सागर। सत्ता के मद में चूर भाजपा नेता के भाई ने ऐसी करतूत को अंजाम दिया है कि अब पुलिस महकमा परेशान है. दरअसल, भाजपा नेता राजकुमार सिंह बरकोटी के भाई चंद्रहास सिंह ने एक एएसआई को अगवा कर गांव ले जाकर उसके साथ मारपीट की है. घटना की वजह सिर्फ इतनी है कि आरोपी भाजपा नेता का भाई अपनी गाड़ी में पुलिस का सायरन बजा रहा था. जब पुलिस ने उसे ऐसा करने से रोका तो उसने एसआई को जबरन अपनी गाड़ी में बिठा लिया और अपने गांव बरकोटी ले गया और उसके साथ मारपीट की.
पुलिस ने पीछाकर एएसआई को छुड़ाया : घटना की सूचना मिलने पर पुलिस टीम ने पीछा किया और एसआई को छुड़ाया. आरोपी के खिलाफ पुलिस ने अपहरण, शासकीय कार्य में बाधा और मारपीट का मामला दर्ज किया है. आरोपी फिलहाल फरार है और पुलिस की टीम जिलेभर में उसकी तलाश कर रही है. गौरझामर थाना से मिली जानकारी के अनुसार 10 जनवरी की रात करीब 8 बजे हल्लू उर्फ चंद्रहास सिंह दांगी, जोकि भाजपा नेता राजकुमार सिंह बरकोटी का भाई है. वह गौरझामर थाने में अपनी गाड़ी एमपी 15 सीबी 1044 लेकर आया था. थाने से जाने के बाद वह इलाके में अपनी गाड़ी में लगा पुलिस सायरन बजाते हुए घूम रहा था.
एएसआई का मेडिकल कराया : सायरन बजाने की जानकारी पुलिस को मिली तो टीम मौके पर पहुंची और गाड़ी को रोककर चंद्रहास सिंह से थाने चलने के लिए बोला. लेकिन उसने एएसआई राम लाल अहिरवार को जबरन अपनी गाड़ी में बिठा लिया और भाग गया. घटना की सूचना पुलिस को मिली तो टीम ने तत्काल उसका पीछा करना शुरू किया. पुलिस को आरोपी के गांव बरकोटी एएसआई को ले जाने की सूचना मिली. पुलिस की पीछा करने की सूचना मिलते ही आरोपी ने एएसआई के साथ मारपीट कर उसे गाड़ी से उतार दिया. पुलिस की टीम पीड़ित एएसआई को अपने साथ थाने लेकर आई और मेडिकल कराया गया.
आरोपी की तलाश में पुलिस : गौरझामर थाना प्रभारी ब्रज लाल कुशवाहा ने बताया है कि घटना के संबंध में एएसआई राम लाल अहिरवार द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई है. आरोपी चंद्रहास सिंह के खिलाफ अपहरण, मारपीट और एससी एसटी एक्ट के अलावा कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. फिलहाल आरोपी चंद्रहासिनी फरार है और उसकी गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग टीमें भेजी गई हैं. बता दें कि राजकुमार सिंह बरकोटी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और जिला भाजपा के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. इसके अलावा सागर जिला पंचायत के सदस्य भी रहे हैं. राजकुमार सिंह बरकोटी की बरकोटी बस सर्विस के नाम से बसें भी संचालित होती हैं.