रीवा। कहा जाता है कि व्यक्ति कहीं भी रहे, लेकिन अपनी जड़ों को नहीं भूल पाता. उस जगह की परंपराएं हमेशा ध्यान में रहती हैं. रीवा में ऐसा ही कुछ कर रहे हैं गुजरात के मूल निवासी मधुकर धोलकिया, जो पिछले 20 सालों से पक्षियों को दाना देते आ रहे हैं.
दरअसल मधुकर धोलकिया मूलत: गुजरात के हैं और यहां की एक परंपरा रही है कि वहां का हर परिवार पक्षियों को दाना देता है. गुजरात की मान्यता है कि इंसान तो अपना पेट भर लेता है, लेकिन पक्षियों का पेट कैसे भरे. बता दें कि मधुकर धोलकिया ने यहां शिक्षक के रूप में नौकरी भी की और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद गुजरात के इस पक्षी प्रेम की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उसे यहां भी कायम रखा. पिछले 20 सालों से मधुकर के घर की छत पर रोजाना हजारों पक्षी आते हैं और प्रतिदिन 7 किलो से लेकर 10 किलो तक चावल खाते हैं. खास बात यह है कि मधुकर अपने पेंशन के रुपयों से अच्छे किस्म का चावल खरीदकर पक्षियों का पेट भरते हैं.
मधुकर को हजारों पक्षियों को दाना खाते देखना बहुत सुखद लगता है. स्वस्थ और तंदुरुस्त पक्षियों को हमेशा दाना मिलता रहे और भविष्य में भी यह सिलसिला जारी रहे, उसके लिये मधुकर ने तीन लाख रुपयों का ट्रस्ट भी बना रखा है. आने वाले समय में उनके नहीं रहने पर भी यह सिलसिला जारी रहे, वे उसकी भी व्यवस्था में लगे हैं. मधुकर समाज सेवा के अन्य कार्य भी करते हैं.