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'दिल्ली चलो' पदयात्रा: स्वयंसेवकों की भूख हड़ताल का दूसरा दिन, जानें क्या बोले सोनम वांगचुक - INTERVIEW OF SONAM WANGCHUK

सोनम वांगचुक को जंतर-मंतर पर अनशन की इजाजत नहीं मिली. अब अनिश्चिकालीन अनशन पर बैठ गए हैं. रिनचेन आंगमो चुमिक्चन की रिपोर्ट...

sonam wangchuk
दिल्ली चलो पद यात्रा, भूख हड़ताल का दूसरा दिन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 7, 2024, 7:50 PM IST

लेह, लद्दाख/ नई दिल्ली: दिल्ली के जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल करने के लिए अनुमति नहीं मिलने के बाद, पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक और दिल्ली चलो पद यात्रा के अन्य स्वयंसेवक दिल्ली के लद्दाख भवन में दूसरे दिन भी अपना अनशन जारी रखे हुए हैं.

बता दें कि, लद्दाख के सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक और उनके अन्य सहयोगियों को दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर अनशन की इजाजत नहीं दी. सोनम वांगचुक ने एक्स पोस्ट में कहा, एक और अस्वीकृति, एक और निराशा... आखिरकार हमें विरोध प्रदर्शन के लिए आधिकारिक रूप से तय स्थान के लिए ये अस्वीकृति पत्र मिला. सोनम ने कहा "हम एक औपचारिक जगह पर शांतिपूर्ण तरीके से अनशन करना चाहते थे. लेकिन बीते 2-3 दिन से ऐसी कोई जगह हमें नहीं दी गई है. लद्दाख भवन में हमें डिटेन करके रखा गया है. हम यहीं से अनशन कर रहे हैं."

वहीं, समन्वयक लेह एपेक्स बॉडी को लिखे पत्र के जवाब में, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त, नई दिल्ली, अन्येश रॉय ने लिखा, “आपको सूचित किया जाता है कि 05 अक्टूबर 2024 और 06 अक्टूबर 2024 को जंतर-मंतर, नई दिल्ली में प्रदर्शन, अनशन आयोजित करने के आपके अनुरोध पत्र बहुत ही कम समय में इस कार्यालय में प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा, आपके पत्र में, कार्यक्रम की शुरुआत और समापन या अपेक्षित सभा का कोई विशिष्ट समय नहीं बताया गया है.

सोनम वांगचुक एक्सक्लूसिव (ETV Bharat)

दिशा-निर्देशों के अनुसार जंतर-मंतर पर किसी भी प्रदर्शन के आयोजन के लिए आवेदन नियोजित कार्यक्रम से कम से कम 10 दिन पहले किए जाने चाहिए. दिशा-निर्देशों के अनुसार यह भी आवश्यक है कि नियोजित कार्यक्रम की अवधि नियोजित कार्यक्रम की तिथि के सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच होनी चाहिए.” पत्र में यह भी लिखा है, "आपके आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह अनशन तब आयोजित किया गया है, जब शीर्ष नेतृत्व के साथ अपेक्षित बैठक नहीं हो पाई है. यह बिल्कुल स्पष्ट है कि यह प्रस्तावित अनशन लंबे समय तक चलने वाला है.

मौजूदा कानूनों, नियमों और दिशानिर्देशों के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत किसी भी तरह के 'अनशन' की अनुमति दी जा सके, बिना समय सीमा के, सामूहिक आयोजन की तो बात ही छोड़िए, जैसा कि आवेदन से पता चलता है." ईटीवी भारत ने इस संबंध में घटनाक्रम के बारे में लेह एपेक्स बॉडी के उपाध्यक्ष चेरिंग दोरजे लकरूक से बातचीत की. उन्होंने कहा, "एपेक्स बॉडी ने जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल जारी रखने की अनुमति मांगते हुए एक पत्र लिखा है, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया है.

चूंकि धारा 163 लागू है, इसलिए उन्होंने उन्हें केवल दिन के समय भूख हड़ताल पर बैठने की अनुमति दी है. भूख हड़ताल 28 दिनों की है और अगर सरकार इस पर जवाब देती है तो वे भूख हड़ताल समाप्त कर देंगे. उन्होंने वादा किया था कि वे हमें 15 दिनों के भीतर चार सूत्री एजेंडे पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए बुलाएंगे, लेकिन हमें कोई निश्चित तारीख नहीं दी गई. दो-तीन दिन बीत चुके हैं और हम सरकार के जवाब का इंतजार कर रहे हैं.

लेह एपेक्स बॉडी के समन्वयक और पदयात्रा समन्वयक जिग्मेट पलजोर ने कहा, "दिल्ली के लद्दाख भवन में करीब 20-25 लोग भूख हड़ताल पर हैं. हमने हिरासत में रहते हुए ही भूख हड़ताल शुरू कर दी थी. रिहा होते समय हमने सरकार के सामने दो शर्तें रखीं, एक तो 2 अक्टूबर को गांधीजी को श्रद्धांजलि देने के लिए राजघाट जाने की अनुमति दी जाए और दूसरी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और गृह मंत्री के साथ 4 सूत्री एजेंडे पर बातचीत फिर से शुरू की जाए या फिर मुलाकात की तारीख बताई जाए.

जिग्मेट पलजोर ने कहा, "हमने राजघाट पर इस उम्मीद में अपना अनशन खत्म किया कि सरकार हमें बातचीत फिर से शुरू करने की तारीख बताएगी. लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने वादे के मुताबिक कोई तारीख नहीं दी जो 5 अक्टूबर तक थी. हमें मजबूरन लद्दाख भवन में भूख हड़ताल जारी रखनी पड़ रही है क्योंकि हमें दिल्ली में अन्य जगहों पर जाने की अनुमति नहीं दी गई. हालांकि गर्मी और निर्जलीकरण से जुड़ी कुछ समस्याओं को छोड़कर स्वयंसेवक ठीक हैं, लेकिन हम दूसरे दिन में प्रवेश कर रहे हैं. ये वही लोग हैं जिन्होंने महीने भर चली दिल्ली चलो पदयात्रा में भाग लिया था."

जिग्मेट पलजोर ने आगे कहा, "हमें उम्मीद है कि जल्द ही सरकार हमें एक जगह मुहैया कराएगी जहां लोग या समर्थक आसानी से आ सकें, बात कर सकें और शामिल हो सकें. दूसरी बात, कम से कम उन्हें हमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से बातचीत फिर से शुरू करने के लिए मिलने की तारीख तो देनी चाहिए. हमने गृह मंत्रालय के अधिकारियों के माध्यम से अपनी मांगें पहले ही बता दी हैं और वादे के मुताबिक हम इस शर्त पर रुके हुए हैं."

उन्होंने आगे कहा, "जब तक हमें शीर्ष नेतृत्व की नियुक्ति नहीं मिल जाती और बातचीत फिर से शुरू नहीं हो जाती, हम अपना अनशन जारी रखेंगे." सोनम वांगचुक ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, "हमने आखिरकार यहां लद्दाख भवन नई दिल्ली में अपना अनशन शुरू करने का फैसला किया है, जहां मुझे पिछले 4 दिनों से लगभग हिरासत में रखा गया था. हमारे बीच 75 साल की महिलाएं और पुरुष हैं, जिन्होंने लेह से दिल्ली तक लगभग 1000 किलोमीटर की दूरी 32 दिनों तक पैदल तय की है."

ये भी पढ़ें: आज से अनिश्चितकालीन उपवास पर रहेंगे सोनम वांगचुक

लेह, लद्दाख/ नई दिल्ली: दिल्ली के जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल करने के लिए अनुमति नहीं मिलने के बाद, पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक और दिल्ली चलो पद यात्रा के अन्य स्वयंसेवक दिल्ली के लद्दाख भवन में दूसरे दिन भी अपना अनशन जारी रखे हुए हैं.

बता दें कि, लद्दाख के सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक और उनके अन्य सहयोगियों को दिल्ली पुलिस ने जंतर-मंतर पर अनशन की इजाजत नहीं दी. सोनम वांगचुक ने एक्स पोस्ट में कहा, एक और अस्वीकृति, एक और निराशा... आखिरकार हमें विरोध प्रदर्शन के लिए आधिकारिक रूप से तय स्थान के लिए ये अस्वीकृति पत्र मिला. सोनम ने कहा "हम एक औपचारिक जगह पर शांतिपूर्ण तरीके से अनशन करना चाहते थे. लेकिन बीते 2-3 दिन से ऐसी कोई जगह हमें नहीं दी गई है. लद्दाख भवन में हमें डिटेन करके रखा गया है. हम यहीं से अनशन कर रहे हैं."

वहीं, समन्वयक लेह एपेक्स बॉडी को लिखे पत्र के जवाब में, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त, नई दिल्ली, अन्येश रॉय ने लिखा, “आपको सूचित किया जाता है कि 05 अक्टूबर 2024 और 06 अक्टूबर 2024 को जंतर-मंतर, नई दिल्ली में प्रदर्शन, अनशन आयोजित करने के आपके अनुरोध पत्र बहुत ही कम समय में इस कार्यालय में प्राप्त हुए हैं. इसके अलावा, आपके पत्र में, कार्यक्रम की शुरुआत और समापन या अपेक्षित सभा का कोई विशिष्ट समय नहीं बताया गया है.

सोनम वांगचुक एक्सक्लूसिव (ETV Bharat)

दिशा-निर्देशों के अनुसार जंतर-मंतर पर किसी भी प्रदर्शन के आयोजन के लिए आवेदन नियोजित कार्यक्रम से कम से कम 10 दिन पहले किए जाने चाहिए. दिशा-निर्देशों के अनुसार यह भी आवश्यक है कि नियोजित कार्यक्रम की अवधि नियोजित कार्यक्रम की तिथि के सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे के बीच होनी चाहिए.” पत्र में यह भी लिखा है, "आपके आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह अनशन तब आयोजित किया गया है, जब शीर्ष नेतृत्व के साथ अपेक्षित बैठक नहीं हो पाई है. यह बिल्कुल स्पष्ट है कि यह प्रस्तावित अनशन लंबे समय तक चलने वाला है.

मौजूदा कानूनों, नियमों और दिशानिर्देशों के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत किसी भी तरह के 'अनशन' की अनुमति दी जा सके, बिना समय सीमा के, सामूहिक आयोजन की तो बात ही छोड़िए, जैसा कि आवेदन से पता चलता है." ईटीवी भारत ने इस संबंध में घटनाक्रम के बारे में लेह एपेक्स बॉडी के उपाध्यक्ष चेरिंग दोरजे लकरूक से बातचीत की. उन्होंने कहा, "एपेक्स बॉडी ने जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल जारी रखने की अनुमति मांगते हुए एक पत्र लिखा है, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया है.

चूंकि धारा 163 लागू है, इसलिए उन्होंने उन्हें केवल दिन के समय भूख हड़ताल पर बैठने की अनुमति दी है. भूख हड़ताल 28 दिनों की है और अगर सरकार इस पर जवाब देती है तो वे भूख हड़ताल समाप्त कर देंगे. उन्होंने वादा किया था कि वे हमें 15 दिनों के भीतर चार सूत्री एजेंडे पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए बुलाएंगे, लेकिन हमें कोई निश्चित तारीख नहीं दी गई. दो-तीन दिन बीत चुके हैं और हम सरकार के जवाब का इंतजार कर रहे हैं.

लेह एपेक्स बॉडी के समन्वयक और पदयात्रा समन्वयक जिग्मेट पलजोर ने कहा, "दिल्ली के लद्दाख भवन में करीब 20-25 लोग भूख हड़ताल पर हैं. हमने हिरासत में रहते हुए ही भूख हड़ताल शुरू कर दी थी. रिहा होते समय हमने सरकार के सामने दो शर्तें रखीं, एक तो 2 अक्टूबर को गांधीजी को श्रद्धांजलि देने के लिए राजघाट जाने की अनुमति दी जाए और दूसरी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और गृह मंत्री के साथ 4 सूत्री एजेंडे पर बातचीत फिर से शुरू की जाए या फिर मुलाकात की तारीख बताई जाए.

जिग्मेट पलजोर ने कहा, "हमने राजघाट पर इस उम्मीद में अपना अनशन खत्म किया कि सरकार हमें बातचीत फिर से शुरू करने की तारीख बताएगी. लेकिन दुर्भाग्य से उन्होंने वादे के मुताबिक कोई तारीख नहीं दी जो 5 अक्टूबर तक थी. हमें मजबूरन लद्दाख भवन में भूख हड़ताल जारी रखनी पड़ रही है क्योंकि हमें दिल्ली में अन्य जगहों पर जाने की अनुमति नहीं दी गई. हालांकि गर्मी और निर्जलीकरण से जुड़ी कुछ समस्याओं को छोड़कर स्वयंसेवक ठीक हैं, लेकिन हम दूसरे दिन में प्रवेश कर रहे हैं. ये वही लोग हैं जिन्होंने महीने भर चली दिल्ली चलो पदयात्रा में भाग लिया था."

जिग्मेट पलजोर ने आगे कहा, "हमें उम्मीद है कि जल्द ही सरकार हमें एक जगह मुहैया कराएगी जहां लोग या समर्थक आसानी से आ सकें, बात कर सकें और शामिल हो सकें. दूसरी बात, कम से कम उन्हें हमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से बातचीत फिर से शुरू करने के लिए मिलने की तारीख तो देनी चाहिए. हमने गृह मंत्रालय के अधिकारियों के माध्यम से अपनी मांगें पहले ही बता दी हैं और वादे के मुताबिक हम इस शर्त पर रुके हुए हैं."

उन्होंने आगे कहा, "जब तक हमें शीर्ष नेतृत्व की नियुक्ति नहीं मिल जाती और बातचीत फिर से शुरू नहीं हो जाती, हम अपना अनशन जारी रखेंगे." सोनम वांगचुक ने अपने सोशल मीडिया पर लिखा, "हमने आखिरकार यहां लद्दाख भवन नई दिल्ली में अपना अनशन शुरू करने का फैसला किया है, जहां मुझे पिछले 4 दिनों से लगभग हिरासत में रखा गया था. हमारे बीच 75 साल की महिलाएं और पुरुष हैं, जिन्होंने लेह से दिल्ली तक लगभग 1000 किलोमीटर की दूरी 32 दिनों तक पैदल तय की है."

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