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'संघीय ढांचे को गंभीर नुकसान...', जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए SC में याचिका दायर

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र सरकार को दो महीने के भीतर जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश देने की मांग की गई है.

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By Sumit Saxena

Published : 2 hours ago

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (ANI)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें केंद्र सरकार को दो महीने के भीतर समयबद्ध तरीके से जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश देने की मांग की गई है. यह निर्देश सरकार की ओर से अदालत को दिए गए आश्वासन की पृष्ठभूमि में दिया गया है.

यह याचिका जहूर अहमद भट ने एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में यह दायर की है. याचिका में कहा गया है कि अगर अदालत जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के निर्देश नहीं देती है तो इससे देश के संघीय ढांचे को गंभीर नुकसान हो सकता है.

याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल न किए जाने से जम्मू-कश्मीर को एक कमतर निर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार मिलेगी, खासकर 8 अक्टूबर को घोषित होने वाले विधानसभा परिणामों के बाद.

संघीय ढांचे को सर्वोच्च सम्मान
याचिका में कहा गया है, "संविधान के संस्थापकों ने राज्यों की संप्रभुता और हमारे संविधान के संघीय ढांचे को सर्वोच्च सम्मान दिया. ऐसे में उनकी मंशा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत को समयबद्ध तरीके से जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए भारत संघ को निर्देश देने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए."

याचिका में तर्क दिया गया कि अनुच्छेद 3 अनुच्छेद 2 से भिन्न है, जो संसद को संघ में नए राज्यों को शामिल करने या नए राज्यों की स्थापना करने के लिए लगभग अप्रतिबंधित शक्तियां प्रदान करता है.

याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 2 का उद्देश्य भारत संघ में नए क्षेत्रों को शामिल करके संघवाद को बढ़ाना है, जबकि अनुच्छेद 3 के तहत संसद की शक्तियां काफी हद तक विनियमित हैं, क्योंकि यह सीधे हमारी राजनीति के संघीय ढांचे को प्रभावित करती है. अगर इस तरह की कार्रवाई को इस न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया जाता है, तो भारत को केवल संसदीय कानून द्वारा 'केंद्र शासित प्रदेशों का संघ' बना दिया जाएगा, जिसकी न तो संविधान का टेक्स्ट और न ही इसकी भावना अनुमति देती है.

राज्य का दर्जा बहाल किया जाए
याचिका में कहा गया है कि भारतीय राजनीति के इतिहास में, संवैधानिक संशोधन के बिना किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में परिवर्तित करने और विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश बनाने का कोई उदाहरण नहीं है. याचिका में कहा गया है, "यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाए ताकि लोग अपनी व्यक्तिगत पहचान में स्वायत्तता का आनंद ले सकें और देश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें."

11 दिसंबर 2023 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में केंद्र सरकार का जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर आश्वासन दर्ज किया गया था. तब अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 370 को कमजोर करने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था.

याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदलने के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर को एक कमतर चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार मिली है, जो विधानसभा के नतीजे घोषित होने के बाद जल्द ही बनेगी.

याचिका में कहा गया है कि अगर समयबद्ध तरीके से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल नहीं किया जाता है, तो जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के साथ पक्षपात होगा, जिससे उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और जम्मू-कश्मीर के लोकतांत्रिक ढांचे और इसकी क्षेत्रीय अखंडता पर भी गंभीर असर पड़ेगा.

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने महिला सरपंच को हटाने का आदेश रद्द किया, जानें बेंच ने क्या कहा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें केंद्र सरकार को दो महीने के भीतर समयबद्ध तरीके से जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश देने की मांग की गई है. यह निर्देश सरकार की ओर से अदालत को दिए गए आश्वासन की पृष्ठभूमि में दिया गया है.

यह याचिका जहूर अहमद भट ने एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में यह दायर की है. याचिका में कहा गया है कि अगर अदालत जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के निर्देश नहीं देती है तो इससे देश के संघीय ढांचे को गंभीर नुकसान हो सकता है.

याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल न किए जाने से जम्मू-कश्मीर को एक कमतर निर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार मिलेगी, खासकर 8 अक्टूबर को घोषित होने वाले विधानसभा परिणामों के बाद.

संघीय ढांचे को सर्वोच्च सम्मान
याचिका में कहा गया है, "संविधान के संस्थापकों ने राज्यों की संप्रभुता और हमारे संविधान के संघीय ढांचे को सर्वोच्च सम्मान दिया. ऐसे में उनकी मंशा को ध्यान में रखते हुए, इस अदालत को समयबद्ध तरीके से जम्मू कश्मीर के राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए भारत संघ को निर्देश देने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए."

याचिका में तर्क दिया गया कि अनुच्छेद 3 अनुच्छेद 2 से भिन्न है, जो संसद को संघ में नए राज्यों को शामिल करने या नए राज्यों की स्थापना करने के लिए लगभग अप्रतिबंधित शक्तियां प्रदान करता है.

याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 2 का उद्देश्य भारत संघ में नए क्षेत्रों को शामिल करके संघवाद को बढ़ाना है, जबकि अनुच्छेद 3 के तहत संसद की शक्तियां काफी हद तक विनियमित हैं, क्योंकि यह सीधे हमारी राजनीति के संघीय ढांचे को प्रभावित करती है. अगर इस तरह की कार्रवाई को इस न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया जाता है, तो भारत को केवल संसदीय कानून द्वारा 'केंद्र शासित प्रदेशों का संघ' बना दिया जाएगा, जिसकी न तो संविधान का टेक्स्ट और न ही इसकी भावना अनुमति देती है.

राज्य का दर्जा बहाल किया जाए
याचिका में कहा गया है कि भारतीय राजनीति के इतिहास में, संवैधानिक संशोधन के बिना किसी राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में परिवर्तित करने और विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश बनाने का कोई उदाहरण नहीं है. याचिका में कहा गया है, "यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाए ताकि लोग अपनी व्यक्तिगत पहचान में स्वायत्तता का आनंद ले सकें और देश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें."

11 दिसंबर 2023 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में केंद्र सरकार का जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर आश्वासन दर्ज किया गया था. तब अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 370 को कमजोर करने की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था.

याचिका में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदलने के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर को एक कमतर चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार मिली है, जो विधानसभा के नतीजे घोषित होने के बाद जल्द ही बनेगी.

याचिका में कहा गया है कि अगर समयबद्ध तरीके से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल नहीं किया जाता है, तो जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के साथ पक्षपात होगा, जिससे उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा और जम्मू-कश्मीर के लोकतांत्रिक ढांचे और इसकी क्षेत्रीय अखंडता पर भी गंभीर असर पड़ेगा.

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