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आस्था या अंधविश्वास ? नंगे पांव अंगारों पर चलते हैं लोग

देवरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सिलारी में हर साल दो दिवसीय अग्निकुण्ड मेले का आयोजन किया जाता है. ये मेला आस्था की अनोखी मिशाल पेश कर रहा है. इस मेले में श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण होने पर अग्नि कुण्ड से नंगे पैर निकलते हैं.

Fire pit fair
अग्निकुण्ड मेला
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Published : Dec 31, 2020, 7:29 PM IST

सागर। देवरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सिलारी में हर साल दो दिवसीय अग्निकुण्ड मेले का आयोजन किया जाता है. ये मेला आस्था की अनोखी मिशाल पेश कर रहा है. इस मेले में श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण होने पर अग्नि कुण्ड से नंगे पैर निकलते हैं . मेले परिसर में स्थित श्री देव हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित राजेश शास्त्री ने बताया कि यह मेला सालों से यहां आयोजित होता आ रहा है. लोग अपनी मन्नत मांगते हैं मन्नत पूरी होने पर अंगारों में से नंगे पैर निकलते हैं.

अग्निकुण्ड मेला

क्या है मान्यता ?

ऐसा माना जाता है की हनुमान जी को तपेश्वरी महाराज अपने कंधे पर बैठाकर चार धाम परिक्रमा को निकले थे. हर जगह थोड़ा-थोड़ा विश्राम कर आगे बढ़ते थे सिलारी पहुंचने के बाद उन्होंने विश्राम किया, और फिर हनुमान जी उनके कंधे पर बैठे, लेकिन तपेश्वरी महाराज उठ नहीं पाए, ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी उसी समय से निरंतर प्रतिमा के रूप में सिलारी में ही विद्यमान है. कुछ समय बाद में उस स्थान पर हनुमान मंदिर बनाया गया और बाद में तपेश्वरी महाराज हनुमान जी के मंदिर के पीछे समाधि के रूप में विराजित हो गए. ऐसा मानना है कि प्रतिदिन वेरी साल बब्बा हनुमान जी से मिलने और उनके दर्शन करने प्रतिदिन सिलारी घोड़े पर बैठ कर आया करते थे. उनके घोड़े के पद चिन्ह आज भी मन्दिर में विद्यमान है.

क्यों होता है मेले का आयोजन ?

ऐसा माना जाता है कि सालों पहले राजाराम पटेल मंदिर में सोए हुए थे, अखंड रामायण का पाठ चल रहा था तभी हनुमान जी महाराज का स्वप्न राजाराम पटेल को आया और हनुमान जी बोले की अग्निकुंड में से निकलो तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी. लगभग रात के 2 बजे राजाराम पटेल कुंडा खोल के उसमें अग्नि जला के रात में ही निकले जिससे वह जले नहीं और फिर मंदिर पर आकर सो गए, उन्हें हनुमान जी का दोबारा सपना आया कि सुबह से अग्निकुंड मिलेगा, आयोजन करो, जिससे सभी भक्तों की इच्छाएं पूरी हो सकें.

सागर। देवरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम सिलारी में हर साल दो दिवसीय अग्निकुण्ड मेले का आयोजन किया जाता है. ये मेला आस्था की अनोखी मिशाल पेश कर रहा है. इस मेले में श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण होने पर अग्नि कुण्ड से नंगे पैर निकलते हैं . मेले परिसर में स्थित श्री देव हनुमान मंदिर के पुजारी पंडित राजेश शास्त्री ने बताया कि यह मेला सालों से यहां आयोजित होता आ रहा है. लोग अपनी मन्नत मांगते हैं मन्नत पूरी होने पर अंगारों में से नंगे पैर निकलते हैं.

अग्निकुण्ड मेला

क्या है मान्यता ?

ऐसा माना जाता है की हनुमान जी को तपेश्वरी महाराज अपने कंधे पर बैठाकर चार धाम परिक्रमा को निकले थे. हर जगह थोड़ा-थोड़ा विश्राम कर आगे बढ़ते थे सिलारी पहुंचने के बाद उन्होंने विश्राम किया, और फिर हनुमान जी उनके कंधे पर बैठे, लेकिन तपेश्वरी महाराज उठ नहीं पाए, ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी उसी समय से निरंतर प्रतिमा के रूप में सिलारी में ही विद्यमान है. कुछ समय बाद में उस स्थान पर हनुमान मंदिर बनाया गया और बाद में तपेश्वरी महाराज हनुमान जी के मंदिर के पीछे समाधि के रूप में विराजित हो गए. ऐसा मानना है कि प्रतिदिन वेरी साल बब्बा हनुमान जी से मिलने और उनके दर्शन करने प्रतिदिन सिलारी घोड़े पर बैठ कर आया करते थे. उनके घोड़े के पद चिन्ह आज भी मन्दिर में विद्यमान है.

क्यों होता है मेले का आयोजन ?

ऐसा माना जाता है कि सालों पहले राजाराम पटेल मंदिर में सोए हुए थे, अखंड रामायण का पाठ चल रहा था तभी हनुमान जी महाराज का स्वप्न राजाराम पटेल को आया और हनुमान जी बोले की अग्निकुंड में से निकलो तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी. लगभग रात के 2 बजे राजाराम पटेल कुंडा खोल के उसमें अग्नि जला के रात में ही निकले जिससे वह जले नहीं और फिर मंदिर पर आकर सो गए, उन्हें हनुमान जी का दोबारा सपना आया कि सुबह से अग्निकुंड मिलेगा, आयोजन करो, जिससे सभी भक्तों की इच्छाएं पूरी हो सकें.

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