रीवा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार को रीवा आएंगे. शहर से लगभग 80 किलोमीटर दूर त्योंथर कस्बे में स्थिति कोलराजाओं के गढ़ कोलगढ़ी पहुंच कर दोपहर 2:00 बजे अयोजित कार्यक्राम में शमिल होंगे. यहां पर वह लगभग 200 साल पहले कोलराजाओं के द्वारा स्थापित की गई कोलगढ़ी के जीर्णोधार के लिए इसकी आधारशिला रखते हुए भूमि पूजन करेंगे. इसके साथ ही मुख्यमंत्री त्योंथार सिंचाई परियोजना के शिलान्यास और स्वामित्त्व योजना के तहत हितग्राहियों को भू-अधिकार पत्र का वितरण भी करेंगे.
कोलगढ़ी का जल्द होगा जीर्णोधार: कोलगढ़ी रीवा जिले के त्योंथर कस्बे में एक ऊंचे टीले पर टमस नदी के किनारे स्थित है. पुराविदों के द्वारा कोलगढ़ी किला को लगभग 200 साल पुराना बताया जाता है. वर्तमान समय में कोलगढ़ी का छोटा किला भवन जीर्ण-शीर्ण हालत में है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके जीर्णोंद्धार की घोषणा की थी. इसके लिए 324.70 लाख रुपए मंजूर किए गए हैं. सीएम शिवराज 9 जून को कोलगढ़ी के जीर्णोद्धार कार्य का भूमिपूजन कर इसकी आधारशिला रखेंगे. इसके साथ ही सीएम शिवराज त्योंथर सिंचाई परियोजना का शिलान्यास और हितग्राहियों को स्वामित्व योजना के तहत भू-अधिकार पत्र वितरण करेंगे.
संग्राहालय का निर्माण: कोलगढ़ी आदिवासी कोल राजाओं के वैभवशाली शासन का प्रतीक है. मुख्यमंत्री ने कोलगढ़ी के जीर्णोंद्धार के साथ ही यहां पर कोल संस्कृति के संरक्षण के लिए कोल संग्रहालय के निर्माण के भी निर्देश दिए हैं. इस संग्रहालय में कोल समुदाय की संस्कृति से जुड़ी वस्तुएं भी प्रदर्शित की जाएंगी. कोलगढ़ी का जीर्णोधार और संग्रहालय के निर्माण होने के बाद यह क्षेत्र कोल समाज के लिए तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाएगा. इसके संग्रह हो जाने से लोग आदिवासियों का इतिहास भी बेहतर तरीके से जान सकेंगे. साथ ही यह इलाका भी पर्यटन की दृष्टि से देखा जाएगा.
कोलराजाओं के रीवा राजघराने से थे मित्रवत संबंध: विंध्य क्षेत्र में लंबे समय से गुजरात चालुक्य शाखा के बघेल राजाओं का शासन रहा है. इनका राज्य बहुत विस्तृत था. इस राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में कई छोटे राजाओं ने शासन किया. इनके रीवा में राजाओं से मित्रवत संबंध रहे हैं. इसी तरह का राज्य त्योंथर में था, जिसे कोलगढ़ी के नाम से जाना जाता है. बघेली बोली में गढ़ी छोटे किले को कहा जाता है. यहां पर कोलगढ़ी होने से यह स्पष्ट होता है कि यह कोल राजाओं का किला है.
प्राचीन काल से राजवंशीय राजनीति: बताया जाता है कि त्योंथर क्षेत्र प्राचीन काल से ही राजवंशीय राजनीति का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है. महाभारत काल के भूरिश्रवा की विजायंठ की कथा से लेकर आदिवासी राजा एवं बेनूवंशी राजाओं की कहानी त्योंथर की कोलगढ़ी से जुड़ी हुई है. बहुत कम लोग ही यह जानते हैं कि इस कोलगढ़ी से कभी भुर्तिया राजाओं ने भी अपना शासन चलाया था. यहां भुर्तिया राजाओं ने शासन किया और उनका प्रशासन त्योंथर स्थित कोलगढ़ी से ही चलता था.
संगम किनारे स्थित है त्योंथर: जिस तरह से गंगा और यमुना नदी के संगम किनारे प्रयागराज स्थिति है. ठीक उसी प्रकार से ही त्योंथर क्षेत्र भी तमसा नदी एवं खरारी नदी के संगम के किनारे पर स्थित है. इसके साथ ही विन्ध्य पर्वत की तलहटी में होने के कारण ही यह राजधानी की सुरक्षित जगह समझी जाती थी. स्थानीय शासकों के लिए यह स्थान उपयुक्त था. बघेल राजवंश के पूर्व से ही त्योंथर इलाके में आदिवासी राजाओं का शासन था.
कोलगढ़ी किले का अस्तित्त्व: कोल राजवंश स्थापित होने के बाद यहां पर तमसा नदी के किनारे कोलगढ़ी यानी की छोटे से एक किले का निमार्ण करवाया गया जिसका नाम कोलगढ़ी हुआ. कई साल बीत जाने के बाद यह किला देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खोता गया और धीरे-धीरे कर इसकी हालत जर्जर होती गई, लेकिन जल्द ही अब इस कोलगढ़ी का जीर्णोंद्धार होने जा रहा है.
कोलगढ़ी किले का जीर्णोंद्धार: कोलगढ़ी के जीर्णोंद्धार के कार्य को लोग चुनाव की दृष्टि से भी देख रहे हैं. इसी साल 2023 के अंत यानी की दिसंबर माह में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. चुनावी साल में कोलगढ़ी के होने वाले विकास कार्य को लोग महज एक चुनावी स्टंट मान रहे हैं. लोगों का कहना है कि चुनावी साल में सीएम शिवराज कोलगढ़ी का जीर्णोंद्धार करवा रहे हैं, जिससे की आदिवासी वोट बटोरे जा सकें.