जबलपुर। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त ने दलील पेश करते हुए कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता वर्तमान में विधायक हैं. इसलिए ट्रायल कोर्ट को संज्ञान लेने और प्रकरण पंजीबद्ध करने का अधिकार नहीं है. दरअसल, जनपद पंचायत सिरमौर के सीईओ सुरेश कुमार मिश्रा का कुछ लोगों विवाद हुआ था. जब मिश्रा कार्यालय से वापस जा रहे थे, तभी कुछ लोगों ने उनके साथ मारपीट की और धमकी दी कि क्या विधायक के खिलाफ कार्रवाई करोगे.
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विधायक के खिलाफ धारा 307 का केस : इस मामले में पुलिस ने ट्रायल कोर्ट में चालान पेश किया. साथ ही सीईओ ने मोबाइल रिकॉर्डिंग के साथ कुछ दस्तावेज पेश किए. इन सभी पर संज्ञान लेते हुए ट्रायल कोर्ट ने 24 नवंबर को विधायक के खिलाफ भादंवि की धारा 307 का प्रकरण दर्ज कर दिया. अधिवक्ता दत्त ने बताया कि ट्रायल कोर्ट की कार्रवाई के खिलाफ एडीजे कोर्ट रीवा के समक्ष रिवीजन फाइल की गई. एडीजे कोर्ट ने क्षेत्राधिकार का हवाला देते हुए रिवीजन पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया. इसलिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. जिसके बाद न्यायालय ने उक्त निर्देश दिए.