सागर। आदिवासी नायकों के सहारे आदिवासियों में पैठ बनाने की कोशिश में जुटी भाजपा अब अनुसूचित जाति के विभिन्न वर्गों में पैठ बनाने में जुट गई है, इसके लिए बीजेपी अनुसूचित जाति के महापुरुषों की जयंती (BJP Respecting Tribal Great Men) मनाने का सिलसिला शुरू करने जा रही है. इसी कड़ी में भाजपा को सदगुरु कबीर की (BJP will organize Kabir Mahakumbh in Sagar) याद आई है, भाजपा अब सागर में कबीर कुंभ आयोजित करने की तैयारियां कर रही है. इसी सिलसिले में सागर के भाजपा नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मुलाकात की है और कबीर कुंभ के आयोजन का प्रस्ताव रखा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी सदगुरु कबीर कुंभ के आयोजन के लिए सैद्धांतिक सहमति दे दी है.
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कबीर कुंभ के आयोजन पर मुख्यमंत्री से मंत्रणा
सोमवार को भोपाल में पूर्व मंत्री नारायण कबीरपंथी, सागर विधायक शैलेन्द्र जैन के साथ सागर स्थित सदगुरू कबीर आश्रम के स्वामी रामजीवन दास शास्त्री ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मुलाकात की और सागर में पिछले वर्षों की तरह इस साल सदगुरू कबीर कुंभ के आयोजन पर चर्चा की गई. मुख्यमंत्री ने आयोजन को लेकर सैद्धांतिक सहमति दे दी है. हालांकि, आयोजन के स्वरूप और तारीख पर अभी फैसला नहीं हुआ है. इसके पहले साल 2012 में सागर में कबीर महाकुंभ का आयोजन हुआ था. 2017 में भी कबीर महाकुंभ का आयोजन किया गया था, जिसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शामिल हुए थे.
कोरी और कबीरपंथियों को रिझाने की कोशिश
कबीर पंथ को मानने वाले और खासकर कोरी जाति के लोगों को आकर्षित करने के लिए भाजपा कबीर कुंभ का आयोजन लंबे समय से करती आ रही है, पहले यह आयोजन उज्जैन में आयोजित किया जाता था, लेकिन 2012 से इसका आयोजन सागर में किया जाने लगा है. मध्यप्रदेश में कोरी जाति और कबीर पंथ के अनुयायियों की संख्या करीब 40 लाख है. अकेले बुंदेलखंड में करीब 5 लाख कोरी जाति के लोग और अनुयायी हैं, अनुसूचित जाति वर्ग के अंतर्गत आने वाले इस तबके को रिझाने के लिए कबीर कुंभ का आयोजन किया जा रहा है. 2 साल बाद मध्य प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव हैं और हाल ही में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी चुनाव होने हैं.
क्या कहना है भाजपा का
पूर्व मंत्री नारायण कबीरपंथी इस आयोजन के मुख्य कर्ताधर्ता माने जा रहे हैं, उनका कहना है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार के समय यह परंपरा शुरू हुई थी. शुरुआत में ये आयोजन उज्जैन में किया जाता था, लेकिन 2012 से सागर में आयोजन किया जाने लगा. 2017 में सागर में हुए आयोजन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शामिल हुए थे, लेकिन उसके बाद ये आयोजन नहीं हुआ. कबीर महाकुंभ फिर शुरू किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से मुलाकात की गई है और उन्होंने आयोजन को लेकर सैद्धांतिक सहमति जताई है. हालांकि अभी तारीख और आयोजन के स्वरूप पर चर्चा नहीं हुई है, लेकिन जल्दी ही आयोजन को लेकर अगली बैठक होगी.
चुनावी समर में याद आते हैं महापुरुष
मध्यप्रदेश कांग्रेस के अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष सुरेंद्र चौधरी का कहना है कि जब बीजेपी को सत्ता की चाह बढ़ती है तो उसे अलग-अलग धर्मों और जातियों के महापुरुषों की याद आती है. बड़ा सवाल ये है कि प्रदेश की भाजपा सरकार इन महापुरुषों की बताये राह पर कितनी चल रही है और क्या काम कर रही है. कबीर पंथ से जुड़े सागर के दामोदर कोरी को जिला अस्पताल में जिंदा जला दिया जाता है, लेकिन सरकार और भाजपा की तरफ से किसी तरह की सहानुभूति तक नहीं जताई जाती है. आज तक उन आरोपियों का पता नहीं चला. सरकार द्वारा चलाई जा रही इस वर्ग की योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है, चारों तरफ बेरोजगारी बढ़ रही है और लोग परेशान हैं. सत्ता की चाहत में बीजेपी के इस चेहरे को हम जनता के सामने बेनकाब करेंगे.