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आधुनिक हो रहे रतलाम के किसान, नई पद्धति से कर रहे खेती

रतलाम के किसान बोवनी के लिए वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं. किसान आधुनिक उपकरण रेज्ड बेड प्लांटर से खरीफ सीजन की बोवनी कर रहे हैं.

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Published : Jun 30, 2020, 10:36 AM IST

Updated : Jun 30, 2020, 1:11 PM IST

Farmers are sowing the crop with a raised bed planter
किसान रेज्ड बेड प्लांटर से कर रहे बुवाई

रतलाम। जिले के किसान अब खेती की पारंपरिक तकनीकों को छोड़ आधुनिक तकनीक अपना रहे हैं. रतलाम जिले के कलौरी, सेमलिया और नामली क्षेत्र के किसान फसल चक्र अपनाकर सोयाबीन की जगह मक्का की बोवनी नई तकनीक से कर रहे हैं. बुवाई के लिए अब किसान आधुनिक उपकरण रेज्ड बेड प्लांटर का प्रयोग कर रहे हैं. इस उपकरण की मदद से खेत में नालीदार संरचना का निर्माण होता है, साथ ही बीज की निश्चित दूरी पर बुवाई भी की जाती है, इससे बीज-खाद की बचत तो होती ही है. अत्यधिक वर्षा या बारिश की कमी की स्थिति में खेत में नमी का संतुलन बना रहता है. वहीं बुवाई की सामान्य तकनीक के मुकाबले डेढ़ गुना अधिक उत्पादन भी होता है.

किसान रेज्ड बेड प्लांटर से कर रहे फसल की बुवाई

प्रगतिशील किसान वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग कर खेती को लाभ का धंधा बनाने में लगे हैं. किसान खेती की लागत घटाने के लिए रेज्ड बेड प्लांटर तकनीक से बुवाई को अपनाया जा रहा है. कलोरी गांव के पवन जाट, सेमलिया गांव के राजेश गोस्वामी और नामली के मुकेश कुमावत जैसे प्रगतिशील किसान फसल चक्र अपना रहे हैं. साथ ही आधुनिक तकनीक से बुवाई कर खाद, बीज की बचत कर फसल उत्पादन की लागत में कमी भी ला रहे हैं.

किसान पवन जाट के अनुसार इस तकनीक से मक्का, सोयाबीन, अरहर और मूंगफली जैसी खरीफ की फसलों को भी बोया जा सकता है. रेज्ड बेड प्लांटर से बुवाई करने पर एक हेक्टेयर में 50% से 60% तक बीज और खाद की बचत होती है. बारिश नहीं होने की स्थिति में भी खेत में नमी लंबे समय तक बनी रहती है. एक निश्चित दूरी पर बीज की बुवाई होने से सभी पौधों का विकास एक समान होकर अधिक उत्पादन भी प्राप्त होता है. इस तकनीक से बुवाई किए जाने पर सामान्य से डेढ़ गुना उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.

देश की खाद्यान्न उत्पादकता में अपना अहम योगदान दे रहे किसानों के हाथ में फसल के दाम तय करना भले ही नहीं है, लेकिन नई तकनीक अपनाकर किसान फसलों के उत्पादन में लगने वाली लागत को जरूर कम करने का प्रयास कर रहे हैं.

रतलाम। जिले के किसान अब खेती की पारंपरिक तकनीकों को छोड़ आधुनिक तकनीक अपना रहे हैं. रतलाम जिले के कलौरी, सेमलिया और नामली क्षेत्र के किसान फसल चक्र अपनाकर सोयाबीन की जगह मक्का की बोवनी नई तकनीक से कर रहे हैं. बुवाई के लिए अब किसान आधुनिक उपकरण रेज्ड बेड प्लांटर का प्रयोग कर रहे हैं. इस उपकरण की मदद से खेत में नालीदार संरचना का निर्माण होता है, साथ ही बीज की निश्चित दूरी पर बुवाई भी की जाती है, इससे बीज-खाद की बचत तो होती ही है. अत्यधिक वर्षा या बारिश की कमी की स्थिति में खेत में नमी का संतुलन बना रहता है. वहीं बुवाई की सामान्य तकनीक के मुकाबले डेढ़ गुना अधिक उत्पादन भी होता है.

किसान रेज्ड बेड प्लांटर से कर रहे फसल की बुवाई

प्रगतिशील किसान वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग कर खेती को लाभ का धंधा बनाने में लगे हैं. किसान खेती की लागत घटाने के लिए रेज्ड बेड प्लांटर तकनीक से बुवाई को अपनाया जा रहा है. कलोरी गांव के पवन जाट, सेमलिया गांव के राजेश गोस्वामी और नामली के मुकेश कुमावत जैसे प्रगतिशील किसान फसल चक्र अपना रहे हैं. साथ ही आधुनिक तकनीक से बुवाई कर खाद, बीज की बचत कर फसल उत्पादन की लागत में कमी भी ला रहे हैं.

किसान पवन जाट के अनुसार इस तकनीक से मक्का, सोयाबीन, अरहर और मूंगफली जैसी खरीफ की फसलों को भी बोया जा सकता है. रेज्ड बेड प्लांटर से बुवाई करने पर एक हेक्टेयर में 50% से 60% तक बीज और खाद की बचत होती है. बारिश नहीं होने की स्थिति में भी खेत में नमी लंबे समय तक बनी रहती है. एक निश्चित दूरी पर बीज की बुवाई होने से सभी पौधों का विकास एक समान होकर अधिक उत्पादन भी प्राप्त होता है. इस तकनीक से बुवाई किए जाने पर सामान्य से डेढ़ गुना उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.

देश की खाद्यान्न उत्पादकता में अपना अहम योगदान दे रहे किसानों के हाथ में फसल के दाम तय करना भले ही नहीं है, लेकिन नई तकनीक अपनाकर किसान फसलों के उत्पादन में लगने वाली लागत को जरूर कम करने का प्रयास कर रहे हैं.

Last Updated : Jun 30, 2020, 1:11 PM IST
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