सागर। पिछले दिनों 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एमपी में नगरीय निकाय और पंचायत से चुनाव को लेकर बड़ा फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने जहां बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं. वहीं 15 दिन के भीतर चुनाव प्रक्रिया शुरू कराने के निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एमपी सरकार ने 12 मई को एप्लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन सुप्रीम कोर्ट में पेश की है और सरकार का कहना है कि ये ओबीसी आरक्षण को लेकर पेश की गई है. इसी मामले में याचिकाकर्ता जया ठाकुर का कहना है कि सरकार ओबीसी वर्ग के साथ छलावा कर रही है. सरकार ने जो एप्लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन लगाई है, वो परिसीमन को लेकर लगाई है, नकि ओबीसी आरक्षण को लेकर.
क्या है मामला : मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश थे कि जो भी राज्य नए सिरे से ओबीसी आरक्षण तय करना चाह रहा है, वह ट्रिपल टेक्स्ट पूरे करे. जिसमें संवैधानिक आधार पर ओबीसी आयोग का गठन, ओबीसी की जातिगत जनगणना और आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा ना हो, ये तय किया गया था. लेकिन एमपी सरकार ने ट्रिपल टेक्स्ट पूरे नहीं किए और आखिरकार 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव कराने के निर्देश दे दिए. जब मप्र सरकार को चारों तरफ आलोचना सहनी पड़ी और किरकिरी हुई तो आनन-फानन में मप सरकार ने 12 मई की रात 10 बजे सुप्रीम कोर्ट में एप्लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन पेश की.
मीडिया को सही जानकारी क्यों देती सरकार : सरकार मीडिया और हर जगह बता रही है कि ये एप्लीकेशन आरक्षण को लेकर लगाई गई है, जबकि याचिकाकर्ता का कहना है कि एप्लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन में ऐसा कुछ नहीं है और ये एप्लीकेशन परिसीमन को लेकर पेश की गई है, ना कि आरक्षण को लेकर पेश की गई है. याचिकाकर्ता जाया ठाकुर का कहना है कि मप्र सरकार ने जो एप्लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन लगाई है, उसमें सुप्रीम कोर्ट से पहला निवेदन ये रखा गया है कि 10 मई को जो परिसीमन की रिपोर्ट रखी गई है. उसके साथ ही चुनाव कराने की अनुमति दी जाए. जबकि मीडिया और हर जगह सरकार ये बता रही है कि उसने आरक्षण के लिए एप्लीकेशन ऑफ मॉडिफिकेशन लगाई है. (Questions raised on application of modification) (Petition regarding delimitation in SC)