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बारिश से बर्बाद हुई सोयाबीन की फसल, किसानों को प्रशासन के सर्वे का इंतजार

रतलाम जिले में बीते हफ्ते से हो रही लगातार तेज बारिश कि वजह से क्षेत्र में बोई गई सोयाबीन कि फसल बर्बाद होने की कगार पर आ गई है. जिससे किसानों की परेशानियां बढ़ गई है. अब वे सरकार से मुआवजे की उम्मीद लगाएं बैठे हैं.

लगातार बारिश से सोयाबीन की फसल हुई खराब
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Published : Sep 17, 2019, 9:10 PM IST

रतलाम। जिले में लगातार बारिश से किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है. सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन की फसल को हुआ है. जिले के आलोट-जावरा और रतलाम ग्रामीण ब्लॉक में सोयाबीन की फसल पीली पढ़कर सड़ने लगी है. जिससे की चिंता बढ़ गई है. किसान अब फसलों के सर्वे के इंतजार में है.

लगातार बारिश से सोयाबीन की फसल हुई खराब

किसान अब फसल के सर्वे के लिए सरकार और प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं. लेकिन प्रशासन का कोई नुमाइंदा अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में हुए फसलों के नुकसान के आकलन के लिए नहीं पहुंचा है. किसानों ने फसल बीमा करने वाली निजी बीमा कंपनियों से भी संपर्क किया है लेकिन वहां से भी किसानों को संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया है.

रतलाम सहित मालवांचल के सभी जिलों में बीते हफ्ते हुई आफत की बारिश की वजह से सोयाबीन, उड़द और मक्का की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. मालवा क्षेत्र में खासकर सोयाबीन की जल्दी उत्पादन देने वाली किस्मों को बोया जाता है. यह फसल सितंबर के दूसरे और तीसरे हफ्ते तक पक कर तैयार हो जाती है. लेकिन इस बार हुई लगातार बारिश की वजह से सोयाबीन की फलियों में दाने अंकुरित होने लगे हैं वहीं खेतों में पानी भरा होने से पौधे और फलों में सड़न भी पैदा हो गई है.

रतलाम। जिले में लगातार बारिश से किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है. सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन की फसल को हुआ है. जिले के आलोट-जावरा और रतलाम ग्रामीण ब्लॉक में सोयाबीन की फसल पीली पढ़कर सड़ने लगी है. जिससे की चिंता बढ़ गई है. किसान अब फसलों के सर्वे के इंतजार में है.

लगातार बारिश से सोयाबीन की फसल हुई खराब

किसान अब फसल के सर्वे के लिए सरकार और प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं. लेकिन प्रशासन का कोई नुमाइंदा अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में हुए फसलों के नुकसान के आकलन के लिए नहीं पहुंचा है. किसानों ने फसल बीमा करने वाली निजी बीमा कंपनियों से भी संपर्क किया है लेकिन वहां से भी किसानों को संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया है.

रतलाम सहित मालवांचल के सभी जिलों में बीते हफ्ते हुई आफत की बारिश की वजह से सोयाबीन, उड़द और मक्का की फसलों को भारी नुकसान हुआ है. मालवा क्षेत्र में खासकर सोयाबीन की जल्दी उत्पादन देने वाली किस्मों को बोया जाता है. यह फसल सितंबर के दूसरे और तीसरे हफ्ते तक पक कर तैयार हो जाती है. लेकिन इस बार हुई लगातार बारिश की वजह से सोयाबीन की फलियों में दाने अंकुरित होने लगे हैं वहीं खेतों में पानी भरा होने से पौधे और फलों में सड़न भी पैदा हो गई है.

Intro:रतलाम जिले में बीते हफ्ते हुई भारी बारिश से जिले में करीब ढाई सौ हेक्टेयर क्षेत्र में बोई गई सोयाबीन फसल चौपट होने की कगार पर पहुंच गई है । जिले के आलोट जावरा और रतलाम ग्रामीण ब्लॉक में सोयाबीन की फसल पीली पढ़कर सड़ने लगी है। जिससे सोयाबीन की पैदावार पर खासा असर पड़ेगा। अत्यधिक वर्षा से खराब हुई फसल के सर्वे के लिए अब किसान सरकार और प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन प्रशासन का कोई नुमाइंदा अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में हुए फसलों के नुकसान के आकलन के लिए नहीं पहुंचा है। वही किसानों ने फसल बीमा करने वाली निजी बीमा कंपनियों में भी संपर्क किया है लेकिन वहां से भी किसानों को संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाया है।


Body:दरअसल रतलाम सहित मालवांचल के सभी जिलों में बीते हफ्ते हुई आफत की बारिश की वजह से सोयाबीन ,उड़द और मक्का की फसल को भारी नुकसान हुआ है। रतलाम जिले के भी जावरा, रतलाम ग्रामीण और आलोट ब्लॉक में अत्यधिक वर्षा की वजह से सोयाबीन की फसल चौपट होने की स्थिति में पहुंच गई है। मालवा क्षेत्र में खासकर सोयाबीन की जल्दी उत्पादन देने वाली किस्मों को बोया जाता है। जोकि सितंबर के दूसरे और तीसरे हफ्ते तक पक कर तैयार हो जाती है। लेकिन इस बार हुई अत्यधिक वर्षा की वजह से सोयाबीन की फलियों में दाने अंकुरित होने लगे हैं वहीं खेतों में पानी भरा होने से पौधे और फलों में सड़न भी पैदा हो गई है।अत्यधिक वर्षा से खराब हुई फसल के सर्वे के लिए अब किसान सरकार और प्रशासन से उम्मीद लगाए बैठे हैं। लेकिन प्रशासन का कोई नुमाइंदा अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में हुए फसलों के नुकसान के आकलन के लिए नहीं पहुंचा है। वही किसानों ने फसल बीमा करने वाली निजी बीमा कंपनियों में भी संपर्क क्या है जहां से उन्हें 15 दिनों में सर्वे किए जाने की बात कही जा रही है।


Conclusion:बाहर हाल अत्यधिक वर्षा से हुए नुकसान के बाद अब किसानों को फसल बीमा और सरकार से सर्वे करवा कर मुआवजे की उम्मीद है।

बाइट 01 -वीरेंद्र चौधरी( किसान)
बाइट 02- जितेंद्र( किसान)
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