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बनना चाहते थे CM, मंत्री भी न बन पाये, अब कहते हैं- "9 बार का विधायक सीएम के बराबर"

Bhargava Desperation: किसी न किसी बहाने झलक जाता है 9 बार के विधायक गोपाल भार्गव का दर्द. वो बनना तो चाहते थे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, लेकिन अब मंत्री भी नहीं बन पाये.

Gopal Bhargava MLA Rehli
गोपाल भार्गव विधायक रहली
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 2, 2024, 6:06 PM IST

सीएम बनना चाहते थे गोपाल भार्गव

सागर। बुंदेलखंड के अजेय योद्धा और लगातार 9 बार चुनाव जीतकर मध्य प्रदेश की विधानसभा में पहुंचने वाले गोपाल भार्गव का दर्द किसी ना किसी बहाने झलक आता है. दरअसल, गोपाल भार्गव जहां मुख्यमंत्री पद का दावा ठोक रहे थे, वहीं मुख्यमंत्री पद को लेकर निराशा के बाद उम्मीद थी कि सबसे वरिष्ठ और लगातार 9 चुनाव जीतने के कारण मोहन यादव मंत्रीमंडल में तो जगह मिल ही जाएगी, लेकिन मंत्री पद भी हासिल नहीं हुआ. अब किसी ना किसी बहाने गोपाल भार्गव का दर्द सार्वजनिक तौर पर झलक जाता है. ताजा बयान उनका रहली पहुंची विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान सामने आया है, जहां उन्होंने कहा कि उनका विधानसभा क्षेत्र विकास के मामले में पीछे नहीं रहेगा. मंत्री पद नहीं रहा तो कोई बात नहीं, 9 बार का विधायक मुख्यमंत्री के बराबर होता है.

विकसित भारत संकल्प यात्रा में झलका दर्द : दरअसल, इन दिनों पूरे देश में विकसित भारत संकल्प यात्रा निकाली जा रही है. इसी कड़ी में पिछले दिनों विकसित भारत संकल्प यात्रा गोपाल भार्गव के विधानसभा क्षेत्र रहली पहुंची. जहां पूर्व मंत्री और विधायक गोपाल भार्गव के नेतृत्व में यात्रा का स्वागत किया गया और केंद्र और राज्य की सरकार द्वारा संचालित तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं के स्टॉल लगाकर हितलाभ भी वितरित किया गया. इस मौके पर गोपाल भार्गव ने नगरवासियों को विकसित भारत के संकल्प में योगदान देने की अपील की.

ये भी पढ़ें:

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि गोपाल भार्गव ने कहा कि "रहली विधानसभा हर योजना और विकास के मामले में नंबर वन रहेगी. जो योजना चल रही है और जो आगे योजनाएं चलने वाली हैं, सभी योजनाओं में रहली विधानसभा मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में अव्वल रहेगी. गोपाल भार्गव की रक्त की आखिरी बूंद भी क्षेत्र के विकास और क्षेत्रवासियों के कल्याण के लिए समर्पित रहेगी". कार्यक्रम में बताया गया कि नगर पालिका रहली हमारे विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव की परिकल्पना और प्रेरणा के चलते नगरीय विकास की कई जनकल्याणकारी योजना में अव्वल रही है.

नवमीं बार का विधायक मुख्यमंत्री बराबर होता है: वहीं, गोपाल भार्गव का संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री और मंत्री ना बन पाने का दर्द भी झलका. उन्होंने कहा कि "रहली विधानसभा से विधायक रहते हुए करीब 20 साल विपक्ष में रहकर विधानसभा में क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे उठाकर आपकी मदद की. 2003 में जब उमा भारती की सरकार बनी, तो कृषि,राजस्व,सहकारिता, उद्यानिकी,धर्मस्व और पुनर्वास जैसे 8 विभाग एक मंत्री के पास थे. जो आज तक मध्य प्रदेश के इतिहास में किसी विधायक के पास नहीं रहे. मैं सभी से कहता हूं कि कुछ लोग अभी चुनाव के बाद मंत्री पद ना मिलने के कारण निराश हैं. चूंकि मैं मंत्री पद पर लंबे समय रहा, इसलिए लोगों को अटपटा लग रहा है. जो 20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने तो मुझे लगातार मंत्री के रूप में देखा है. जो 30 से 35 साल के युवा हैं, उनको याद नहीं कि मैं विधायक के तौर पर विपक्ष में रहा. इसलिए लोगों को अटपटा लगता है."

मैं गोपाल भार्गव बोल रहा हूं... : गोपाल भार्गव ने कहा कि "लोग आकर मुझसे मिलते हैं, तो बोलते हैं कि भैया अब क्या होगा,अब तो मंत्री पद तो चला गया. मैं कहता हूं कि चिंता मत करो 9 बार का विधायक मुख्यमंत्री के बराबर होता है. नए विधायक को अपना नाम, पिता का नाम क्षेत्र के बारे में बताना पड़ता है, लेकिन गोपाल भार्गव किसी कलेक्टर से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक से बोल दे कि मैं गोपाल भार्गव बोल रहा हूं, तो कोई परिचय की जरूरत नहीं पड़ती है."

सीएम बनना चाहते थे गोपाल भार्गव

सागर। बुंदेलखंड के अजेय योद्धा और लगातार 9 बार चुनाव जीतकर मध्य प्रदेश की विधानसभा में पहुंचने वाले गोपाल भार्गव का दर्द किसी ना किसी बहाने झलक आता है. दरअसल, गोपाल भार्गव जहां मुख्यमंत्री पद का दावा ठोक रहे थे, वहीं मुख्यमंत्री पद को लेकर निराशा के बाद उम्मीद थी कि सबसे वरिष्ठ और लगातार 9 चुनाव जीतने के कारण मोहन यादव मंत्रीमंडल में तो जगह मिल ही जाएगी, लेकिन मंत्री पद भी हासिल नहीं हुआ. अब किसी ना किसी बहाने गोपाल भार्गव का दर्द सार्वजनिक तौर पर झलक जाता है. ताजा बयान उनका रहली पहुंची विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान सामने आया है, जहां उन्होंने कहा कि उनका विधानसभा क्षेत्र विकास के मामले में पीछे नहीं रहेगा. मंत्री पद नहीं रहा तो कोई बात नहीं, 9 बार का विधायक मुख्यमंत्री के बराबर होता है.

विकसित भारत संकल्प यात्रा में झलका दर्द : दरअसल, इन दिनों पूरे देश में विकसित भारत संकल्प यात्रा निकाली जा रही है. इसी कड़ी में पिछले दिनों विकसित भारत संकल्प यात्रा गोपाल भार्गव के विधानसभा क्षेत्र रहली पहुंची. जहां पूर्व मंत्री और विधायक गोपाल भार्गव के नेतृत्व में यात्रा का स्वागत किया गया और केंद्र और राज्य की सरकार द्वारा संचालित तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं के स्टॉल लगाकर हितलाभ भी वितरित किया गया. इस मौके पर गोपाल भार्गव ने नगरवासियों को विकसित भारत के संकल्प में योगदान देने की अपील की.

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि गोपाल भार्गव ने कहा कि "रहली विधानसभा हर योजना और विकास के मामले में नंबर वन रहेगी. जो योजना चल रही है और जो आगे योजनाएं चलने वाली हैं, सभी योजनाओं में रहली विधानसभा मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में अव्वल रहेगी. गोपाल भार्गव की रक्त की आखिरी बूंद भी क्षेत्र के विकास और क्षेत्रवासियों के कल्याण के लिए समर्पित रहेगी". कार्यक्रम में बताया गया कि नगर पालिका रहली हमारे विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव की परिकल्पना और प्रेरणा के चलते नगरीय विकास की कई जनकल्याणकारी योजना में अव्वल रही है.

नवमीं बार का विधायक मुख्यमंत्री बराबर होता है: वहीं, गोपाल भार्गव का संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री और मंत्री ना बन पाने का दर्द भी झलका. उन्होंने कहा कि "रहली विधानसभा से विधायक रहते हुए करीब 20 साल विपक्ष में रहकर विधानसभा में क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे उठाकर आपकी मदद की. 2003 में जब उमा भारती की सरकार बनी, तो कृषि,राजस्व,सहकारिता, उद्यानिकी,धर्मस्व और पुनर्वास जैसे 8 विभाग एक मंत्री के पास थे. जो आज तक मध्य प्रदेश के इतिहास में किसी विधायक के पास नहीं रहे. मैं सभी से कहता हूं कि कुछ लोग अभी चुनाव के बाद मंत्री पद ना मिलने के कारण निराश हैं. चूंकि मैं मंत्री पद पर लंबे समय रहा, इसलिए लोगों को अटपटा लग रहा है. जो 20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने तो मुझे लगातार मंत्री के रूप में देखा है. जो 30 से 35 साल के युवा हैं, उनको याद नहीं कि मैं विधायक के तौर पर विपक्ष में रहा. इसलिए लोगों को अटपटा लगता है."

मैं गोपाल भार्गव बोल रहा हूं... : गोपाल भार्गव ने कहा कि "लोग आकर मुझसे मिलते हैं, तो बोलते हैं कि भैया अब क्या होगा,अब तो मंत्री पद तो चला गया. मैं कहता हूं कि चिंता मत करो 9 बार का विधायक मुख्यमंत्री के बराबर होता है. नए विधायक को अपना नाम, पिता का नाम क्षेत्र के बारे में बताना पड़ता है, लेकिन गोपाल भार्गव किसी कलेक्टर से लेकर चीफ सेक्रेटरी तक से बोल दे कि मैं गोपाल भार्गव बोल रहा हूं, तो कोई परिचय की जरूरत नहीं पड़ती है."

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