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कुपोषण की जद में राजगढ़ जिला, 13 हजार से ज्यादा बच्चे Malnutrition का शिकार

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Published : Nov 23, 2019, 11:29 PM IST

मध्य प्रदेश में कुपोषण के हालत किसी से छुपे नहीं है. प्रदेश का लगभग हर जिला कुपोषण की जद में नजर आता है. प्रदेश में कितनी ही सरकारें आई और गई. हर बार कुपोषण को मिटाने के लिए तरह-तरह की योजना भी शुरु हुई. लेकिन नतीजा हमेशा ढाक के तीन पात. पानी की तरह पैसा बहता है और सरकारें अपनी योजनाओं पर पीठ थपथपाती हैं. लेकिन कुपोषण का कलंक बरकरार है.

कुपोषण की जद में राजगढ़ जिला

राजगढ़। मध्य प्रदेश में कुपोषण कम होने की बजाए बढ़ता जा रहा है. प्रदेश का लगभग हर जिला कुपोषण की जद में नजर आता है. कुपोषण के मामले में राजगढ़ जिले के हाल भी ठीक नहीं है. जिलेभर में लगभग 13 हजार से ज्यादा बच्चे मध्यम और अति कुपोषण का शिकार हैं.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राजगढ़ जिले के आंकड़े बताते हैं कि यहां पर मध्यम और अति कुपोषित बच्चे काफी संख्या में उपस्थित है. जो बच्चे अति कुपोषित होते हैं उनकी संख्या 1 हजार491 है. जबकि कम वजन जो कुपोषित की श्रेणी में आता है ऐसे बच्चों की संख्या 12 हजार 394 हैं. कुपोषण के चलते जिले के एनआरसी केंद्रों में भारी संख्या में कुपोषित बच्चे भर्ती है.

कुपोषण की जद में राजगढ़ जिला

इस बारे में जब जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रसेना भिड़े से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में 13885 बच्चे कुपोषण का शिकार है. इन बच्चों को ज्यादा समय नहीं लगता है और यह सिम में शामिल हो जाते हैं. इनको कुपोषण से मुक्त करने के लिए अभी जिला कलेक्टर द्वारा एक योजना तैयार की गई थी. जिसमें 375 बच्चों को सेम फ्री के तहत कुपोषण से बाहर निकालने के लिए विभिन्न अधिकारियों को बच्चों पर ध्यान रखने के लिए गोद दिलवाया गया था.

जागरुकता की कमी है कुपोषण का कारण
राजगढ़ जिले में लोगों में जागरूकता की कमी को कुपोषण का सबसे बड़ा कारण बताया गया है. जिले के ग्रामीण अंचल में कुपोषण के प्रति लोग जागरुक नजर नहीं आते हैं. कम उम्र में शादी होना. बच्चे के जन्म के बाद ठीक से उसकी देखभाल न हो पाना. ये ऐसी समस्याएं है जो बच्चों में कुपोषण का बड़ा कारण मानी जाती है. जिसके चलते जिले में लगातार कुपोषण के मामले बढ़ते जा रहे हैं.

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब जिले भर में 13 हजार से भी ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार है तो फिर यह योजना कितनी कारगर साबित होगी. अधिकारी कुछ भी कहे लेकिन राजगढ़ जिला कुपोषण का दंश झेल रहा है और बच्चे लगातार इस बीमारी से ग्रसित हैं. जो जिले के भविष्य के लिए चिंताजनक है.

राजगढ़। मध्य प्रदेश में कुपोषण कम होने की बजाए बढ़ता जा रहा है. प्रदेश का लगभग हर जिला कुपोषण की जद में नजर आता है. कुपोषण के मामले में राजगढ़ जिले के हाल भी ठीक नहीं है. जिलेभर में लगभग 13 हजार से ज्यादा बच्चे मध्यम और अति कुपोषण का शिकार हैं.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राजगढ़ जिले के आंकड़े बताते हैं कि यहां पर मध्यम और अति कुपोषित बच्चे काफी संख्या में उपस्थित है. जो बच्चे अति कुपोषित होते हैं उनकी संख्या 1 हजार491 है. जबकि कम वजन जो कुपोषित की श्रेणी में आता है ऐसे बच्चों की संख्या 12 हजार 394 हैं. कुपोषण के चलते जिले के एनआरसी केंद्रों में भारी संख्या में कुपोषित बच्चे भर्ती है.

कुपोषण की जद में राजगढ़ जिला

इस बारे में जब जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रसेना भिड़े से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में 13885 बच्चे कुपोषण का शिकार है. इन बच्चों को ज्यादा समय नहीं लगता है और यह सिम में शामिल हो जाते हैं. इनको कुपोषण से मुक्त करने के लिए अभी जिला कलेक्टर द्वारा एक योजना तैयार की गई थी. जिसमें 375 बच्चों को सेम फ्री के तहत कुपोषण से बाहर निकालने के लिए विभिन्न अधिकारियों को बच्चों पर ध्यान रखने के लिए गोद दिलवाया गया था.

जागरुकता की कमी है कुपोषण का कारण
राजगढ़ जिले में लोगों में जागरूकता की कमी को कुपोषण का सबसे बड़ा कारण बताया गया है. जिले के ग्रामीण अंचल में कुपोषण के प्रति लोग जागरुक नजर नहीं आते हैं. कम उम्र में शादी होना. बच्चे के जन्म के बाद ठीक से उसकी देखभाल न हो पाना. ये ऐसी समस्याएं है जो बच्चों में कुपोषण का बड़ा कारण मानी जाती है. जिसके चलते जिले में लगातार कुपोषण के मामले बढ़ते जा रहे हैं.

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब जिले भर में 13 हजार से भी ज्यादा बच्चे कुपोषण का शिकार है तो फिर यह योजना कितनी कारगर साबित होगी. अधिकारी कुछ भी कहे लेकिन राजगढ़ जिला कुपोषण का दंश झेल रहा है और बच्चे लगातार इस बीमारी से ग्रसित हैं. जो जिले के भविष्य के लिए चिंताजनक है.

Intro:जहां मध्य प्रदेश के हाल भी ज्यादा अच्छा नहीं है उसी प्रकार राजगढ़ जिले के हाल भी कब ज्यादा अच्छे नहीं है राजगढ़ जिला भी मध्य प्रदेश की तरह ही कुपोषण का दंश झेल रहा है राजगढ़ में लगभग 13000 से ऊपर बच्चे मध्यम और अति कुपोषण का शिकार


Body: जहां भारतवर्ष में कुपोषण एक काफी गंभीर बीमारी है और इसमें जहां मध्यप्रदेश का स्थान भी काफी बुरा है और मध्य प्रदेश में अनेकों बच्चे इस कुपोषण का शिकार है और वे लगातार इश्क का दंश झेल रहे हैं जा मध्य प्रदेश सरकार और भारत सरकार इस कुपोषण को खत्म करने के लिए अनेक कार्य कर रही है और प्रशासन भी लगातार इस को खत्म करने के लिए अनेक पहलुओं और अनेक योजनाओं के चला रहा है परंतु कुपोषण का याद लगातार ना सिर्फ मध्यप्रदेश में फैल रहा है बल्कि राजगढ़ जिले में भी इसका काफी प्रभाव दिखाई दे रहा है जहां राजगढ़ जिले के आंकड़े बताते हैं कि यहां पर मध्यम और अति कुपोषित बच्चे काफी संख्या में उपस्थित है और यह संख्या लगभग 13000 से ऊपर है , वहीं जहां आंकड़े बताते हैं कि राजगढ़ जिले के हाल काफी बुरे हैं और यहां पर आंकड़ों के अनुसार अधिक कम वजन वाले बच्चे जो अति कुपोषित होते हैं उनकी संख्या 1491 है वहीं कम वजन जो कुपोषित की श्रेणी में है 12394 है और जहां लगभग 13885 बच्चे इस गंभीर बीमारी से ग्रसित है और लगातार इस कुपोषण का कुप्रभाव झेल रहे है , और लगातार इनमें से कहीं बच्चे एनआरसी फौज में भर्ती होते हैं और उनका इलाज लगातार चलता है परंतु वह इस कुपोषण का दंश अभी भी झेल रहे हैं, वहीं जहां इस बारे में जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रसेना भिड़े से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में 13885 बच्चे कुपोषण का शिकार है और वही 1491 बच्चे अति कुपोषण की श्रेणी में आते हैं वही इन बच्चों को ज्यादा समय नहीं लगता है और यह सिम में शामिल हो जाते हैं वही इनको कुपोषण से मुक्त करने के लिए अभी जिला कलेक्टर द्वारा एक योजना तैयार की गई थी जिसमें 375 बच्चों को सेम फ्री के तहत कुपोषण से बाहर निकालने के लिए विभिन्न अधिकारियों को बच्चों पर ध्यान रखने के लिए गोद दिलवाया गया था, जिसके तहत काफी बच्चों में सुधार देखने को मिला है नहीं इसमें 40 ऐसे बच्चे हैं जो अभी सिम के अंतर्गत आ रहे हैं और इनको भी जनवरी 2020 तक बाहर निकल जाएंगे और इस योजना के तहत हमको अभी अनुमान हो रहा है कि कौन सी कमियां है जो लगातार बच्चों में देखने को मिल रही है वहीं अधिकारियों में भी को भी स्पष्ट हो रहा है कि किस प्रकार बच्चों लगातार कुपोषण का शिकार हो रहे हैं, वहीं इस योजना के तहत जब परिवार वालों को भी समझाइश दी जा रही है तो उनका भी ज्ञान बढ़ रहा है कि क्यों उनके बच्चे लगातार इस बीमारी से ग्रसित है।


Conclusion:वहीं जब उनसे जिले में इतनी संख्या मैं कुपोषित बच्चे होने के कारण पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि जिला में काफी लोग गरीब है जो अपने बच्चों की देखभाल ठीक से नहीं कर पाते हैं वहीं जब सेंपरे योजना चलाई गई तो अधिकारियों द्वारा उनको विभिन्न ऐसी सामग्री आदि गई जो बच्चों को जल्द से जल्द कुपोषण से बाहर निकाल रही है परंतु जो गरीब परिवार होता है उसके लिए या मुमकिन नहीं होता है कि वह इन सब महंगी वस्तुओं को खरीद पाए जिसके वजह से बच्चों को पर्याप्त न्यूट्रिशन नहीं मिल पाता है।

2. वहीं उन्होंने कहा कि लोगों के अंदर जागरूकता की भी काफी कमी है उसी का उदाहरण अभी हमने देखने को मिला जब हम पास के ही गांव में 1 कुपोषित बच्चे के लिए गए हुए थे इसी दौरान वहां पर उसकी मां कहती है कि मेरे तो तीनों बच्चे ऐसे ही बड़े हुए हैं और यह बच्चा भी ऐसे ही बड़ा हो जाएगा वहीं जहां सरकार कुपोषित बच्चों के लिए काफी कुछ करती है परंतु लोगों के बीच में इस बारे में जागरूकता नहीं होने के कारण से इससे अनभिज्ञ रहते हैं।

वहीं जब शासन द्वारा सेम फ्री योजना चलाई गई तो इसके द्वारा लोगों में भी जागरूकता फैली है कि कैसे हमारे बच्चों को अच्छा न्यूट्रिशन दिया जा सकता है वहीं इन उदाहरणों से पता लगता है कि लोगों में जागरूकता की कमी के कारण भी बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे थे।

वही चाहे अधिकारी कुछ भी कहे परंतु जिला कुपोषण का दंश झेल रहा है और बच्चे लगातार इस बीमारी से ग्रसित हैं जो काफी चिंताजनक बात है और जिले में 13000 से अधिक बच्चे इस बीमारी से ग्रसित होना कहीं ना कहीं लोगों में शिक्षा की कमी जागरूकता की कमी और प्रशासन की लापरवाही भी इस बात का सबूत है।


visual

1 कुपोषण का डाटा
2. कुपोषित बच्चे फाइल वीडियो
3. डिस्ट्रिक्ट बैनर और डाइट चार्ट के साथ सरकार के नियम

बाइट

चंद्रसेना भिड़े जिला कार्यक्रम अधिकारी
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