सागर। मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा अभ्यारण्य नौरादेही अभ्यारण्य बाघों के नए बसेरे के साथ-साथ अब प्रवासी पक्षियों की नई प्रजातियों के लिए मशहूर हो रहा है. नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य वन विभाग मध्य प्रदेश ने ओरिएंटल ट्रेल्स के सहयोग से चौथा पक्षी एवं प्रथम जैव विविधता सर्वेक्षण रविवार को संपन्न हुआ. इस सर्वेक्षण में देश के छह राज्यों के वानिकी संस्थानों के छात्रों और वन विशेषज्ञों के अलावा 22 बर्ड वाचर्स टीम ने हिस्सा लिया. एक हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्रफल में फैले नौरादेही अभ्यारण में इस सर्वेक्षण में कई नए प्रवासी पक्षी सामने आए हैं.
मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा अभ्यारण्य: नौरादेही अभ्यारण्य मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा वन्यजीव अभ्यारण्य है. इसका क्षेत्रफल 1197 वर्ग किलोमीटर है. यह प्रदेश के तीन जिलों सागर, दमोह और नरसिंहपुर में फैला है. इसका आकार त्रिभुज की तरह है. नौरादेही अभ्यारण्य में बाघों की संख्या बढ़ने से अब प्रदेश में उभरता हुआ अभ्यारण्य है. अभ्यारण्य में 12 बाघों के साथ-साथ भेड़िया, तेंदुआ, भालू तथा अनेक शाकाहारी वन्यप्राणी हैं. यहां अनेक प्रवासी पक्षी भी आते रहते हैं. वन्यप्राणियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है. जिससे पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है.यहां अन्य राज्यों से भी पर्यटक अभ्यारण्य के अद्भुत नजारों का अनुभव करने के लिए आते हैं. नौरादेही अभ्यारण्य को बाघों के संरक्षण के लिए संभावनाओं से परिपूर्ण स्थल के रूप में चिंहित किया गया है.
छात्रों ने लिया सर्वेक्षण में हिस्सा: इस सर्वेक्षण में प्रवासी पक्षियों की नई प्रजातियां नौरादेही वन्य जीव अभ्यारण्य में देखने को मिली. 4 दिनों के सर्वेक्षण के लिए विभाग ने जंगल के भीतर 11 कैंप स्थानों का चयन किया था, जिसमें प्रत्येक स्थान पर 4 ट्रेल्स थे, जिसमें प्रत्येक स्थान पर 2 प्रतिभागी शामिल थे. इस सर्वेक्षण में शामिल होने के लिए भारत के 6 अलग-अलग राज्यों से वानिकी छात्रों और प्रकृति विशेषज्ञों सहित 22 बर्ड वाचर्स की टीम आई थी. गहन सर्वेक्षण अभ्यारण्य के एसडीओ सेवाराम मलिक और जगत जीत फ्लोरा से प्राप्त मार्गदर्शन और सलाह और वन कर्मचारियों की अथक मेहनत,समर्थन और अनुभव के चलते बिना किसी बाधा के संपन्न हो सका.
जैवविविधता के संरक्षकों ने किया मार्गदर्शन: ओरिएंटल ट्रेल्स के संस्थापक अमित शांकल्या एक जाने माने पक्षियों के जानकार और स्वयं वनो की जैव विविधता के संरक्षणवादी हैं. विशेष तौर पर पक्षियों के संरक्षण के लिए जाने जाते हैं. वे किसी भी क्षेत्र की जैव विविधता को संतुलित करने में पक्षियों के महत्व पर प्रकाश डालते हैं. नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य एक समृद्ध जंगल के रूप में परिभाषित करता है, जो पक्षियों की 250 से अधिक प्रजातियों को शरण देता है. प्रतिभागियों ने पगडंडियों पर न केवल एवियन प्रजातियों को कवर किया, बल्कि उन्होंने जंगल के वनस्पतियों और जीवों का अवलोकन और दस्तावेजीकरण भी किया.
वन विभाग की नीति बनाने में मिलेगी मदद: नौरादेही अभयारण्य डीएफओ डीएस डोडवे ने उन्होंने वनों के संरक्षण और प्रबंधन पर जोर देते हुए बताया कि कैसे जीवन में सब कुछ एक दूसरे पर निर्भर है. आज के समय में वनों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है. इस तरह के सर्वेक्षण स्थानीय जैव विविधता की बहाली और संरक्षण के भविष्य के विषयों पर ध्यान देंगे. सर्वेक्षण के दौरान एकत्र किए गए डेटा से वन विभाग को बेहतर वन नीतियों के निर्माण में मदद मिलेगी, जिसका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हुए स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा करना है.
नौरादेही अभ्यारण से विस्थापित परिवारों के लिए समनापुर में बनेगी नई कॉलोनी, जानिए इसकी विशेषता
पहली बार नजर आई पक्षियों की ये प्रजातियां: नौरादेही अभ्यारण्य के एसडीओ सेवाराम मलिक ने बताया कि, सर्वेक्षण पूरा हो गया है और करीब 180 पक्षियों की प्रजाति इस सर्वेक्षण में सामने आई हैं. हालांकि अभी पूरी तरह से सर्वेक्षण के तथ्य सामने नहीं आए हैं और करीब 2 हफ्ते बाद पूरी रिपोर्ट सामने आ पाएगी, लेकिन इस सर्वेक्षण में कुछ नए पक्षी पहली बार देखने को मिले हैं. जिनकी सूची तैयार की जा रही है. 2 हफ्ते बाद इस सर्वेक्षण की पूरी रिपोर्ट आने पर नौरादेही अभ्यारण्य में आने वाले प्रवासी पक्षियों की जानकारी सामने आ सकेगी. सर्वेक्षण के दौरान प्रमुख प्रजातियों के निष्कर्ष इस तरह हैं.