रीवा। कोई आम इतना भी खास हो सकता है कि सरकार को उसके लिए एक डाक टिकट जारी करने पड़े, तो आप उससे ही अंदाजा लगा सकते हैं कि उसकी मिठास और उसकी सुंदरता के क्या मायने होंगे. जी हां आज हम आपको एक ऐसे आम के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आमों का राजा भी कहलाता है. इस आम की खास बात यह भी है कि इस आम का सेवन diabetic patients भी कर सकते है. विश्व का यह एक ऐसा आम है जिसे डॉक्टर डायबटीज के मरीजों को खाने की सलाह भी देते है. सुन्दरजा आम अपनी इस खासियत को लेकर समूचे देश सहित विश्व के अन्य देशों में भी विख्यात है. इसकी मिठास कोयल की मीठी वाणी से भी ज्यादा मधुर है, जिसकी वजह से बाजारों में इसकी मांग भी रहती है.
- डॉक्टरों की माने तो कम मात्रा में कर सकते हैं इस आम का सेवन
डॉक्टरों की माने तो मधुमेह रोगियों के लिए आमतौर पर किसी भी प्रकार के फल का सेवन करने पर प्रतिबंध नहीं है. लेकिन अगर फल की मिठास थोड़ी कम हो, तो उसका सेवन करने की कोशिश करनी चाहिए. जिसके तहत डॉक्टरों ने मधुमेह रोगियों के लिए कम मात्रा में मैं जामुन, नाशपाती जैसे फलों के सेवन को कहा जाता है. ऐसे में रीवा में उपजित सुंदरजा आम भी कम मिठास के लिए जाना जाता है, जिसके कारण इसका भी सेवन मरीज कर सकते हैं.
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- मधुमेह के मरीज भी चख सकते हैं सुन्दरजा आम का स्वाद
मधुमेह के मरीज जाम सिंह चोगढ़ का कहना है कि वह पिछले 7 वर्षों से शुगर के मरीज है और डाक्टरों की सलाह पर वह बड़ा परहेज करते है. और वह खाने में चुनिदा फलों का सेवन ही करने के लिए कहा जाता है. लेकिन सुन्दरजा आम में सुगर की काफी कम मात्रा होने के चलते वह डाक्टरों की सलाह पर सुन्दजा आम का सेवन करते है, लेकिन काफी कम मात्रा में आम का सेवन करते है.
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- रीवा जिले के गोविंदगढ़ की देन है 'सुन्दरजा आम'
मध्य प्रदेश में पाई जाने वाली आम की करीब 213 प्रजातियों में से सबसे प्रमुख सुन्दरजा है. यह मुख्यता रीवा जिले के गोविंदगढ़ की देन है, जो अब पूरे देश की नर्सरियों में पाया जाता है. दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, पाकिस्तान, इंग्लैंड और अमेरिका सहित अरब देशों में सुन्दरजा अपनी खासियत के चलते आम प्रेमियों को लुभाता है. मुंबई जैसे शहरों में इस आम की कीमत लगभग 1,300 से 1,500 रुपए है. इसकी खासियत ये है कि सुन्दरजा में सेंट जैसी खुशबू होती है और जैसा इसका नाम है, देखने में भी उसी तरह सुंदर दिखाई देता है. इस सुन्दरजा आम की खुशबू ऐसी है कि इसे आंख मूंदकर भी पहचाना जा सकता है. जिसके चलते लोग सुन्दरजा आम को बेहद पसंद करते हैं.
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- सुन्दरजा आम के नाम से 1968 जारी हुआ था डाक टिकट
वर्ष 1968 में इस के नाम से एक डाक टिकट भी जारी हुआ था. सुन्दरजा आम में कई तरह के गुण पाए जाते हैं. डीएम की प्रजातियों में सबसे बेहतर माना जाता है. डायबिटीज के मरीज भी इस आम का स्वाद उठा सकते हैं, और कई दिनों तक इसे रखा जा सकता है. सुन्दरजा के एक छोटे से पेड़ में 100 से 125 किलो की पैदावार होती है, और एक आम का वजन कम से कम 200 से 500 ग्राम होता है. सुन्दरजा आम के साथ-साथ फल अनुसंधान केंद्र कुठुलिया में लॉकडाउन के नाम से भी एक आम मौजूद है. इसके अलावा रीवा में अमरपाली, दशहरी, लंगड़ा, मल्लिका, बेंगलुरु, चौसा, बॉम्बे ग्रीन, सहित आम की कुल 150 प्रजातियां मौजूद है. और इन सभी आमों का उत्पादन भी इस बार काफी बढ़ा है और आमों की यह सभी प्रजातियां लोगों को खूब पसंद है.
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- रीवा राजघराने की पसंद रहा है सुन्दरजा आम
गोविंदगढ़ के किला परिषर में मौजूद आम का बाग और सुंदरजा के पौधे रीवा राजघराने की देन है. और यह सुन्दरजा आम रीवा राजघराने की खास पसंद में शामिल रहा था. गोविंदगढ़ की पहचान यूं तो सफेद शेरों से रही है और आज विश्व भर में मौजूद सफेद शेर रीवा के इसी गोविंदगढ़ की देन है. सफेद शेरों के बाद अब सुन्दरजा आम भी देश और विश्व के अन्य देशों में मशहूर हो चुका है.
- कुठुलिया में स्थित है 150 प्रजातियों के पेड़ों का आम अनुसंधान केंद्र
रीवा के कुठूलिया अनुसंधान केंद्र में स्थित बगीचे के बागवान संजय केवट का कहना है कि यह अनुसंधान केंद्र एग्रीकल्चर कॉलेज का है. जो की मध्य प्रदेश का सबसे अनुसंधान केंद्र है. और इस अनुसंधान केंद्र में तकरीबन 150 आमों की प्रजातियां मौजूद है. संजय केवट का कहना है कि इस बगीचे में सबसे अच्छी प्रजाती सुन्दरजा आम की है. और इस आम का उत्पादन भी काफी मात्रा में होता है. इस आम की सबसे बड़ी खासियत यह है इस आम का स्वाद डायबटीज के मरीज भी चख सकते है, क्योंकि सुन्दरजा आम में शुगर की मात्रा काफी कम पाई जाती है.
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- महाराजा मार्तंड सिंह ने कराई थी इस आम की ब्रीडिंग
कहा जाता है कि रीवा रियासत के महाराजा मार्तंड सिंह ने गोविंदगढ़ में इस आम की ब्रीड को तैयार करवाया था. और उसी ब्रीड की प्रजाति आज विंध्य सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में फैली हुई है. जिस तरह से लखनऊ में दशहरी आम मशहूर है उसी तरह से रीवा का सुन्दरजा आम भी मशहूर है. पहले लखनऊ से दशहरी रीवा के लिए ट्रांसपोर्ट किया जाता था, अब उसी तरह से सुन्दरजा आम लखनऊ के लिए भेजा जाता है. सुन्दरजा आम एक और बड़ी खासियत यह की उसे एक सामान्य वातावरण में 21 दिनों तक कमरे के अंदर रखा जा सकता है.
- सुन्दरजा आम में मात्र 5% ही पाई जाती है शुगर की मात्रा
कुठूलिया आम अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञ बताते है कि इस बगीचे में सैकड़ों आम की प्रजातियां है. लेकिन एक खास आम सुन्दरजा है, जिसका स्वाद मधुमेह के मरीज भे चख सकते है. इनके अलावा लंगड़ा, दशहरा, हाथी झूल, जर्दालु और चौसा जैसे खास किस्म के आम यहां पाए जाते है. लेकिन इन सभी आमों में मिठास की मात्रा काफी ज्यादा होती है. वहीं सुन्दरजा आम की बात की जाए तो इसमें शुगर की मात्र 5 प्रतिशत ही पाई जाती है.