सागर। शहरों में सड़कों के साथ लोगों के पैदल चलने के लिए फुटपाथ बनाए जाते हैं. इंडियन रोड कांग्रेस गाइडलाइन्स द्वारा फुटपाथ का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या के आधार पर फुटपाथ की चौड़ाई तय की जाती है. आमतौर पर शहरों में लोगों की भीड़ के मद्देनजर सड़कों पर फुटपाथ बनते हैं, लेकिन ज्यादातर जगहों पर फुटपाथ का उपयोग करने वाले लोगों को इसका कम फायदा मिल पाता है और अधिकांश फुटपाथ अतिक्रमण की जद में होते हैं और ऐसा ही कुछ सागल शहर का भी है.
- कैसे हो रहा अतिक्रमण
सागर शहर में फुटपाथ की जगह पर शहरों में छोटी-छोटी दुकानें लगी रहती हैं और सड़क किनारें दुकान लगाने वाले लोग अधिकांश सड़कों के साथ बने फुटपाथों पर कब्जा करे रखते हैं. फुटपाथ को लेकर सड़क निर्माण से जुड़े कांट्रेक्टर और इंजीनियर बताते हैं कि सरकार जिस आधार पर डिजाइन तय करती है, उस आधार पर कांट्रेक्टर को सड़क और फुटपाथ का निर्माण करना होता है. आमतौर पर ठेकेदार डिजाइन से छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं, लेकिन सड़क निर्माण के बाद फुटपाथ पर हो रहे अतिक्रमण की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की होती है.
- क्या हैं इंडियन रोड कांग्रेस के मानक
इंडियन रोड कांग्रेस (IRC) के मानकों के मुताबिक, जिस फुटपाथ पर प्रति घंटे 1200 व्यक्ति चलते हैं, उसे 1.5 मीटर चौड़ी होना चाहिए. जिस फुटपाथ पर प्रति घंटे 2400 व्यक्ति चलते हैं, उसे 2 मीटर चौड़ा होना चाहिए. इसके अलावा सड़क की चौड़ाई सड़क पर गुजरने वाले वाहन और सड़क के आसपास पैदल चलने वाले लोगों की संख्या के आधार पर सड़क की डिजाइन और फुटपाथ की चौड़ाई तय की जाती है.
- अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी किसकी
सड़क किनारे फुटपाथ पर होने वाला अतिक्रमण कई प्रकार से होता है. इसमें फुटपाथ पर लगे ठेले, छोटी-छोटी दुकानें और गाड़ी पार्किंग प्रमुख हैं. इसके साथ ही शहरों में सड़कों के निर्माण-रखरखाव और मरम्मत की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है, लेकिन आमतौर पर नगर निगम द्वारा ही इन सड़क किनारे बने फुटपाथ के दुरुपयोग की छूट दी जाती है. स्ट्रीट वेंडर्स के अलावा जिन लोगों की दुकानें सड़कों के किनारों से लगी होती है, वह फुटपाथ का उपयोग मनमर्जी तरीके से करते हैं.
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- सागर में बने फुटपाथ पर क्या कहते हैं इसे बनाने वाले
सागर शहर में फुटपाथ की स्थिति को लेकर कांट्रेक्टर मनीष स्वामी बताते हैं कि किसी भी सड़क निर्माण के लिए एक तय डिजाइन होती है. संबंधित विभाग पहले डिजाइन तय करता है और उसके बाद डिजाइन के अनुसार टेंडर निकालता है. अधिकांश ठेकेदार डिजाइन के अनुसार ही निर्माण कार्य करते हैं. अगर कोई ठेकेदार डिजाइन के अनुसार निर्माण कार्य नहीं करता है, तो उसके भुगतान में दिक्कत आती है. जहां तक रखरखाव और मरम्मत की बात है, तो ये काम संबंधित विभाग का होता है.