सागर। पीएम नरेन्द्र मोदी के दौरे के पहले सागर में मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने भाजपा, शिवराज सरकार और पीएम मोदी पर जमकर हमला बोला. केके मिश्रा ने कहा कि "जिस सरकार पर विकास कार्यों में भ्रष्टाचार, सामाजिक समरसता को ध्वस्त करने और 50 फीसदी कमीशन के आरोप लगे हों, उनको संतों और महापुरूषों के नाम पर यात्रा निकालने का नैतिक अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से कहा था कि ‘न खाउंगा न खाने दूंगा, लेकिन एमपी में हुए अरबों के व्यापम, ई टेंडर, डंपर जैसे घोटालों पर आज तक कुछ नहीं बोले. केके मिश्रा ने कहा कि चार माह बाद हो रहे चुनाव में मध्यप्रदेश की तस्वीर और तकदीर बदलने वाली है, क्योंकि जनता को विजन और टेलीविजन वाले नेता के बीच फैसला करना है. टेलीविजन वाले नेता को भाजपा शीर्ष नेतृत्व अस्वीकार कर चुका है, फिर प्रदेश की जनता क्यों स्वीकार करेगी. जिस तरह भाजपा नाराज, महाराज और शिवराज गुटों में बंटी हुई है, उसे देख लग रहा है कि भाजपा 50 सीटों पर ही सिमट रही है."
सरकार को यात्रा का नैतिक अधिकार नहीं: प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग अध्यक्ष केके मिश्रा ने भाजपा की शिवराज सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि "सरकार के मुखिया को नैतिकता के आधार पर धर्म, संतों और महापुरूषों के नाम पर यात्रा निकालने का अधिकार नहीं है. जिस सरकार पर विकास कार्यों और सामाजिक समरसता को ध्वस्त करने और ‘50 प्रतिशत कमीशन’ के आरोप साबित हो चुके हैं. उन्होंने सीएम सहित स्थानीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार पर जमकर हमला बोला. केके मिश्रा ने कहा कि एमपी कानून-व्यवस्था की दृष्टि से बद से बदतर राज्य के रूप में अपना नाम दर्ज करा चुका है. NCRB के आंकड़े चाहे महिलाओं, दलित और आदिवासी के प्रति अत्याचार हो, बलात्कार, गैंगरेप और राशन, शराब, लकड़ी, रेत माफिया समानांतर सरकार के रूप में चुनौती दे रहे हैं. दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि प्रदेश में हर आरोपी को सरकार का संरक्षण मिल रहा है. सागर संभाग कानून व्यवस्था को लेकर चुनौती दे रहा है. जिस तरह राजनीतिक अपराध पनप रहे हैं और सरकार के मंत्री, विधायकों और भाजपा नेताओं का संरक्षण प्राप्त हो रहा है. ऐसे आरोपियों को न्यायपालिका को दंडित करने के पहले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा क्लीनचिट देकर अपराधियों का उत्साहवर्धन कर रहे हैं. NCRB की रिपोर्ट बताती है कि हर अपराध में प्रदेश देश में नंबर एक पर है.
व्यापमं घोटालों में ग्वालियर चंबल के नेता और अफसर शामिल: केके मिश्रा ने कहा कि पटवारी भर्ती परीक्षा में जो गड़बड़ी सामने आयी. उसमें भाजपा से जुड़े लोग शामिल हैं. जिस तरह प्रतिभाओं की जिंदगी में व्यापम पार्ट 3 के माध्यम से अंधेरा परोसा गया. उसमें शिक्षा माफिया, दलाल, राजनेता, नौकरशाह और सरकार में बैठे लोगों का गठजोड़ शामिल है. क्या कारण है कि व्यापम पार्ट-1 में भी ग्वालियर चंबल संभाग से जुड़े भाजपा नेता और नौकरशाहों के चेहरे सामने आए और व्यापम पार्ट-2 भी इसी संभाग के भाजपा नेताओं के माध्यम से साकार हुआ है. सरकार की नीयत पर सवालिया निशान ये भी लग रहा है कि सरकार एक लाख नौजवानों को रोजगार देने की बात कर रही है और उम्मीदवारों का चयन पहले हो रहा है और होनहार युवा अपने अधिकार से वंचित होकर घोटाले और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहे हैं."
विधानसभा चुनाव में 50 सीट भी नहीं होगी हासिल: केके मिश्रा ने कहा कि "चार माह बाद विधानसभा चुनाव में एमपी की तस्वीर और तकदीर बदलने वाली है. क्योंकि जनता को फैसला एक विजन और टेलीविजन वाले नेता के बीच करना है. जहां तक टेलीविजन वाले नेता का प्रश्न है, उनके चेहरे को भाजपा का शीर्ष नेतृत्व अस्वीकार कर चुका है, फिर एमपी की जनता उन्हें क्यों स्वीकार करेगी. जिस तरह भाजपा नाराज, महाराज और शिवराज गुटों में बंटी हुई है, उसे देख लग रहा है कि भाजपा मध्यप्रदेश में 50 सीटों पर ही सिमट रही है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ‘हमारा गर्व विकास पर्व’ यात्रा करते घूम रहे हैं. वहां की जनता पूछे कि विधानसभा उपचुनाव के दौरान जो घोषणाएं हुई थी, आज तक पूरी क्यों नहीं हुई.
पीएम मोदी से पूछे सवाल: रविदास मंदिर का भूमिपूजन करने 12 अगस्त को सागर आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से केके मिश्रा ने कहा कि पीएम ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले से कहा था कि ‘न खाउंगा न खाने दूंगा. भ्रष्टाचार को लेकर वे दो दिन पहले भी बोले, लेकिन एमपी को विश्व में कलंकित करने वाले 90 अरब रूपए के भ्रष्टाचार से संबंधित व्यापमं, सिंहस्थ, डम्पर, 18 सालों में हुए अरबों रुपए के भ्रष्टाचार,ध्वस्त बांध, तालाबों, सड़कों के निर्माण, पटवारी भर्ती घोटाले और भ्रष्टाचार के सबूतों को नष्ट करने के लिए सतपुड़ा भवन में लगी प्रायोजित आग, महाकाल लोक में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार पर अब तक खामोश क्यों हैं. सागर की सभा में उस पर स्पष्ट रूप से कुछ कहें, ताकि उनकी कथनी और करनी का अंतर स्पष्ट हो सके.