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ब्यावरा विधानसभा में 80 फीसदी से ज्यादा हुआ मतदान, गांवों में 90 फीसदी तक हुआ मतदान - राजगढ़ की बड़ी खबरें

ब्यावरा विधानसभा में मंगलवार को मतदान में इस उपचुनाव में विधानसभा चुनाव की अपेक्षा ज्यादा मतदान हुआ है.2020 के उपचुनाव में ब्यावरा विधानसभा में 81.77 फीसदी मतदान किया गया है. कई गांवों में तो 90 फीसदी से भी अधिक मतदान हुआ है.

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80 फीसदी से ज्यादा हुआ मतदान
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Published : Nov 4, 2020, 3:18 AM IST

राजगढ़। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है. और जीत को लेकर अब कयास लगाना शुरु हो चुका है. बात करें राजगढ़ जिले की ब्यावरा विधानसभा सीट की तो यहां पर दिवंगत विधायक गोवर्धन दांगी के निधन के बाद ब्यावरा विधानसभा सीट रिक्त हो गई थी, और चुनाव आयोग के निर्देश अनुसार यहां पर उप चुनाव की प्रक्रिया संपन्न कराई गई है, जहां 03 नवंबर को पूरे ब्यावरा विधानसभा में मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया गया.

80 फीसदी से ज्यादा हुआ मतदान

80 फीसदी से ज्यादा हुआ मतदान

ब्यावरा विधानसभा में मंगलवार को मतदान में पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस उपचुनाव में ज्यादा मतदान हुआ है. 2018 के विधानसभा चुनाव में 80.78 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. वहीं 2020 के उपचुनाव में ब्यावरा विधानसभा में 81.77 फीसदी मतदान किया गया है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाए तो वहां पर भी वोटिंग को लेकर काफी जागरुकता देखने को मिली है. और कई गांवों में तो 90 फीसदी से भी अधिक मतदान हुआ है. जबकि शहरों की जनता ने भी इस बार मतदान में बढ़-चढ़कर भाग लिया है.

2003 से अब तक बहुत कम अंतरों से आया रिजल्ट
यहां पर जातीय समीकरण की बात की जाए तो यह सीट जातिगत सीट मानी जाती है, और यहां पर जाति का समुदायों का मतदान में सीधा-सीधा प्रभाव देखने को मिलता है. इस बार भी जहां टिकट का वितरण जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए किया गया था. हर बार यहां पर जीता अन्तर काफी कम रहता है. 2003 से लेकर अभी तक जीत का अंतर भी काफी कम रहा है. 2003 में भाजपा में कांग्रेस को सिर्फ 2000 मतों से हराया था, तो 2013 में 3000 मतों से कांग्रेस के रामचंद्र दांगी की हार हुई थी और 2018 में कांग्रेस ने मात्र 826 वोटों से भाजपा के नारायण सिंह पवार को हराया था.

उपचुनाव में प्रत्याशियों झोकी पूरी ताकत

वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा की माने तो इनका कहना है कि इस बार का उपचुनाव काफी मायनों में अलग रहा है. ब्यावरा उपचुनाव में प्रत्याशियों ने यह चुनाव आम चुनाव की तरह नहीं लड़ते हुए बल्कि पंचायत के चुनाव की तरह लड़ा है. देखा जाए तो बड़े वरिष्ठ नेताओं की सभा भी उन क्षेत्रों में हुई है जहां पर उनकी जाति से संबंधित मतदान प्रतिशत ज्यादा है, और लगातार कई नेताओं द्वारा उन गांव का दौरा किया गया जहां पर जातिगत समुदाय का प्रभाव ज्यादा है.

उमा भारती ने भी किया दौरा

अंदाजा इसी बात ये लगाया जा सकता है कि पूर्व सीएम उमा भारती की सभा सुठालिया क्षेत्र में की गई थी, जहां पर लोधी समुदाय का वर्चस्व ज्यादा है. वहीं कांग्रेस नेता अरुण यादव का दौरा ऐसा रहा जिसमें उन्होंने लोगों से उन गांवों में संपर्क किया जहां पर यादव समुदाय का वर्चस्व ज्यादा है. इसी प्रकार डॉ. मोहन यादव कैबिनेट मिनिस्टर का दौरा भी उसी रोड पर रखा गया था जिस पर अरुण यादव का दौरा हुआ था. वहीं जीत की बात की जाए तो यहां पर जीत का अनुमान लगाना काफी कठिन है, लेकिन जो भी प्रत्याशी यहां पर जीत दर्ज करेगा, उसका और हारने वाले प्रत्याशी के बीच जीत का अंतर काफी कम होने की संभावना है.

राजगढ़। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है. और जीत को लेकर अब कयास लगाना शुरु हो चुका है. बात करें राजगढ़ जिले की ब्यावरा विधानसभा सीट की तो यहां पर दिवंगत विधायक गोवर्धन दांगी के निधन के बाद ब्यावरा विधानसभा सीट रिक्त हो गई थी, और चुनाव आयोग के निर्देश अनुसार यहां पर उप चुनाव की प्रक्रिया संपन्न कराई गई है, जहां 03 नवंबर को पूरे ब्यावरा विधानसभा में मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया गया.

80 फीसदी से ज्यादा हुआ मतदान

80 फीसदी से ज्यादा हुआ मतदान

ब्यावरा विधानसभा में मंगलवार को मतदान में पिछले विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस उपचुनाव में ज्यादा मतदान हुआ है. 2018 के विधानसभा चुनाव में 80.78 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था. वहीं 2020 के उपचुनाव में ब्यावरा विधानसभा में 81.77 फीसदी मतदान किया गया है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाए तो वहां पर भी वोटिंग को लेकर काफी जागरुकता देखने को मिली है. और कई गांवों में तो 90 फीसदी से भी अधिक मतदान हुआ है. जबकि शहरों की जनता ने भी इस बार मतदान में बढ़-चढ़कर भाग लिया है.

2003 से अब तक बहुत कम अंतरों से आया रिजल्ट
यहां पर जातीय समीकरण की बात की जाए तो यह सीट जातिगत सीट मानी जाती है, और यहां पर जाति का समुदायों का मतदान में सीधा-सीधा प्रभाव देखने को मिलता है. इस बार भी जहां टिकट का वितरण जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए किया गया था. हर बार यहां पर जीता अन्तर काफी कम रहता है. 2003 से लेकर अभी तक जीत का अंतर भी काफी कम रहा है. 2003 में भाजपा में कांग्रेस को सिर्फ 2000 मतों से हराया था, तो 2013 में 3000 मतों से कांग्रेस के रामचंद्र दांगी की हार हुई थी और 2018 में कांग्रेस ने मात्र 826 वोटों से भाजपा के नारायण सिंह पवार को हराया था.

उपचुनाव में प्रत्याशियों झोकी पूरी ताकत

वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा की माने तो इनका कहना है कि इस बार का उपचुनाव काफी मायनों में अलग रहा है. ब्यावरा उपचुनाव में प्रत्याशियों ने यह चुनाव आम चुनाव की तरह नहीं लड़ते हुए बल्कि पंचायत के चुनाव की तरह लड़ा है. देखा जाए तो बड़े वरिष्ठ नेताओं की सभा भी उन क्षेत्रों में हुई है जहां पर उनकी जाति से संबंधित मतदान प्रतिशत ज्यादा है, और लगातार कई नेताओं द्वारा उन गांव का दौरा किया गया जहां पर जातिगत समुदाय का प्रभाव ज्यादा है.

उमा भारती ने भी किया दौरा

अंदाजा इसी बात ये लगाया जा सकता है कि पूर्व सीएम उमा भारती की सभा सुठालिया क्षेत्र में की गई थी, जहां पर लोधी समुदाय का वर्चस्व ज्यादा है. वहीं कांग्रेस नेता अरुण यादव का दौरा ऐसा रहा जिसमें उन्होंने लोगों से उन गांवों में संपर्क किया जहां पर यादव समुदाय का वर्चस्व ज्यादा है. इसी प्रकार डॉ. मोहन यादव कैबिनेट मिनिस्टर का दौरा भी उसी रोड पर रखा गया था जिस पर अरुण यादव का दौरा हुआ था. वहीं जीत की बात की जाए तो यहां पर जीत का अनुमान लगाना काफी कठिन है, लेकिन जो भी प्रत्याशी यहां पर जीत दर्ज करेगा, उसका और हारने वाले प्रत्याशी के बीच जीत का अंतर काफी कम होने की संभावना है.

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