रतलाम। सिमलावदा गांव के पर्यावरण प्रेमियों ने स्कूल परिसर की बंजर और पथरीली जमीन पर अपनी मेहनत से दो हजार पेड़ पौधे उगा दिए हैं. यही नहीं इन पर्यावरण प्रेमियों ने इन पौधों को जिंदा रखने के लिए दिन रात मेहनत की है और इसी मेहनत का नतीजा है कि स्कूल परिसर में 2 हजार से अधिक पेड़ पौधे अब लहलहा रहे हैं.
रतलाम के सिमलावदा गांव के शासकीय स्कूल परिसर में पानी की कमी और पथरीली जमीन होने की वजह से पेड़ पौधों का नामोनिशान नहीं था, लेकिन इसी स्कूल से पढ़कर बड़े हुए युवाओं ने स्कूल के शिक्षकों के साथ मिलकर सघन वृक्षारोपण करने का बीड़ा उठाया और जुलाई 2019 में गड्ढे खोदकर 2 हजार पौधे लगा दिए. लेकिन पौधे लगाने से अधिक दुष्कर और मुश्किल कार्य इन पौधों को जीवित रखना और सिंचाई करना था. जिसके लिए इन पर्यावरण योद्धाओं ने आपस में जिम्मेदारी बांटकर इन पौधों की देखरेख की.
गर्मी के दिनों में पानी की कमी होने पर गांव के लोगों की मदद से तालाब से पाइप लाइन द्वारा पानी लाकर इन पौधों की सिंचाई करने का कार्य भी इन युवाओं ने किया है. खास बात यह है कि पर्यावरण के इन योद्धाओं ने अपने द्वारा लगाए गए 100% पौधों की रक्षा करने में सफलता प्राप्त की है. गांव के युवा विशाल, शिवराज चौहान, खेल शिक्षक दिलीप सिंह परमार और विद्यालय के शिक्षकों ने अपनी अथक मेहनत और जुनून के दमपर पथरीली जमीन में भी लहराते पेड़-पौधों का उद्यान तैयार कर दिया है.
विद्यालय परिसर के इस उद्यान में आम, अमरूद सीताफल, आंवला जैसे फलदार पौधों के साथ नीम ,शीशम और पीपल जैसे छायादार वृक्ष भी लगाए गए हैं, जो विद्यालय परिसर में आने वाले छात्रों को न सिर्फ शुद्ध हवा और छाया देंगे, बल्कि उन्हें भी पर्यावरण की रक्षा करने की प्रेरणा देते रहेंगे.
बहरहाल अपनी कड़ी मेहनत और जज्बे से इन पर्यावरण प्रेमियों ने समाज के सामने मिसाल पेश की है. वहीं अपनी सफलता से प्रोत्साहित होकर इन पर्यावरण योद्धााओं का अगला संकल्प गांव के पास स्थित एक बंजर पहाड़ी को पेड़ पौधे लगाकर हरा-भरा करने का है, जिसके लिए इन युवाओं ने विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ अभियान चलाने का निर्णय लिया है.