रतलाम। कोरोना संक्रमण के बीच बंद पड़े स्कूलों के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है. राज्य सरकार और कोर्ट के आदेशानुसार स्कूलों को टयूशन फीस देना अनिवार्य किया गया है, लेकिन फीस कितनी देनी है इसको लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं होने के कारण स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो गई है. हांलाकि शहर के कुछ बड़े स्कूलों ने शासन की गाइडलाइन के अनुसार फीस में कटौती करते हुए अभिभावकों को राहत प्रदान की है.
लेकिन शहर के पिपलौदा रोड़ स्थित सेंट पीटर्स स्कूल के प्रबंधन ने फीस और अन्य मुद्दों पर मिलने पहुंचे अभिभावकों से मिलने से मना किया तो अभिभावकों ने स्कूल गेट के बाहर धरना दे दिया और नारे बाजी तक कर डाली. इधर स्कूल प्रबंधन कुछ अभिभावकों पर फीस ना देने और सोश्यल मीडिया पर पोस्ट डालकर स्कूल को बदनाम करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए अनुविभागीय अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है. इतना ही नहीं स्कूल प्रबंधन ने अल्पसंख्यक मंत्रालय तक इस मामले की शिकायत की है. इधर अभिभावक ने भी स्कूल प्रबंधन के खिलाफ एसडीएम को ज्ञापन दिया.
प्रबंधन ने अभिभावकों को स्कूल में प्रवेश करने से मना कर दिया
सोमवार को कुछ अभिभावक स्कूल में बच्चों की सुरक्षा इंतजाम और शासन की गाइडलाइन के बाद स्कूल द्वारा फीस में की गई कटौती के मामले में चर्चा करने स्कूल पहुंचे. लेकिन प्रबंधन ने अभिभावकों को स्कूल में प्रवेश करने से मना कर दिया और गेट पर ताले लगा दिए. जिससे नाराज अभिभावकों ने स्कूल गेट पर ही धरना दे दिया और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. अभिभावकों ने कहा कि जिन अभिभावकों की वजह से स्कूल चल रहा है, उन्ही के साथ स्कूल प्रबंधन द्वारा अभद्रता की जा रही है.
अभिभावकों के दबाव के चलते प्रबंधक फादर जार्ज जब चर्चा करने बाहर आए तो उन्होने भी अभिभावकों के साथ अभद्रता की, जिस पर अभिभावक और अधिक नाराज हो गए. नारेबाजी और धरने के बीच स्कूल प्रबंधन ने पुलिस को बुला लिया. पुलिस को देखकर अभिभावक और अधिक नाराज हो गए. अभिभावक संघ की और से निलेश मेहता, अनिल धारीवाल आदि ने बताया कि स्कूल प्रबंधन की तानाशाही के खिलाफ अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय पर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया.
स्कूल को बदनाम कर रहे हैं अभिभावक
इस मामले में स्कूल प्रबंधन ने बताया कि पूर्व में भी अभिभावकों से चर्चा करते हुए टयूशन फीस में कमी कर दी गई है. अभिभावकों को प्रतिमाह के हिसाब से तथा किश्तों में फीस जमा करवाने के लिए कहा था. लेकिन अभिभावकों ने फीस जमा नहीं की, ऐसे में अब उन्हें एक मुश्त फीस जमा करवाना है. कोर्ट के आदेशानुसार यदि फीस जमा नहीं होती है तो बच्चों को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा. सोमवार को भी अभिभावक आए थे, लेकिन स्कूल में बोर्ड परीक्षा के चलते उन्हें एक-एक करके बात करने के लिए कहा था, लेकिन वे एक साथ भीड़ के रुप में बात करने पर अड़े रहे. अभिभावकों द्वारा निजी संगठन बनाकर व्हाट्सअप पर मैसेज कर स्कूल को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. प्रबंधन ने बताया कि उनका स्कूल अल्पसंख्यक विद्यालय है जिसको निजी संगठन द्वारा लक्ष्य बनाते हुए विद्यालय की छबि को धुमिल करने का प्रयास किया जा रहा है.
जांच के बाद होगी आगे की कार्रवाई
स्कूल प्रबंधक द्वारा निजी संगठन बनाकर स्कूल को बदनाम करने वाले अभिभावकों के खिलाफ एसडीएम को ज्ञापन सौंपा है. जिस पर एसडीएम राहुल नामदेव धोटे ने बताया कि न्यायालय और शासन के निर्देशानुसार स्कूल प्रबंधन ने 30 प्रतिशत फीस कम कर दी है. रहा सवाल स्कूल को बदनाम करने या अभिभावकों द्वारा स्कूल में सुरक्षा की कमियों की जांच की तो प्रशासन अपने स्तर से जांच के बाद आगे की कार्रवाई की करेगी.