ETV Bharat / state

एक ऐसा पौधा जो कभी बुढ़ापा ही ना आने दे, इसके सेवन से लोग हमेशा रहते हैं जवान

author img

By

Published : Jan 11, 2020, 11:05 PM IST

अनादि काल में ऋषि सोमरस का सेवन किया करते थे, जिससे वे हमेशा जीवन रहते थे. रीवा में एक ऐसे ही पौधे को वैज्ञानिकों ने खोजा था, जिसके संरक्षण का कार्य रीवा वन विभाग में चल रहा है.

People are always young with the use of Somavalli plant
सोमवल्ली पौधे के सेवन से लोग रहते हैं हमेशा जवान

रीवा। क्या कोई पौधा शरीर का कायाकल्प कर सकता है. या फिर इसे खाने से कभी बुढ़ापा ही ना आए. अनादि काल में ऋषि सोमरस का सेवन किया करते थे. लेकिन वास्तविक जीवन में भी ऐसा हो सकता है. रीवा में एक ऐसे ही पौधे को वैज्ञानिकों ने खोजा था, जिसके संरक्षण का कार्य रीवा वन विभाग में चल रहा है. इस पौधे के रसके सेवन से शरीर सुडोल हो जाता है और जल्द बुढ़ापा नहीं आता.

सोमवल्ली पौधे के सेवन से लोग रहते हैं हमेशा जवान

ये युगों-युगों से आकर्षक का केंद्र केवटी जलप्रपात केवटी की खाड़ी में पाया जाता है. सोमवल्ली अनादि काल में देवी देवताओं एवं ऋषि मुनि अपने को चिरायु बनाने के लिए सोमवल्ली का सेवन किया करते थे. हजारों वर्ष पुराने इस विलुप्त पौधे के बारे में अब भले ही कहीं उल्लेख नहीं मिलता. लेकिन प्राचीन ग्रंथों एवं वेदों में इसके महत्व और उपयोगिता का व्यापक उल्लेख है.

प्राचीन ग्रंथों और वेद पुराणों में सोमवल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है. देवी देवता या ऋषि मुनि इस पौधे के रस का सेवन अपने को चिरायु बनाने और बल समर्थ, समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया करते थे. इस पौधे की खासियत ये है कि इसमें पत्ते नहीं होते ये पौधा सिर्फ डंठल के आकार में लताओं के समान होता है. हरे रंग के डंठल वाले इस पौधे को नर्सरी में बेहद सुरक्षित ढंग से रखा गया है.

सैकड़ों साल पहले पृथ्वी से विलुप्त हो चुके सोमवल्ली नामक इस दुर्लभ पौधे को लेकर वन विभाग का दावा है कि ये पौधा पूरी दुनिया में अब कहीं नहीं है. केवल केवटी जलप्रपात के बीच विलय इस पौधे को वन विभाग की नर्सरी में रोपित कर उस पर अनुसंधान किया जा रहा है. प्राचीन ग्रंथों और वेदों में इसके महत्व एवं उपयोगिता का व्यापक उल्लेख है. प्राचीन ग्रंथों व वेद पुराणों में सोमवल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है.

रीवा। क्या कोई पौधा शरीर का कायाकल्प कर सकता है. या फिर इसे खाने से कभी बुढ़ापा ही ना आए. अनादि काल में ऋषि सोमरस का सेवन किया करते थे. लेकिन वास्तविक जीवन में भी ऐसा हो सकता है. रीवा में एक ऐसे ही पौधे को वैज्ञानिकों ने खोजा था, जिसके संरक्षण का कार्य रीवा वन विभाग में चल रहा है. इस पौधे के रसके सेवन से शरीर सुडोल हो जाता है और जल्द बुढ़ापा नहीं आता.

सोमवल्ली पौधे के सेवन से लोग रहते हैं हमेशा जवान

ये युगों-युगों से आकर्षक का केंद्र केवटी जलप्रपात केवटी की खाड़ी में पाया जाता है. सोमवल्ली अनादि काल में देवी देवताओं एवं ऋषि मुनि अपने को चिरायु बनाने के लिए सोमवल्ली का सेवन किया करते थे. हजारों वर्ष पुराने इस विलुप्त पौधे के बारे में अब भले ही कहीं उल्लेख नहीं मिलता. लेकिन प्राचीन ग्रंथों एवं वेदों में इसके महत्व और उपयोगिता का व्यापक उल्लेख है.

प्राचीन ग्रंथों और वेद पुराणों में सोमवल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है. देवी देवता या ऋषि मुनि इस पौधे के रस का सेवन अपने को चिरायु बनाने और बल समर्थ, समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया करते थे. इस पौधे की खासियत ये है कि इसमें पत्ते नहीं होते ये पौधा सिर्फ डंठल के आकार में लताओं के समान होता है. हरे रंग के डंठल वाले इस पौधे को नर्सरी में बेहद सुरक्षित ढंग से रखा गया है.

सैकड़ों साल पहले पृथ्वी से विलुप्त हो चुके सोमवल्ली नामक इस दुर्लभ पौधे को लेकर वन विभाग का दावा है कि ये पौधा पूरी दुनिया में अब कहीं नहीं है. केवल केवटी जलप्रपात के बीच विलय इस पौधे को वन विभाग की नर्सरी में रोपित कर उस पर अनुसंधान किया जा रहा है. प्राचीन ग्रंथों और वेदों में इसके महत्व एवं उपयोगिता का व्यापक उल्लेख है. प्राचीन ग्रंथों व वेद पुराणों में सोमवल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है.

Intro:क्या कोई पौधा शरीर का कायाकल्प कर सकता है अर्थात बुजुर्ग जवान हो जाए और बुढ़ापा ही ना आए। अनादि काल में ऋषि सोमरस का सेवन किया करते थे लेकिन वास्तविक जीवन में भी ऐसा हो सकता है। रीवा में एक ऐसे ही पौधे को वैज्ञानिक ने खोजा था जिसके संरक्षण का कार्य रीवा वन विभाग में चल रहा है इस पौधे के रसके सेवन से शरीर सुडोल हो जाता है और जल्द बुढ़ापा नहीं आता।


Body:यह युगो युगो से आकर्षक का केंद्र केवटी जलप्रपात केवटी की खाड़ी में पाया जाता है सोमवल्ली अनादि काल में देवी देवताओं एवं ऋषि मुनि अपने को चिरायु बनाने के लिए सोमवल्ली का सेवन किया करते थे हजारों वर्ष पुराने इस विलुप्त पौधे के बारे में अब भले ही कहीं उल्लेख नहीं मिलता लेकिन प्राचीन ग्रंथों एवं वेदों में इसके महत्व एवं उपयोगिता का व्यापक उल्लेख है।

प्राचीन ग्रंथों व वेद पुराणों में सोमवल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है। देवी देवताओं का ऋषि मुनि इस पौधे के रस का सेवन अपने को चिरायु बनाने एवं बल समर्थ एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया करते थे इस पौधे की खासियत यह है कि इसमें पत्ते नहीं होते यह पौधा सिर्फ डंठल के आकार में लताओं के समान होता है हरे रंग के डंठल वाले इस पौधे को नर्सरी में बेहद सुरक्षित ढंग से रखा गया है।





Conclusion:सैकड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी से विलुप्त हो चुके सोमवल्ली नामक इस दुर्लभ पौधे को लेकर वन विभाग का दावा है कि यह पौधा पूरी दुनिया में अब कहीं नहीं है केवल केवटी जलप्रपात के बीच विलय इस पौधे को वन विभाग की नर्सरी में रोपित कर उस पर अनुसंधान किया जा रहा है। प्राचीन ग्रंथों एवं वेदों में इसके महत्व एवं उपयोगिता का व्यापक उल्लेख है। प्राचीन ग्रंथों व वेद पुराणों में सोमवल्ली पौधे के बारे में कहा गया है कि इस पौधे के सेवन से शरीर का कायाकल्प हो जाता है देवी देवता वारसी मनीष पौधे के रस का सेवन अपने को चिरायु बनाने एवं बल समर्थ एवं समृद्धि प्राप्त करने के लिए किया करते थे।


बाइट- वाई पी वर्मा, सहायक वन संरक्षक।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.