रतलाम। रतलाम की डॉक्टर लीला जोशी मध्यप्रदेश की मदर टेरेसा के नाम से मश्हूर हैं. इस नाम के पीछे की वजह उनका काम है. जो वह पिछले 22 सालों से आदिवासी महिलाओं के लिए कर रही हैं. रतलाम की डॉक्टर लीला जोशी आदिवासी अंचलों में महिलाओं में खून की कमी को लेकर एक अभियान चला रही हैं. अभियान के तहत वे एनीमिया से ग्रसित महिलाओं का निशुल्क इलाज करने के साथ रक्त अल्पता के कारणों को लेकर महिलाओं को जागरुक भी कर रही हैं.
मदर टेरेसा से हुईं थी प्रभावित
डॉक्टर लीला जोशी को मध्यप्रदेश की मदर टेरेसा बनाने में अल्बेनिया के स्काप्जे में जन्मीं मदर टेरेसा का ही योगदान है, क्योंकि 1997 में डॉक्टर लीला जोशी की मुलाकात मदर टेरेसा से हुई थी. उन्हीं से प्रभावित होकर उन्होंने आदिवासी अंचलों में एनीमिया से पीड़ित महिलाओं का शिविर लगाकर निशुल्क उपचार शुरू किया था. तब से लेकर अब तक यह सिलसिला जारी है.
लीला जोशी ने बताया किस वजह से फेल होती हैं सरकारी योजनाएं
पेशे से स्त्री रोग विशेषज्ञ और रेलवे के चीफ मेडिकल डायरेक्टर के पद से रिटायर्ड डॉक्टर लीला जोशी साल 1997 से आदिवासी अंचलों में एनीमिया को लेकर अवेयरनेस कैंपेन चला रही हैं. ईटीवी भारत से साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए सरकारी योजनाएं तो लेकर आती हैं, लेकिन ग्राउंड लेवल पर योजनाओं का वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता है.इसके लिए सरकार को रिजल्ट ओरिएंटेड योजनाएं लाना चाहिए.
महिलाओं को डॉक्टर लीला जोशी का संदेश
महिलाओं के लिए विशेष संदेश में उन्होंने कहा कि महिलाएं परिवार के साथ अपने स्वयं के स्वास्थ्य की देखभाल भी आवश्यक तौर पर करें और अपनी बच्चियों को अच्छा पोषण देकर उनका भविष्य की स्वस्थ और सुरक्षित बनाएं.
पद्मश्री के लिए भी हुईं हैं चयनित
डॉक्टर लीला जोशी के चिकित्सा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान और सेवा के अथक प्रयासों के ही कारण साल 2016 में डॉ लीला जोशी का नाम भारत की 100 सफल महिलाओं की सूची में आया था, जिसके लिए उन्हें प्रणब मुखर्जी द्वारा सम्मानित किया गया था. इससे पहले डॉ जोशी को एक्ट्रेस माधुरी दीक्षित भी वुमेन प्राइज अवॉर्ड से भी नवाज चुकी हैं. अब उन्हें साल 2020 में पद्मश्री के लिए चयनित किया गया है.