सागर। डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की रैंकिंग गिरने की वजह विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर के पदों का खाली होना बताया जा रहा है. प्रोफेसर के पद खाली होने के कारण शोध में काफी कमी आ गई है. रिसर्च पेपर कम पब्लिश हो रहे हैं. स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के परीक्षा परिणाम कमजोर होने के कारण ये हालात बन गए हैं. यही कारण है कि देश के अलावा विदेश में पहचान रखने वाला यह विश्वविद्यालय अपनी साख खोता जा रहा है.
क्या है एनआईआरएफ रैकिंग : केंद्र सरकार द्वारा देश के सभी राष्ट्रीय संस्थानों की बैंकिंग के लिए एनआईआरएफ रैंकिंग की शुरूआत 2016 में की गई थी. एनआईआरएफ की पहली रैंकिंग में ओवरऑल कैटेगरी में डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर को देशभर में 39 वीं रैकिंग हासिल हुई थी, लेकिन 2016 के बाद सागर विश्वविद्यालय की रैंकिंग में लगातार गिरावट आती गई. मौजूदा साल में सागर विश्वविद्यालय को टॉप 200 संस्थान में जगह नहीं मिली.इसके पहले 2017 में विश्वविद्यालय की रैंकिंग 100 से 150 संस्थानों के बीच रैकिंग आई थी. 2020 में आई रैकिंग में सागर विश्वविद्यालय और पिछड़ गया और 166 वीं रैंकिंग आई.
ऐसे आई रैकिंग में गिरावट :
- वर्ष 2016 -- देश में 39वीं रैंक
- वर्ष 2017 -- 100 से 150 के स्लैब में जगह
- वर्ष 2018 -- टॉप-200 में नहीं
- वर्ष 2019 -- टॉप-200 में नहीं
- वर्ष 2020 -- 166 वीं रैंक
- वर्ष 2021 -- टॉप-100 में नहीं
- वर्ष 2022 -- टॉप-200 में नहीं
क्यों पिछड़ गया विश्वविद्यालय : - विश्वविद्यालय में छात्रों के मुकाबले शिक्षकों की कमी : एनआईआरएफ रैंकिंग की टीचर्स लर्निंग एंड रिसोर्सस (टीएलआर) कैटेगरी में विश्वविद्यालय का प्रदर्शन लगातार गिरता जा रहा है. विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या के अनुपात में है विश्व विद्यालय में शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षा और शोध का स्तर लगातार गिर रहा है. विश्वविद्यालय में होने वाले रिसर्च में कमी आई है.
- शोध और व्यावसायिक पाठ्यक्रम में गिरावट : एनआईआरएफ रैंकिंग की रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस (आरपीसी) की कैटेगरी में भी गिरावट देखने को मिली है. पेपर पब्लिकेशन और प्रोजेक्ट में गिरावट देखने में मिली है. विश्वविद्यालय में शोधार्थियों की संख्या घट रही है और नए प्रोजेक्ट ना के बराबर आ रहे हैं.
- स्नातक कक्षाओं के स्तर में गिरावट : एनआईआरएफ रैंकिंग के तहत ग्रेजुएशन आउटकम (जीओ) में गिरावट देखने को मिली है. स्नातक पाठ्यक्रमों में छात्र प्रवेश तो ले रहे हैं, लेकिन उनका रिजल्ट लगातार गिर रहा है.
- विश्वविद्यालय की छवि : एनआईआरएफ रैंकिंग के तहत विश्वविद्यालय को लेकर छात्रों और आम जनों के परसेप्शन को भी देखा जाता है. पिछले सालों में विश्वविद्यालय की नकारात्मक छवि ज्यादा उभरी है. विश्वविद्यालय के सेमिनार में आने वाले विद्वानों का विरोध, धार्मिक मुद्दों से जुड़े विवादों ने भी विश्वविद्यालय की छवि खराब की है.
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क्या कहते हैं जिम्मेदार : लंबे समय तक विश्वविद्यालय के कुलपति का पद खाली रहने के बाद पिछले साल प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता को सागर विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया है. लगातार गिरती रैंकिंग को देखते हुए उन्होंने एक कमेटी बनाई है और यह कमेटी उन बिंदुओं पर अध्ययन कर रही है, जिनके कारण विश्वविद्यालय की रैंकिंग में गिरावट आई है.