रीवा। कलेक्ट्रेट दफ्तर पहुंचे अनुसूचित जाति के लोगों का कहना है कि फिल्म में कई बार महिला पुलिसकर्मी को बसोर कहकर अपमानित किया गया है. ये बसोर समाज के लिए अपमानजनक है. फिल्म से इस तरह के डायलॉग को हटाए जाने की मांग लेकर अनुसूचित जाति के लोगों ने तहसीलदार को राष्ट्रपति कर नाम शिकायती पत्र सौंपकर जल्द कार्रवाई की मांग की है. OTT PLATEFORM 'NETFLIX' में बीते 19 मई को रिलीज हुई कटहल फिल्म का विरोध कर रहे अनुसूचित जाति के लोगों ने कहा कि पुलिसकर्मी का रोल निभा रही महिमा बसोर को पूरी फिल्म के दौरान कई बार बसोरन कहकर छुआछूत और जातिगत अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया गया है.
फिल्म के डायलॉग आपत्तिजनक : फिल्म के डायलॉग में कहा गया है "उस बसोरन दरोगा को घर लाओगे तो क्या हम उसका छुआ खाएंगे." अनुसूचित जाति के लोगों का कहना है कि इस तरह से फिल्म प्रसारित की गई है, जिससे समूचे बसोर समाज की भावनाएं आहत हुई हैं. बसोर समाज ने फिल्म निर्माता निर्देशक एवं अन्य दोषी कलाकारों के विरुद्ध मानहानि सहित एसटी-एससी एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्ध कराए जाने की मांग की है.
ये फिल्म जातिवाद व्यवस्था पर बनी : बता दें कि यह फिल्म जातिवादी व्यवस्था में पिछड़ों और महिलाओं की हालत को दर्शाती है. कहानी में मुख्य किरदार की भूमिका निभाती एक्ट्रेस सान्या मल्होत्रा ने बतौर महिमा बसोर के नाम से एक सजग और सशक्त पुलिस कर्मी का रोल प्ले किया है. लेकिन फिल्म के अलग-अलग दृश्यों में कभी उसकी जाति के कारण तो कभी उसके महिला होने के कारण उसे अपमानित किया जाता है. फिल्म में छुआछूत को लेकर भी बातें कही गई है. फिल्म कटहल चोरी पर आधारित है और यह एक हास्य फिल्म के रूप "NETFLIX" पर प्रदर्शित की गई है.
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ये है फिल्म की कहानी : कटहल की चोरी पर आधारित है. फिल्म कटहल उत्तर प्रदेश के एक काल्पनिक शहर मोबा की कहानी है. फिल्म के दृश्य में मोबा के विधायक (विजय राज) के घर से दो कटहल चोरी हो जाते हैं. राजनीतिक दबाव में पुलिस शहर से गायब हुई एक लड़की के मामले को दरकिनार कर विधायक के कटहल तलाशने में जुट जाती है. हालांकि फिल्म में इस मामले की जांच कर रही महिला पुलिसकर्मी सान्या मल्होत्रा (फिल्म में महिमा बसोर) बेहद होशियारी से कटहल मामले को लड़की की किडनैपिंग से जोड़ देती है. इसके बाद पूरा महकमा उस लड़की को तलाशने में जुट जाता है.