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शिक्षक की विदाई में रोया पूरा गांव, जानें तकदीर बदलने वाले अध्यापक की पूरी कहानी

राजगढ़ में एक शिक्षक की विदाई के लिए पूरा गांव पहुंचा. मौके पर सभी काफी भाव विभुर हो गये. इस शिक्षक ने अपनी लगन से गांव की तकदीर ही बदल दी है.

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Published : Jul 31, 2019, 12:06 AM IST

शिक्षक की विदाई में रोया पूरा गांव

राजगढ़। कहावत है कि 'गुरु भगवान से भी ऊपर होता है'. इस कहावत को चरितार्थ करने वाला एक नजारा नरसिंहगढ़ तहसील के खानपुरा मिडिल हाई स्कूल में देखने को मिला. यहां पिछले 20 साल से पढ़ा रहे लोकेश मीणा के विदाई समारोह में बच्चों के साथ- साथ पूरा गांव पहुंचा. मौके पर सभी काफी भाव विभोर हो गये. दरअसल जिले के ब्यावरा में रहने वाले लोकेश मीणा का तबादला चाचौड़ा तहसील के नारायणपुरा के एक प्राइमरी स्कूल में हो गया है.

शिक्षक की विदाई में रोया पूरा गांव

गांव के लोगों ने बताया कि शिक्षक लोकेश इस स्कूल में आए तब स्कूल में बच्चों की संख्या कम थी. स्कूल में ऐसी स्थिति देखकर उन्होंने पूरे गांव में शिक्षा की अलख जगाने की ठानी. लोगों को समझा पाना इतना आसान भी नहीं था. लेकिन बच्चे स्कूल आएं इसके लिए लोकेश ने घर- घर जाकर लोगों को समझाना शुरू किया. आखिर धीरे-धीरे ही सही लेकिन मेहनत रंग लाई और लोगों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू कर दिया.

कुछ सालों के प्रयास ने ही खानपुरा मिडिल हाई स्कूल ने इलाके के बड़े- बड़े स्कूलों को पीछे कर दिया. लोकेश ने दिन- रात एक कर बच्चों को इतना योग्य बनाया कि यहां के बच्चे कॉन्वेंट स्कूल के बच्चों से भी लोहा लेने में गुरेज नहीं करें. लोकेश ने शिक्षा के बल पर ग्रामीणों की तकदीर बदलने का जो अभियान शुरू किया, वो लगातार आगे बढ़ता चला गया.

शिक्षक लोकेश मीणा ने खानपुरा गांव की तस्वीर बदल कर रख दी. नतीजा यह हुआ कि गांव के लोग शिक्षक लोकेश मीणा को अपने बेटे की तरह मानने लगे. इसीलिए लोकेश मीणा के तबादले के बाद उनकी विदाई में पूरा गांव मौजूद रहा. मौके पर स्कूल के बच्चों और ग्रामीणों के साथ लोकेश भी खूब रोये.

राजगढ़। कहावत है कि 'गुरु भगवान से भी ऊपर होता है'. इस कहावत को चरितार्थ करने वाला एक नजारा नरसिंहगढ़ तहसील के खानपुरा मिडिल हाई स्कूल में देखने को मिला. यहां पिछले 20 साल से पढ़ा रहे लोकेश मीणा के विदाई समारोह में बच्चों के साथ- साथ पूरा गांव पहुंचा. मौके पर सभी काफी भाव विभोर हो गये. दरअसल जिले के ब्यावरा में रहने वाले लोकेश मीणा का तबादला चाचौड़ा तहसील के नारायणपुरा के एक प्राइमरी स्कूल में हो गया है.

शिक्षक की विदाई में रोया पूरा गांव

गांव के लोगों ने बताया कि शिक्षक लोकेश इस स्कूल में आए तब स्कूल में बच्चों की संख्या कम थी. स्कूल में ऐसी स्थिति देखकर उन्होंने पूरे गांव में शिक्षा की अलख जगाने की ठानी. लोगों को समझा पाना इतना आसान भी नहीं था. लेकिन बच्चे स्कूल आएं इसके लिए लोकेश ने घर- घर जाकर लोगों को समझाना शुरू किया. आखिर धीरे-धीरे ही सही लेकिन मेहनत रंग लाई और लोगों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू कर दिया.

कुछ सालों के प्रयास ने ही खानपुरा मिडिल हाई स्कूल ने इलाके के बड़े- बड़े स्कूलों को पीछे कर दिया. लोकेश ने दिन- रात एक कर बच्चों को इतना योग्य बनाया कि यहां के बच्चे कॉन्वेंट स्कूल के बच्चों से भी लोहा लेने में गुरेज नहीं करें. लोकेश ने शिक्षा के बल पर ग्रामीणों की तकदीर बदलने का जो अभियान शुरू किया, वो लगातार आगे बढ़ता चला गया.

शिक्षक लोकेश मीणा ने खानपुरा गांव की तस्वीर बदल कर रख दी. नतीजा यह हुआ कि गांव के लोग शिक्षक लोकेश मीणा को अपने बेटे की तरह मानने लगे. इसीलिए लोकेश मीणा के तबादले के बाद उनकी विदाई में पूरा गांव मौजूद रहा. मौके पर स्कूल के बच्चों और ग्रामीणों के साथ लोकेश भी खूब रोये.

Intro:कहते हैं गुरु भगवान से भी ऊपर होता है और ऐसा ही एक नजारा देखने को मिला जब गुरु की विदाई पर पूरा गांव भाव बिन हो उठा और उनको विदा करने के लिए पूरा गांव स्कूल पहुंचा इस विदाई में ना सिर्फ बच्चे मन के गांव के लोग भी टीचर की विदाई पर मायूस हो गए और रोने लगे।
जब शिक्षक अच्छे हों, तो उनकी विदाई में विद्यार्थियों का रोना लाजिमी है। लेकिन ये क्या आपने कभी ये सुना कि किसी शिक्षक के विदाई समारोह में बच्चों के साथ-साथ पूरा गांव ने आंसू बहाये हों?

Body:एक ऐसे शिक्षक, जिसने अपने कर्मों से पूरे स्कूल और गांव के लोगों की आंखों को नम कर दिया। मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के ब्यावरा में रहने वाले लोकेश मीणा 20 साल से जिले की नरसिंहगढ तहसील के खानपुरा मिडिल हाई स्कूल पदस्थ थे जिनका तबादला हाल ही में चाचौड़ा तहसील के नारायणपुरा के प्राइमरी स्कूल में हो गया है। शिक्षक की विदाई समारोह में स्कूल के बच्चों के साथ साथ पूरा गांव बिखर बिखल रो पड़ा। स्कूल के बच्चों ने भी अपने प्यारे शिक्षक को आंखों में आंसू लेकर विदाई दी। गांव के लोगों ने बताया कि शिक्षक लोकेश इस स्कूल में आए, तो स्कूल में बच्चों की संख्या कम थी। स्कूल में ऐसी स्थिति देख कर उन्होंने पूरे गांव में शिक्षा की अलख जगाने की ठानी।

इसलिए लोगों को समझा पाना इतना आसान भी नहीं था। लेकिन बच्चे स्कूल आएं, इसके लिए लोकेश ने हर घर पर दस्तक देनी शुरू कर दी। लोगों को समझाने के लिए काफ़ी मशक्कत की और शिक्षा का महत्व बताना जारी रखा। आखिर धीरे-धीरे ही सही, लेकिन मेहनत रंग लाई। लोगों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू कर दिया। कुछ सालों के प्रयास ने ही उस इलाके के बड़े-बड़े स्कूलों को पीछे कर दिया। लोकेश ने दिन-रात एक कर बच्चों को इतना योग्य बना दिया कि कॉन्वेंट स्कूल के बच्चों से भी लोहा लेने में गुरेज न करें। क्या सुबह, क्या शाम, लोकेश ने शिक्षा के बल पर ग्रामीणों की तकदीर बदलने का जो अभियान शुरू किया, वो लगातार आगे बढ़ता चला गया।

Conclusion:
शिक्षक लोकेश मीणा ने खानपुरा गांव की तस्वीर बदल कर रख दी। नतीजा यह हुआ कि गांव के लोग शिक्षक लोकेश मीणा को अपने बेटे की तरह मानने लगे। उनका सरकारी स्कूल किसी बड़े कॉन्वेंट को फेल कर रहा था लेकिन अचानक कुछ ऐसा हुआ कि गांव वालों को लगा, उनकी किस्मत उनसे दूर जा रही हो।
लोकेश मीणा क का तबादला हो गया। जब शिक्षक लोकेश की विदाई हो रही थी, तो नज़ारा कुछ ऐसा था, मानो लोकेश दुल्हन हों और पूरा परिवार रो रहा है। लोकेश की विदाई में आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा था। एक नहीं, दो नहीं, बल्कि पूरा गांव रोया था। स्कूल के बच्चे क्या रोये, लोकेश भी खूब रोये, मजदूर रोये, किसान रोये। सभी बच्चे एक स्वर में बोल रहे थे- मास्टर साहब आप हमें छोड़ कर मत जाओ, हम बहुत रोयेंगे।
लेकिन अपने कर्तव्य के आगे शिक्षक लोकेश मीणा भी मज़बूर थे।


विसुअल

विदाई समारोह के

बाइट

प्रहलाद दांगी
पूर्व सरपंच खानपुरा
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