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World Blood Donor Day 2022: थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को ये देते हैं नई जिंदगी, मिल चुका है नेशनल लेवल अवॉर्ड

रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए विश्व भर में 14 जून को विश्व ब्लड डोनेट डे मनाया जाता है. हर साल खून की कमी से ना जाने कितने लोग अपनी जान गवाते हैं, जबकि इस कमी को मात्र एक फीसदी आबादी रक्तदान कर पूरा कर सकती है. (World Blood Donor Day 2022)

World Blood Donor Day 2022
विश्व रक्त दाता दिवस 2022
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Published : Jun 14, 2022, 12:08 PM IST

राजगढ़। खून की कमी से हर साल ना जाने कितने लोग अपनी जान गवाते हैं, जबकि इस कमी को मात्र एक फीसदी आबादी रक्तदान कर पूरा कर सकती है. रक्त का दान सबसे बड़ा दान होता है. आज विश्व ब्लड डोनेट डे के दिन हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने ना केवल मध्यप्रदेश में बल्कि देश के कई राज्यों में खून की कमी पड़ने पर उनकी मदद की है. इस सब की शुरूआत प्रकाश शर्मा ने 5 साल पहले हुई थी और आज ब्लड डोनर आर्मी ग्रुप बनाकर हर जरुरतमंद की मदद कर रहे हैं. इस काम के लिए उनका राष्ट्रीय लेवल पर भी सम्मान हो चुका हूं. (World Blood Donor Day 2022)

World Blood Donor Day 2022
विश्व रक्त दाता दिवस: थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को ये देते हैं नई जिंदगी

ऐसे पीड़ित लोगों के लिए करते हैं काम: प्रकाश शर्मा ने बताया कि 5 साल पहले एक थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे को ब्लड की जरूरत पड़ी थी. तब उन्होंने कई लोगों से मदद मांगी, लेकिन 3 दिनों तक जब उन तक मदद नहीं पहुंच पाए, तो वह निराश होने लगे और अपनी फेसबुक की वॉल पर उन्होंने एक पोस्ट को डाला. जहां एक सामाजिक कार्यकर्ता ने उनकी मदद की और बच्चे को रक्त उपलब्ध करवाया. जिसके बाद प्रकाश शर्मा ने ब्लड डोनर आर्मी ग्रुप की शुरुआत की. जिसमें धीरे-धीरे लोगों का जुड़ना शुरू हुआ और आज देशभर के लाखों लोग इसमें जुड़ चुके हैं.

मिल चुका है नेशनल लेवल का पुरस्कार: प्रकाश ने बताया कि कोरोना काल में भी इस संगठन के लोगों ने सैकड़ों यूनिट ब्लड डोनेट किया है. ना सिर्फ इंदौर, भोपाल, जबलपुर बल्कि कोटा, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में भी वे एक फोन कॉल पर जरुरतमंद को खून उपलब्ध करते हैं. बता दें कि प्रकाश के नेक काम के लिए उनको नेशनल लेवल का पुरस्कार भी मिल चुका है. उन्होंने बताया कि लगभग 1 साल में उनके कहने पर साढे़ छह सौ से लेकर 700 लोग ब्लड डोनेट करते हैं, कहीं बाहर तो यह आंकड़ा हजारों में भी पहुंच जाता है. बता दें कि मध्यप्रदेश में 14 हजार से ज्यादा बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित हैं, जिन्हें लगातार ब्लड की जरूरत पड़ती है. प्रकाश ने अपील की है कि रक्तदान महादान होता है आप भी ब्लड डोनेशन करें इससे आपको भी खुशी होगी और किसी एक व्यक्ति की जिंदगी बचाने में आपका ब्लड काम आ सकेगा.

World Blood Donor Day 2022
विश्व रक्त दाता दिवस 2022

कर्नाटक : मधुरा अशोक का 117 बार रक्तदान के साथ गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज

सरकार से भी चाहिए कुछ मदद: वहीं उन्होंने सरकार से भी मदद की मांग रखी है कि थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी में जहां इन्फेक्शन का काफी डर होता है और इसमें काफी सावधानियां रखते हुए ब्लड चढ़ाया जाता है, लेकिन अभी भी राज्य के कई जिला अस्पताल और सरकारी अस्पताल ऐसे हैं जिनमें ब्लड डोनेशन के लिए अच्छी सुविधाएं बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं है और वहां पर कई मशीनों की लगातार कमी देखी गई है. जिससे ब्लड डोनेशन में काफी कमी आती है. इसको देखते हुए उन्होंने अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाई जाने की मांग की है. ताकि थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों की भी अच्छे से मदद हो सके.

राजगढ़। खून की कमी से हर साल ना जाने कितने लोग अपनी जान गवाते हैं, जबकि इस कमी को मात्र एक फीसदी आबादी रक्तदान कर पूरा कर सकती है. रक्त का दान सबसे बड़ा दान होता है. आज विश्व ब्लड डोनेट डे के दिन हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने ना केवल मध्यप्रदेश में बल्कि देश के कई राज्यों में खून की कमी पड़ने पर उनकी मदद की है. इस सब की शुरूआत प्रकाश शर्मा ने 5 साल पहले हुई थी और आज ब्लड डोनर आर्मी ग्रुप बनाकर हर जरुरतमंद की मदद कर रहे हैं. इस काम के लिए उनका राष्ट्रीय लेवल पर भी सम्मान हो चुका हूं. (World Blood Donor Day 2022)

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ऐसे पीड़ित लोगों के लिए करते हैं काम: प्रकाश शर्मा ने बताया कि 5 साल पहले एक थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे को ब्लड की जरूरत पड़ी थी. तब उन्होंने कई लोगों से मदद मांगी, लेकिन 3 दिनों तक जब उन तक मदद नहीं पहुंच पाए, तो वह निराश होने लगे और अपनी फेसबुक की वॉल पर उन्होंने एक पोस्ट को डाला. जहां एक सामाजिक कार्यकर्ता ने उनकी मदद की और बच्चे को रक्त उपलब्ध करवाया. जिसके बाद प्रकाश शर्मा ने ब्लड डोनर आर्मी ग्रुप की शुरुआत की. जिसमें धीरे-धीरे लोगों का जुड़ना शुरू हुआ और आज देशभर के लाखों लोग इसमें जुड़ चुके हैं.

मिल चुका है नेशनल लेवल का पुरस्कार: प्रकाश ने बताया कि कोरोना काल में भी इस संगठन के लोगों ने सैकड़ों यूनिट ब्लड डोनेट किया है. ना सिर्फ इंदौर, भोपाल, जबलपुर बल्कि कोटा, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में भी वे एक फोन कॉल पर जरुरतमंद को खून उपलब्ध करते हैं. बता दें कि प्रकाश के नेक काम के लिए उनको नेशनल लेवल का पुरस्कार भी मिल चुका है. उन्होंने बताया कि लगभग 1 साल में उनके कहने पर साढे़ छह सौ से लेकर 700 लोग ब्लड डोनेट करते हैं, कहीं बाहर तो यह आंकड़ा हजारों में भी पहुंच जाता है. बता दें कि मध्यप्रदेश में 14 हजार से ज्यादा बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित हैं, जिन्हें लगातार ब्लड की जरूरत पड़ती है. प्रकाश ने अपील की है कि रक्तदान महादान होता है आप भी ब्लड डोनेशन करें इससे आपको भी खुशी होगी और किसी एक व्यक्ति की जिंदगी बचाने में आपका ब्लड काम आ सकेगा.

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सरकार से भी चाहिए कुछ मदद: वहीं उन्होंने सरकार से भी मदद की मांग रखी है कि थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी में जहां इन्फेक्शन का काफी डर होता है और इसमें काफी सावधानियां रखते हुए ब्लड चढ़ाया जाता है, लेकिन अभी भी राज्य के कई जिला अस्पताल और सरकारी अस्पताल ऐसे हैं जिनमें ब्लड डोनेशन के लिए अच्छी सुविधाएं बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं है और वहां पर कई मशीनों की लगातार कमी देखी गई है. जिससे ब्लड डोनेशन में काफी कमी आती है. इसको देखते हुए उन्होंने अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाई जाने की मांग की है. ताकि थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों की भी अच्छे से मदद हो सके.

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