रीवा। मध्यप्रदेश में एक माह बाद 230 सीटों मे विधानसभा चुनाव होने वाले है. ऐसे में "ETV BHARAT" आप सभी को प्रदेश की तमाम सीटों के बारे में बड़ी ही बारीकी से जानकारी उपलब्ध करा रहा है. आज हम आपको बताने जा रहे है विंध्य की बहुचर्चित रीवा के गुढ़ विधानसभा सीट के बारे में इस क्षेत्र में कई बड़े विकास के कार्य हुए है. यहां पर 750 मेगावॉट का सोलर प्लांट स्थापित है. जो एशिया का दूसरा सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट है. इस प्लांट पर उत्पन्न होने वाली बिजली से दिल्ली की मेट्रो ट्रेन दौड़ती है. वर्ष 2003 में पहली बार इस सीट में बीजेपी का कमल खिला जिसके बाद 2013 में कद्दावर नेता सुंदर लाल तिवारी ने पांसा पलट दिया. 2018 में एक बार फिर यहां से बीजेपी की जीत हुई और नागेंद्र सिंह विधायक चुने गए.
नागेंद्र का कपिध्वज से मुकाबला: रीवा जिले की गुढ़ सीट से 20 प्रत्याशी मैदान में हैं. भाजपा ने नागेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने कपिध्वज सिंह को प्रत्याशी बनाया है.
वर्तमान में नागेन्द्र सिंह है गुढ़ क्षेत्र के विधायक: वर्तमान में गुढ़ विधानसभा क्षेत्र से नागेंद्र सिंह यहां के भाजपा विधायक है. इस सीट में 1972 से कांग्रेस बसपा और बीजेपी का का ही बोलबाला रहा रहा है. वर्तमान विधायक नागेंद्र सिंह ने पहली बार वर्ष 1985 में इस सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था और अपनी जीत दर्ज कराई थी. इसके बाद पाला बदलकर वह बीजेपी में चले गए और 2003 मे वह बीजेपी की टिकट लेकर गुढ़ विधानसभा से चुनावी मैदानी पर उतर गए और इस सीट में बीजेपी का खाता खोल दिया. इसके बाद नागेंद्र सिंह ने 2008 के चुनाव में एक बार फिर भाजपा को जीत और वह क्षेत्र के विधायक चुने गए.
इस सीट में बीजेपी के नागेंद्र सिंह का दबदबा: हालांकि 2013 के विधानसभा चुनाव में नागेन्द्र सिंह का दबदबा काम नहीं आया. क्योंकि इस बार इस सीट में उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिऐ चुनावी मैदान में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पण्डित श्रीनिवास तिवारी के बेटे सुंदर लाल तिवारी ने मोर्चा संभाल रखा था. चुनाव हुए और इस बार कांग्रेस की जीत हुई. नागेंद सिंह को हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2018 के चुनाव हुए और इस चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार नागेंद्र सिंह ने एक बार फिर अपनी जीत दर्ज कराई. इस बार दूसरे नंबर पर सपा उम्मीदवार कुंवर कपिध्वज सिंह रहे. जबकि कांग्रेस के टिकट से चुनावी मैदान पर उतरे सुंदर लाल तिवारी की करारी हार हो गई.
गुढ़ विधानसभा सीट की खासियत: गुढ़ विधानसभा की अगर बात करें तो यह क्षेत्रफल के हिसाब से रीवा जिले की सबसे बड़ी विधानसभा है. पर्यटन और धार्मिक दोनों ही रुप में गुढ़ क्षेत्र अपनी अलग पहचान बनाए हुए है. गुढ़ क्षेत्र में कई बड़े धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल भी है. यहां पर प्रसिद्ध कष्टहर नाथ शिव जी का मंदिर है. जहां दूर दराज से लोग भगवान के दर्शन करने आते हैं. इसके अलावा इस क्षेत्र में एक भैरोनाथ का मंदिर है, जहां शिवजी की आदमकद लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है.
गोविन्दगढ़ में मिला पहला सफेद शेर मोहन: कुटी बाबा का प्रसिद्ध मंदिर और खंधो माता का मंदिर है. कहते है खंधो माता मंदिर के समीप एक गुफा है जो मैहर मां शारदा के धाम तक पहुंचती है. इसके अलावा यहां कैमोर की घाटी से जुडा छुहिया पहाड़ जो बेहद ही मनमोहक है. इसके अलावा यहां पर बघेल राज वंश के द्वारा बनवाया गया ऐहतियासिक किला है. जिसका जीर्णोद्धार भी किया जा रहा है. दुनिया का पहला सफेद शेर इसी गोविंदगढ़ में पाया गया. जिसका नाम मोहन था और मोहन के ही वंशज विश्वभर में फैले हुए हैं.
1977 से 2018 तक इस सीट का चुनावी सफर: इस सीट से वर्ष 1972 के चुनाव में पहली बार कांग्रेस ने जीत हसिल की थी. 1977 के चुनाव में JNP कैंडिडेट ने यहां से बाजी मारी. वर्ष 1980 में कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट से जीत हासिल की. 1985 में नागेंद्र सिंह ने इस सीट से पहली बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा और पहली बार अपनी जीत दर्ज कराई. 1990 में CPI कैंडिडेट यहां से विधायक बने. 1993 में BSP ने इस सीट को अपने कब्जे में ले लिया. 1998 में एक बार फिर BSP कैंडीडेट मैदान पर उतरे और जीत हसिल कर ली.
1998 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे नागेंद्र सिंह: वर्ष 1998 में कांग्रेस का हाथ छोड़कर कद्दावर नेता नागेंद्र सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया. 2003 में नागेंद्र सिंह को बीजेपी ने टिकट देकर गुढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ाया. नागेंद्र सिंह दूसरी बार इस सीट से विधायक चुने गए और भाजपा ने यहां पर अपना खाता खोल लिया. 2008 में एक बार फिर BJP की टिकट लेकर नागेंद्र सिंह चुनावी रण पर उतरे और एक बार फिर इस सीट से MLA की कुर्सी पर काबिज हो गए. हालांकि 2013 में BJP उम्मीदवार नागेंद्र सिंह को हार का सामना करना पड़ा और पंडीत श्रीनिवास तिवारी के बेटे सुंदर लाल तिवारी कांग्रेस की टिकट से चुनाव लड़ कर यहां से विजयी घोषित हुए. 2018 में चुनाव हुए और नागेंद्र सिंह चौथी बार यहां के विधायक चुने गए.
2018 में सपा और बीजेपी के बीच हुआ था घमासान: 2018 में हुए चुनावों की अगर बात के जाए तो इस सीट से चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय हुआ. इस चुनाव में सपा उम्मीदवार कुंवर कपिध्वज सिंह दूसरे स्थान पर रहे, तो कांग्रेस प्रत्याशी सुंदर लाल तिवारी तीसरे स्थान पर रहे. जबकि बसपा उम्मीदवार मुनिराज पटेल चौथे स्थान पर रहे. एक बार फिर बीजेपी उम्मीदवार नागेंद्र सिंह विधायक की कुर्सी पर काबिज हो गए. बीजेपी कैंडिडेट नागेंद्र सिंह को 42569 वोट मिले और सामाजवादी पार्टी के उम्मीदवार कुंवर कपिध्वज सिंह को 34741 वोट हासिल हुए. जबकि कांग्रेस के सुंदर लाल तिवारी को 32735 मत प्राप्त हुए. वहीं वहीं चौथे स्थान पर रहे. बासपा कैंडिडेट मुनिराज पटेल को 27063 वोट प्राप्त हुए. बीजेपी कैंडिडेट नागेंद्र सिंह ने कुंवर कपिध्वज सिंह को 7828 वोटो से हराकर जीत हासिल की थी.
नागेंद्र सिंह और कपिध्वज सिंह के बीच टक्कर की थी संभावना: अब अगर 2023 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो इस बार इस सीट में पिछली बार की ही तरह घमासान देखने को मिल सकता है. क्योंकि इस चुनाव में एक बार फिर वर्तमान के बीजेपी विधायक नागेंद्र सिंह का सामना कुंवर कपिध्वज सिंह से हो सकता है. क्योंकि कुंवर कपिध्वज सिंह इस बार कांग्रेस के साथ हैं और कयास लगाए जा रहें है की कांग्रेस पार्टी अगर पूरा गुणाभाग लगाकर समीकरण फिट करते हुए कपिध्वज को उम्मीदवार घोषित करती तो इस सीट से खोया हुआ कांग्रेस का अस्तित्व वास लौट सकता है. वह इस लिए क्योंकि पिछ्ले चुनाव में कुंवर कपिध्वज सिंह ने नागेंद्र सिंह को कड़ी टक्कर दी थी.
बीजेपी विधायक ने बताए 5 सालो में हुऐ क्षेत्र के विकास कार्य: पिछले 5 साल में हुए विकास कार्यों को लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने क्षेत्रीय बीजेपी विधायक नागेंद्र सिंह से बात की तो उन्होंने बताया की क्षेत्र में पहले के मुताबिक सिंचाई का रकबा बढ़ कर दोगुना हुआ है. बीते दिनों ही 350 करोड़ की लागत की बड़ी सिंचाई परियोजना का भूमि पूजन किया गया है. गुढ़ गोविंदगढ़ और रायपुर के अस्पतालों में एंबुलेंस और एक्सरे मशीन की व्यवस्था की गई है. इन्हीं तीनों स्थान पर शासकीय कॉलेज की सौगात. बदवार में सोलर पॉवर प्लांट, मोहनिया घाट में टनल का निर्माण, गोविंदगढ़ तालाब की सफाई के लिए 6 करोड़ 50 लाख रुपए स्वीकृत हुए.
पूर्व सपा प्रत्याशी ने बताया मात्र कागजो पर हुए विकास कार्य: 2018 के चुनाव में सपा प्रत्याशी रहे कुंवर कपीध्वज सिंह का कहना है की वर्तमान बीजेपी विधायक के द्वारा क्षेत्र में विकास के नाम पर कोई कार्य नहीं हुए. टनल और सोलर प्लांट को वह अगर विकास मानते हैं तो वह उनके दायरे से बाहर है. शायद वर्तमान विधायक यह मान चुके थे की इस बार उन्हें टिकट नहीं मिलेगा. जिसके चलते साढे़ चार सालों तक वह क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे. चुनाव नजदीक आते ही वह 6 माह से क्षेत्र में दिखाई देने लगे है. वह जिन विकास कार्यों का दावा कर रहे है वह सिर्फ कागजों तक सीमित है.
ग्रामीणों ने कहा क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का अभाव: वहींं अगर क्षेत्रीय लोगों की माने तो उनका आरोप है की क्षेत्र में आज भी कई सड़कों की स्थिती जर्जर है. समूचे विधानसभा क्षेत्र में मूलभुत सुविधाओं का अभाव है. यहां पर हरिजन और आदीवासियों की संख्या काफी ज्यादा है और बड़ी संख्या में इस समुदाय के लोग आज भी वन भूमि में ही निवासरत है. मात्र चंद लोगों को ही यहां पर पट्टा वितरण किया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है की इस क्षेत्र में जो भी बड़े बड़े विकास के कार्य हुए है वह केंद्र दरकार की योजनाओं के अन्तर्गत हुऐ है. फिर वह चाहे एशिया का दूसरा सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट या फिर देश की सबसे चौड़ी सड़क वाली टनल हो.