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यहां ज्वाला के रूप में विराजी हैं मां दुर्गा, हर मनोकामना होती है पूरी

सागर के ज्वालामाई में मां दुर्गा का एक ऐसा मंदिर है, जहां मां ज्वाला के रूप में विराजमान हैं. मान्यता है कि इस महाभारतकालीन मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है. इसलिए नवरात्र में भक्त मां के दरबार में अपनी अर्जी लगाने पहुंचते हैं.

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Published : Apr 11, 2019, 2:30 PM IST

इस मंदिर में ज्वाला के रूप में विराजती है मां

सागर। ज्वालामाई में विराजी मां की मूर्ति अद्भुत है. इस मंदिर में देवी ज्वाला के रूप में विराजमान हैं. कहते हैं कि यहां मांगी हर मनोकामना पूरी हो जाती है, इसलिए नवरात्र में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है.

इस मंदिर में ज्वाला के रूप में विराजती है मां

जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर ज्वालामाई का दरबार है. इस मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति ज्वाला के रूप में है, इसलिए ये मंदिर बेहद खास है. कहते हैं कि पूरे भारतवर्ष में मां का ऐसा अद्भुत रूप कहीं देखने के लिए नहीं मिलता है. मान्यता है कि ज्वालामाई से मांगी गई हर मनोकामना पूरी हो जाती है, इसलिए नवरात्रि के दौरान भक्त मां के दरबार में अपनी अर्जी लगाने पहुंचते हैं.

कहते हैं कि यह मंदिर महाभारत काल में बना था. वहीं तंत्र-मंत्र और तांत्रिक पूजा के लिए भी ये मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है.

सागर। ज्वालामाई में विराजी मां की मूर्ति अद्भुत है. इस मंदिर में देवी ज्वाला के रूप में विराजमान हैं. कहते हैं कि यहां मांगी हर मनोकामना पूरी हो जाती है, इसलिए नवरात्र में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है.

इस मंदिर में ज्वाला के रूप में विराजती है मां

जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर ज्वालामाई का दरबार है. इस मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति ज्वाला के रूप में है, इसलिए ये मंदिर बेहद खास है. कहते हैं कि पूरे भारतवर्ष में मां का ऐसा अद्भुत रूप कहीं देखने के लिए नहीं मिलता है. मान्यता है कि ज्वालामाई से मांगी गई हर मनोकामना पूरी हो जाती है, इसलिए नवरात्रि के दौरान भक्त मां के दरबार में अपनी अर्जी लगाने पहुंचते हैं.

कहते हैं कि यह मंदिर महाभारत काल में बना था. वहीं तंत्र-मंत्र और तांत्रिक पूजा के लिए भी ये मंदिर देशभर में प्रसिद्ध है.

Intro:ज्वाला देवी मंदिर में होती है सबकी मनोकामनाएं पूरी, तांत्रिक साधना के लिए भी नवरात्र में दूर-दूर से आते हैं तांत्रिक।

महाभारत कालीन बताया जाता है मां ज्वाला देवी का मंदिर, महाराजा छत्रसाल भी करने आते थे ज्वाला माई की आराधना।

भारतवर्ष में अद्वितीय है जालंधर की ज्वाला देवी की प्रतिमा।



सागर। वैसे तो भारतवर्ष में भक्त साल भर ही मां दुर्गा के सभी रूपों की आराधना करते हैं लेकिन वर्ष भर में चैत्र और अश्विनी नवरात्र में मां की विशेष पूजा अर्चना होती है नवरात्रों में भक्तों मां की सेवा साधना में पूरी तरह से समर्पित होते हैं भारत में वैसे तो देवी के अनगिनत मंदिर है जहां रोजाना हजारों लाखों भक्त अपनी मनाते लेकर पहुंचते हैं लेकिन देश और दुनिया में मां दुर्गा के ऐसे कई दुर्लभ और अद्भुत अद्वितीय मंदिर हैं जिनका अपना एक विशेष धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है कुछ ऐसा ही है सागर के जालंधर गांव का मां ज्वाला देवी का मंदिर जो स्वयंभू सनातन कालीन माना जाता है हजारों साल पुराने इस देवी मंदिर को महाभारत काल से भी प्राचीन बताया जाता है जहां हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी नवरात्र पर आस्था का सैलाब उमड़ रहा है ऐसा कहा जाता है कि महाराज छत्रसाल की मां ज्वाला देवी के प्रति असीम आस्था थी जो चैत्र के नवरात्र पर यहां आकर पूजा उपासना किया करते थे चैत्र नवरात्र पर यहां हर साल मेला लगता है जहां जिले भर से और दूसरे नगरों से भी लोग यहां मां ज्वाला से अपनी मुरादे मांगने आते हैं और जिनकी मन्नते पूरी होती है भक्तों मां के चरणों में भक्ति नमन करने आते हैं और उनका धन्यवाद देने आते हैं यह शक्तिपीठ तंत्र साधना के लिए भी जाना जाता है जहां तांत्रिक भी नवरात्र में अपनी साधना करने पहुंचते हैं जालंधर स्थित मां ज्वाला देवी का मंदिर विंध्य गिरी पर्वत श्रंखला में लगभग 780 फीट ऊंचाई पर है मां की प्रतिमा एवं भव्यता सभी को आश्चर्यचकित करती है कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यह मन्नत मांगता है उसकी अरज मां ज्वाला जरूर सुनती है यह 4 फुट की ऊंची मां ज्वाला देवी की प्रतिमा है जो कि पद्मासन मुद्रा में है मधु शेर पर सवार है जबकि दाहिने पैर के अंगूठे से सटा हुआ एक कलश स्थापित है सिद्ध तांत्रिक शक्ति पीठ श्री गणेश की विलक्षण प्रतिमा भी यहां विराजित है मां ज्वाला की प्रतिमा देशभर में अद्वितीय है जिसके मुख्य प्रतिमा में मां ज्वाला के आसपास छोटी-छोटी अन्य प्रतिमाह है जालंधर स्थित मां ज्वाला देवी के धाम तक पहुंचने के लिए आपको सड़क मार्ग या रेल मार्ग से जलवा खेड़ा पहुंचना होगा जहां से सागर बीना मुख्य मार्ग से करीब 9 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर मां ज्वाला देवी का मंदिर स्थित है इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको चाँदमऊ, लुहर्रा, से होते हुए जालंधर तक पहुंचना होगा तो अगर आप भी मां दुर्गा में आस्था रखते हैं और अपनी किसी अधूरी मन्नत को पूरा करना चाहते हैं तो आप सागर के जालंधर स्थित मां ज्वाला माई की शरण में जा सकते हैं।

बाइक भक्त
बाइट मंदिर पुजारी


Body:ज्वाला देवी मंदिर में होती है सबकी मनोकामनाएं पूरी, तांत्रिक साधना के लिए भी नवरात्र में दूर-दूर से आते हैं तांत्रिक।

महाभारत कालीन बताया जाता है मां ज्वाला देवी का मंदिर, महाराजा छत्रसाल भी करने आते थे ज्वाला माई की आराधना।

भारतवर्ष में अद्वितीय है जालंधर की ज्वाला देवी की प्रतिमा।



सागर। वैसे तो भारतवर्ष में भक्त साल भर ही मां दुर्गा के सभी रूपों की आराधना करते हैं लेकिन वर्ष भर में चैत्र और अश्विनी नवरात्र में मां की विशेष पूजा अर्चना होती है नवरात्रों में भक्तों मां की सेवा साधना में पूरी तरह से समर्पित होते हैं भारत में वैसे तो देवी के अनगिनत मंदिर है जहां रोजाना हजारों लाखों भक्त अपनी मनाते लेकर पहुंचते हैं लेकिन देश और दुनिया में मां दुर्गा के ऐसे कई दुर्लभ और अद्भुत अद्वितीय मंदिर हैं जिनका अपना एक विशेष धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है कुछ ऐसा ही है सागर के जालंधर गांव का मां ज्वाला देवी का मंदिर जो स्वयंभू सनातन कालीन माना जाता है हजारों साल पुराने इस देवी मंदिर को महाभारत काल से भी प्राचीन बताया जाता है जहां हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी नवरात्र पर आस्था का सैलाब उमड़ रहा है ऐसा कहा जाता है कि महाराज छत्रसाल की मां ज्वाला देवी के प्रति असीम आस्था थी जो चैत्र के नवरात्र पर यहां आकर पूजा उपासना किया करते थे चैत्र नवरात्र पर यहां हर साल मेला लगता है जहां जिले भर से और दूसरे नगरों से भी लोग यहां मां ज्वाला से अपनी मुरादे मांगने आते हैं और जिनकी मन्नते पूरी होती है भक्तों मां के चरणों में भक्ति नमन करने आते हैं और उनका धन्यवाद देने आते हैं यह शक्तिपीठ तंत्र साधना के लिए भी जाना जाता है जहां तांत्रिक भी नवरात्र में अपनी साधना करने पहुंचते हैं जालंधर स्थित मां ज्वाला देवी का मंदिर विंध्य गिरी पर्वत श्रंखला में लगभग 780 फीट ऊंचाई पर है मां की प्रतिमा एवं भव्यता सभी को आश्चर्यचकित करती है कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यह मन्नत मांगता है उसकी अरज मां ज्वाला जरूर सुनती है यह 4 फुट की ऊंची मां ज्वाला देवी की प्रतिमा है जो कि पद्मासन मुद्रा में है मधु शेर पर सवार है जबकि दाहिने पैर के अंगूठे से सटा हुआ एक कलश स्थापित है सिद्ध तांत्रिक शक्ति पीठ श्री गणेश की विलक्षण प्रतिमा भी यहां विराजित है मां ज्वाला की प्रतिमा देशभर में अद्वितीय है जिसके मुख्य प्रतिमा में मां ज्वाला के आसपास छोटी-छोटी अन्य प्रतिमाह है जालंधर स्थित मां ज्वाला देवी के धाम तक पहुंचने के लिए आपको सड़क मार्ग या रेल मार्ग से जलवा खेड़ा पहुंचना होगा जहां से सागर बीना मुख्य मार्ग से करीब 9 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर मां ज्वाला देवी का मंदिर स्थित है इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको चाँदमऊ, लुहर्रा, से होते हुए जालंधर तक पहुंचना होगा तो अगर आप भी मां दुर्गा में आस्था रखते हैं और अपनी किसी अधूरी मन्नत को पूरा करना चाहते हैं तो आप सागर के जालंधर स्थित मां ज्वाला माई की शरण में जा सकते हैं।

बाइक भक्त
बाइट मंदिर पुजारी


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