से ऊंचा हो गया है. साधारण रहन-सहन और मध्यम वर्गीय परिवार के बेटे की इस कामयाबी पर परिवार के लोग फूले नहीं समा रहे है. हालांकि पुष्पेंद्र के पिता का सपना था कि आज वो अपने बेटे की कामयाबी पर पासिंग आउट परेड में शामिल हों और परेड के बाद बेटे के कंधों पर सितारों को सजाएं, लेकिन कोरोना महामारी के चलते देहरादून में होने वाली इस पासिंग आउट परेड में परिजनों को नहीं बुलाया गया था. सागर में अपनी बेटे की कामयाबी पर खुशियां मना रहे रमेश कुमार सुड़ेले और उनकी पत्नी को इंतजार है कि जल्दी बेटे की पोस्टिंग के बाद वह लद्दाख पहुंचें और एक लेफ्टिनेंट के रूप में बेटे को देखें.

बचपन से सेना में अफसर बनने का जुनून

पुष्पेंद्र के पिता भले ही सेना की मैकेनिकल ब्रांच में सिपाही के तौर पर पदस्थ थे, लेकिन उनका सपना था कि वह कभी अफसर बने. अपने पिता के जुनून और सेना के प्रति समर्पण को देखते हुए पुष्पेंद्र और उनके बड़े भाई नीलेश ने जमकर मेहनत की और छठवीं कक्षा से मिलिट्री स्कूल में भर्ती हो गए. 26 जून 2017 को पुष्पेंद्र का एनडीए में सिलेक्शन हो गया और पुणे के खड़कवासला में उन्होंने ट्रेनिंग शुरू कर दी. 3 साल के ग्रेजुएशन के बाद 30 मई 2020 को पुणे से इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून पहुंचे, उन्होंने अपनी एक साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद लेफ्टिनेंट के पद पर नॉर्दर्न कमांड में लेह लद्दाख में पोस्टिंग हासिल की है.

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माता पिता के लिए पहले तैयार कराए कपड़े

साल 2017 में जब पुष्पेंद्र का एनडीए में सिलेक्शन हुआ तो परिजनों को बस 12 जून 2021 का इंतजार था कि कब बच्चे की पासिंग आउट परेड हो और परिवार के लोग उसमें शामिल हो सकें. इसके लिए पुष्पेंद्र ने भी अपने माता-पिता के लिए खुद कपड़े खरीदे थे और उनसे कहा था कि पासिंग आउट परेड में यही कपड़े पहन कर आना है. पुष्पेंद्र के पिता का सपना था कि जब बेटे की पासिंग आउट परेड होगी, तो बेटे के कंधों पर उन्हें सितारे सजाने का मौका मिलेगा, लेकिन कोरोना महामारी के चलते IMA की पासिंग आउट परेड में इस बार परिजनों को नहीं बुलाया गया. पुष्पेंद्र ने पोस्टिंग के बाद माता-पिता को लेह लद्दाख घुमाने का वादा किया है.

मां की आंखों में खुशी के आंसू

पुष्पेंद्र की मां प्रभा सुड़ेले कहती हैं कि आज मेरे जीवन भर की तपस्या पूरी हो गई. हम लोग एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से है. आज हमारे बेटे ने सेना में अफसर बनकर देश की सेवा के लिए काम करने का रास्ता चुना है. वह कहती हैं कि इस बात का तो दुख है कि वह पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं हो पाईं. लेकिन उनके बेटे ने वादा किया है कि लेह लद्दाख में पोस्टिंग के बाद माता-पिता को बुलाएंगे और लेह लद्दाख घुमाएंगे. पुष्पेंद्र की मां की आंखें अपनी बेटे की कामयाबी के चलते खुशी के आंसुओं से सराबोर हैं.

भाई ने कर दिया मेरा सपना साकार

पुष्पेंद्र सुड़ेले के बड़े भाई नीलेश सुड़ेले बताते हैं कि हम दोनों भाई एक साथ मिलिट्री स्कूल में पढ़े है. 12वीं के बाद मैंने भी एनडीए का एग्जाम क्लियर कर लिया था, लेकिन मेरा SSB में सिलेक्शन नहीं हो पाया और मेरा सपना अधूरा रह गया, लेकिन मेरे भाई ने लेफ्टिनेंट बनकर मेरा भी सपना पूरा कर दिया है.

सागर। मैकेनिकल ब्रांच में सैनिक के तौर पर भर्ती होकर हवलदार पद से रिटायर होने वाले सागर के रमेश कुमार सुड़ेले फिलहाल पुलिस में आरक्षक के पद पर पदस्थ हैं. उनका सपना था कि वह सेना में अफसर बनें, वो अपना सपना तो साकार नहीं कर पाए, लेकिन उनके बेटे पुष्पेंद्र सुड़ेले ने देहरादून में पासिंग आउट परेड के बाद लेफ्टिनेंट पद पर लेह लद्दाख में नियुक्ति पाई है.

पूर्व सैनिक पिता के सपने को बेटे ने किया साकार

कभी खुद सेना में अफसर बनने का सपना देखने वाले पूर्व सैनिक रमेश कुमार सुड़ेले का सिर आज गर्व से ऊंचा हो गया है. साधारण रहन-सहन और मध्यम वर्गीय परिवार के बेटे की इस कामयाबी पर परिवार के लोग फूले नहीं समा रहे है. हालांकि पुष्पेंद्र के पिता का सपना था कि आज वो अपने बेटे की कामयाबी पर पासिंग आउट परेड में शामिल हों और परेड के बाद बेटे के कंधों पर सितारों को सजाएं, लेकिन कोरोना महामारी के चलते देहरादून में होने वाली इस पासिंग आउट परेड में परिजनों को नहीं बुलाया गया था. सागर में अपनी बेटे की कामयाबी पर खुशियां मना रहे रमेश कुमार सुड़ेले और उनकी पत्नी को इंतजार है कि जल्दी बेटे की पोस्टिंग के बाद वह लद्दाख पहुंचें और एक लेफ्टिनेंट के रूप में बेटे को देखें.

बचपन से सेना में अफसर बनने का जुनून

पुष्पेंद्र के पिता भले ही सेना की मैकेनिकल ब्रांच में सिपाही के तौर पर पदस्थ थे, लेकिन उनका सपना था कि वह कभी अफसर बने. अपने पिता के जुनून और सेना के प्रति समर्पण को देखते हुए पुष्पेंद्र और उनके बड़े भाई नीलेश ने जमकर मेहनत की और छठवीं कक्षा से मिलिट्री स्कूल में भर्ती हो गए. 26 जून 2017 को पुष्पेंद्र का एनडीए में सिलेक्शन हो गया और पुणे के खड़कवासला में उन्होंने ट्रेनिंग शुरू कर दी. 3 साल के ग्रेजुएशन के बाद 30 मई 2020 को पुणे से इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून पहुंचे, उन्होंने अपनी एक साल की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद लेफ्टिनेंट के पद पर नॉर्दर्न कमांड में लेह लद्दाख में पोस्टिंग हासिल की है.

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माता पिता के लिए पहले तैयार कराए कपड़े

साल 2017 में जब पुष्पेंद्र का एनडीए में सिलेक्शन हुआ तो परिजनों को बस 12 जून 2021 का इंतजार था कि कब बच्चे की पासिंग आउट परेड हो और परिवार के लोग उसमें शामिल हो सकें. इसके लिए पुष्पेंद्र ने भी अपने माता-पिता के लिए खुद कपड़े खरीदे थे और उनसे कहा था कि पासिंग आउट परेड में यही कपड़े पहन कर आना है. पुष्पेंद्र के पिता का सपना था कि जब बेटे की पासिंग आउट परेड होगी, तो बेटे के कंधों पर उन्हें सितारे सजाने का मौका मिलेगा, लेकिन कोरोना महामारी के चलते IMA की पासिंग आउट परेड में इस बार परिजनों को नहीं बुलाया गया. पुष्पेंद्र ने पोस्टिंग के बाद माता-पिता को लेह लद्दाख घुमाने का वादा किया है.

मां की आंखों में खुशी के आंसू

पुष्पेंद्र की मां प्रभा सुड़ेले कहती हैं कि आज मेरे जीवन भर की तपस्या पूरी हो गई. हम लोग एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से है. आज हमारे बेटे ने सेना में अफसर बनकर देश की सेवा के लिए काम करने का रास्ता चुना है. वह कहती हैं कि इस बात का तो दुख है कि वह पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं हो पाईं. लेकिन उनके बेटे ने वादा किया है कि लेह लद्दाख में पोस्टिंग के बाद माता-पिता को बुलाएंगे और लेह लद्दाख घुमाएंगे. पुष्पेंद्र की मां की आंखें अपनी बेटे की कामयाबी के चलते खुशी के आंसुओं से सराबोर हैं.

भाई ने कर दिया मेरा सपना साकार

पुष्पेंद्र सुड़ेले के बड़े भाई नीलेश सुड़ेले बताते हैं कि हम दोनों भाई एक साथ मिलिट्री स्कूल में पढ़े है. 12वीं के बाद मैंने भी एनडीए का एग्जाम क्लियर कर लिया था, लेकिन मेरा SSB में सिलेक्शन नहीं हो पाया और मेरा सपना अधूरा रह गया, लेकिन मेरे भाई ने लेफ्टिनेंट बनकर मेरा भी सपना पूरा कर दिया है.

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