रीवा। गोविंदगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत टीकर गांव में दूरदराज से आए प्रवासी मजदूर पेड़ों के नीचे क्वारंटाइन होने को मजबूर हैं और प्रशासनिक अमला उनकी सुध लेने को भी तैयार नहीं है. जिसके कारण अब कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलने का भी खतरा तेजी से बढ़ रहा है.
टेंट लगाकर क्वारंटाइन हो रहे लोग
देशभर में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एक ओर जहां शासन और प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है. वहीं रीवा जिले में प्रशासनिक दावों की पोल खोलती तस्वीर सामने आ रही है. जहां प्रवासी मजदूर अपने-अपने घरों में परिवार के बीच क्वारंटाइन हो रहे हैं और घरों में जगह नहीं मिल पाने के कारण वे घरों के बाहर खेतो में लगे पेड़ के छाव में क्वारंटाइन हो रहे हैं.
प्रशासन नहीं ले रहा सुध
घरों के बाहर क्वारंटाइन लोगों की प्रशासन कोई खबर नहीं ले कहा है. इन लोगों को प्रशासन ना तो कोई सहायता दे रहा है और ना ही उन्हें किसी प्रकार की समझाइश दी जा रही है. रीवा के टीकर गांव में प्रशासनिक लापरवाही के चलते अब लोग खुले आसमानों के नीचे क्वारंटाइन हो रहे हैं. प्रशासन के मुताबिक हर गांव में स्कूल के अलावा अन्य और जगहों पर क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है. लेकिन यहां तो प्रवासी मजदूर मजबूरी में ही क्वारंटाइन हो रहे हैं.
नहीं हुआ सेनिटाइजर और मास्क वितरण
आपको बता दें टीकर गांव में सरपंच और सचिव के द्वारा अभी तक मास्क और सेनेटाइजर का भी वितरण नहीं किया गया है और ना ही कोई इन ग्रामीणों की सुध लेने को तैयार है और यह हाल केवल टीकर गांव का नहीं है बल्कि समूचे जिले की यही स्थिति है.
कुछ मजबूरन घर में ही क्वारंटाइन
अन्य गांवों से अपने घर पहुंचे मजदूर में कुछ को जिला प्रशासन तरफ से उन्हें क्वारंटाइन नहीं किया गया है. जहां उनके लिए न तो शासकीय भवनों का इंतजाम किया गया है और न ही मास्क और सेनेटाइजर का वितरण किया गया है. ऐसे में कई प्रवासी मजदूर खुद को पेड़ों के नीचे क्वारंटाइन कर रहे है तो कुछ मजबूरन अपने घर पर ही क्वारंटाइन हो रहे है. ऐसे में जिला प्रशासन को इस और जल्द ही ध्यान देने की जरुरत है. नहीं तो संक्रमण फैलने का खतरा और भी बढ़ सकता है.