सागर। वैसे तो बुंदेलखंड में देवों के देव महादेव के कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर मौजूद है. इसी तरह बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर में भूतेश्वर मंदिर स्थित है, जो काफी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है. कहा जाता है कि सागर जिले का इकलौता दक्षिण मुखी शिवलिंग भूतेश्वर महादेव का शिवलिंग है. आमतौर पर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है और सावन के महीने में तो दूर-दूर से बाबा भोलेनाथ के भक्त भूतेश्वर मंदिर के दर्शन करने पहुंचते हैं. अब प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर को नया स्वरूप दिया जा रहा है और मंदिर का सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर जीर्णोद्धार किया जा रहा है.
जीर्णोद्धार की खास बात ये है कि इस मंदिर का निर्माण उन्ही कारीगरों के वंशज कर रहे हैं, जिन्होंने सोमनाथ मंदिर का निर्माण किया था लेकिन भगवान शिव के भक्तों को अभी एक डेढ़ साल इंतजार करना होगा, क्योकिं ये मंदिर उन्ही पत्थरों से बनाया जा रहा है, जिन पत्थरों से अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है और राममंदिर के निर्माण के चलते यहां पत्थरों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
करीब 4 सौ साल पुराना है भूतेश्वर मंदिर: श्री भूतेश्वर देवस्थानम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र पाठक का कहना है कि भूतेश्वर मंदिर शहर का एकमात्र दक्षिणमुखी शिवलिंग स्थित है. करीब साढे़ पांच एकड़ के परिसर में फैला मंदिर करीब 400 साल पुराना है. भूतेश्वर मंदिर के बारे में किवदंती है कि जहां आज मंदिर स्थित है, वहां पहले बहुत विशाल बाजार लगा करता था. जहां एक व्यापारी व्यापार करने आता था. व्यापारी को सपने में भगवान शिव ने दर्शन दिए और परिसर में एक जगह खुदाई करने कहा. व्यापारी ने जब सपने में बताए स्थान पर खुदाई की, तो वहां शिवलिंग निकला और शिवलिंग को विधि-विधान से स्थापित किया गया फिर मंदिर बनवाया.
मंदिर में इतनी ही पुरानी संत परमहंस मस्तराम की समाधि है. मंदिर में शिव भगवान का शिवलिंग गर्भ ग्रह में स्थापित है. शिवलिंग के अलावा मंदिर में अन्नपूर्णा देवी, हरसिद्धि माता, राम लक्ष्मण और सीता का मंदिर भी बनाया गया हैं. भूतेश्वर मंदिर में सावन सोमवार को भगवान शिव के दर्शन करने भारी संख्या में भक्तगण पहुंचते है. विशेष तौर पर सावन के महीने में भक्तों के लिए भूतेश्वर भगवान का गर्भ गृह 18 घंटे खुला है रहता है.
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सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर भूतेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण: मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ वीरेन्द्र पाठक बताते हैं कि मंदिर का पुनर्निर्माण करीब पांच करोड़ की लागत से सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर किया जा रहा है. खास बात ये है कि सोमनाथ मंदिर में लगे जयपुर के लाल पत्थर भूतेश्वर मंदिर में लगाए जा रहे हैं और जो कारीगर है, वो भी उन कारीगरों के वंशज है, जिन्होंने सोमनाथ मंदिर का निर्माण किया था. सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर भूतेश्वर मंदिर के पुनर्निर्माण से मंदिर का परिसर 5 गुना तक बढ़ जाएगा. करीब 5500 वर्ग फीट में नए मंदिर का निर्माण किया जा रहा है. मंदिर की ऊंचाई 51 फीट होगी, तो लंबाई और चौड़ाई 101×51 फीट की रहेगी, मदिर का गर्भगृह 20×20 का बनाया जाएगा. मंदिर के निर्माण के बाद एक बार में करीब 15 सौ श्रृद्धालु दर्शन कर सकेंगे.
राममंदिर की वजह से निर्माण में देरी: ट्रस्ट के अध्यक्ष वीरेन्द्र पाठक बताते हैं कि मंदिर के निर्माण की गति थोड़ी धीमी हो गयी है. दरअसल मंदिर निर्माण में हम जयपुर से लाल पत्थर ला रहे हैं. जयपुर से ही अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए लाल पत्थर जा रहा है और राम मंदिर के लोकार्पण की तिथि तय होने के कारण मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है. इस वजह से हमारे यहां पत्थरों की पूर्ति पर असर पड़ा है, हालांकि फिलहाल हमारे पास पत्थर है, लेकिन कम आपूर्ति के कारण निर्माण कार्य की गति धीमी हुई है हमारा अंदाजा है कि अब मंदिर निर्माण में करीब डेढ़ साल का वक्त लग जाएगा.