सागर। शाहगढ़ तहसील के अदावन गांव के सगे भाई-बहन ने एमपीपीएससी परीक्षा में कमाल कर दिखाया है. ग्रामीण परिवेश में पले बढे़ समीक्षा और सिद्धार्थ ने बिना किसी कोचिंग के सेल्फ स्टडी के दम पर ये मुकाम हासिल किया है. समीक्षा ने नवोदय विद्यालय खुरई से इंटर की परीक्षा पास की और फिर सागर यूनिवर्सिटी में फार्मेसी की शिक्षा ग्रहण की. उन्होंने बताया कि फार्मेसी की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने डिप्टी कलेक्टर बनने का लक्ष्य बना लिया था. इसके लिए उन्होंने दिन रात कड़ी मेहनत की. उन्हें भरोसा था कि वो एमपीपीएससी में सफलता हासिल करेगी.
हम दोनों एक साथ करते थे तैयारीः समीक्षा ने बताया कि हम दोनों भाई-बहन एक साथ तैयारी करते थे. हम लोगों ने तय किया था कि बिना किसी कोचिंग के सेल्फ स्टडी के दम पर एमपीपीएससी में सफलता पाएंगे. एमपीपीएससी की तैयारी के समय दोनों एक-दूसरे की मदद करते थे. वहीं जिला शिक्षा अधिकारी पद पर चयनित हुए सिद्धार्थ ने बताया कि अगर एकाग्र होकर तैयारी की जाए तो निश्चित तौर सफलता मिलती है.
गांव और घर में खुशी का माहौलः डिप्टी कलेक्टर बनी बहन समीक्षा और जिला शिक्षा अधिकारी बने भाई सिद्धार्थ दोनों अपनी उपलब्धि पर बेहद खुश हैं. पूरे अदावन गांव में जश्न का माहौल है. समीक्षा और सिद्धार्थ के लिए बधाई देने वालों का देर रात तक तांता लगा रहा. ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े समीक्षा और सिद्धार्थ ने वैसे तो नागपुर, जबलपुर और इंदौर में पढ़ाई की, लेकिन एमपीपीएससी के लिए बगैर किसी कोचिंग के सेल्फ स्टडी के जरिए मुकाम हासिल किया.
बालिका शिक्षा के लिए काम करेंगे: एमपीपीएससी में 15वीं रैंक हासिल कर डिप्टी कलेक्टर बनी समीक्षा जैन कहती है कि वह बुंदेलखंड इलाके की लड़कियों के लिए एक उदाहरण पेश करना चाहती हैं कि बेटियां पढ़ाई करें और एक अच्छा मुकाम हासिल करें, आज उनका लक्ष्य पूरा हुआ है. उन्होने बताया कि बतौर डिप्टी कलेक्टर उनका लक्ष्य होगा कि सरकारी योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन हो और विशेषकर बालिका शिक्षा के लिए वह काम करेंगी. वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी पद पर चयनित हुए सिद्धार्थ जैन का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी पद पर चयनित होने के बाद वे सरकार की सब पढ़े-सब बढे़ योजना और शिक्षा से जुड़ी दूसरी योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन कराएंगे. गरीब तबके के बच्चों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाकर सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें पढ़ाई में कोई बाधा नहीं हो.
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बच्चों की सफलता पर खुश हैं माता-पिताः समीक्षा और सिद्धार्थ की माता-पिता शाहगढ़ में रहते हैं और पिता एक कपड़े की दुकान चलाते हैं. अपने बच्चों की सफलता पर उन्होंने कहा कि आज मेरा सपना पूरा हो गया. मैंने अपने बच्चों को लेकर जो सपना देखा था, वो अब जाकर पूरा हुआ है. वहीं, मां अनिता जैन कहती हैं कि उनकी दो बेटियां हैं और एक बेटा है. उन्होंने बेटी और बेटे में कभी कोई फर्क नहीं किया और लगातार पढ़ाई के लिए प्रेरित किया, जिसका परिणाम ये है कि दोनों बच्चों ने गांव, तहसील और जिले का नाम रोशन किया है.