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नातरा जैसी कुप्रथा के खिलाफ समाज सेविका ने उठाई आवाज, महिलाएं बन रहीं सशक्त

राजगढ़ जिले में कई जगह महिलाएं पुरषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, तो कहीं नातरा जैसे कुप्रथा से पीड़ित हैं. ऐसे में समाज सेविका मोना सुस्तानी इन महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए काम रही हैं.

महिलाएं पुरषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कर रही काम
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Published : Oct 15, 2019, 6:34 AM IST

Updated : Oct 15, 2019, 10:18 AM IST

राजगढ़। समाज सेविका मोना सुस्तानी नगर की सबसे बड़ी कुप्रथा नातरा के विरोध में लगातार लड़ रही हैं. सुस्तानी बताती हैं कि उन्होंने समाज सेवा की शुरुआत ब्लड डोनेशन से की थी. पहले तो वह स्वयं ब्लड डोनेट करती थीं, फिर लोगों को जागरूक करते हुए ब्लड डोनेट करवाती थीं.

महिलाएं पुरषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कर रही काम

समाज की नातरा प्रथा के विरोध में उन्होंने लाल चुनर नामक एक नया संगठन बनाया है. जो जिले की नातरा प्रथा से पीड़ित महिलाओं को न सिर्फ न्याय दिलाने के लिए काम कर रही है, बल्कि लोगों को भी लगातार इस कुप्रथा के बारे में जागरूक कर रहा है.

क्या है नातरा प्रथा

नातरा प्रथा में बालक- बालिकाओं का बचपन में ही माता-पिता अपनी आपसी रजामंदी से विवाह कर देते हैं. जब वो बड़े होते हैं, तो वे एक- दूसरे को कई बार पसंद नहीं करते है. कुछ मामलों में लड़का- लड़की को छोड़ देता है. या फिर छुटकारा पाने के लिए मारपीट, विवाद कर प्रताड़ित करना शुरू कर देता है. यह सब होने के बाद लड़के का पक्ष लड़की के नए पति अथवा पिता से शादी में होने वाले खर्च को वसूलने के लिए झगड़ा करता है और राशि वसूलकर दूसरी शादी कर लेता है.

राजगढ़। समाज सेविका मोना सुस्तानी नगर की सबसे बड़ी कुप्रथा नातरा के विरोध में लगातार लड़ रही हैं. सुस्तानी बताती हैं कि उन्होंने समाज सेवा की शुरुआत ब्लड डोनेशन से की थी. पहले तो वह स्वयं ब्लड डोनेट करती थीं, फिर लोगों को जागरूक करते हुए ब्लड डोनेट करवाती थीं.

महिलाएं पुरषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कर रही काम

समाज की नातरा प्रथा के विरोध में उन्होंने लाल चुनर नामक एक नया संगठन बनाया है. जो जिले की नातरा प्रथा से पीड़ित महिलाओं को न सिर्फ न्याय दिलाने के लिए काम कर रही है, बल्कि लोगों को भी लगातार इस कुप्रथा के बारे में जागरूक कर रहा है.

क्या है नातरा प्रथा

नातरा प्रथा में बालक- बालिकाओं का बचपन में ही माता-पिता अपनी आपसी रजामंदी से विवाह कर देते हैं. जब वो बड़े होते हैं, तो वे एक- दूसरे को कई बार पसंद नहीं करते है. कुछ मामलों में लड़का- लड़की को छोड़ देता है. या फिर छुटकारा पाने के लिए मारपीट, विवाद कर प्रताड़ित करना शुरू कर देता है. यह सब होने के बाद लड़के का पक्ष लड़की के नए पति अथवा पिता से शादी में होने वाले खर्च को वसूलने के लिए झगड़ा करता है और राशि वसूलकर दूसरी शादी कर लेता है.

Intro:राजगढ़ जिले में अनेक ऐसी महिला है जो ना सिर्फ अपने पति का साथ दे रही हैं बल्कि समाज के विकास में भी अपना योगदान दे रही है और वही जहां अभी खेतों में कटाई चल रही है तो महिलाएं अपना पति के साथ दे रही है वहीं जिले की एक समाज सेविका मोना सुस्तानी जिले की सबसे बड़ी कुप्रथा के विरोध में लगातार लड़ रही है।


Body:मध्यप्रदेश में जहां इस समय बारिश का दौर खत्म होने के बाद किसान अपने खेतों की ओर लौट चला है और वहां पर वह लगातार अपनी बची हुई फसल को काटने में जुटा हुआ है, वही ग्रामीण परिवेश में रहने वाली महिलाएं भी अपने परिवार को साथ दे रही है और अपने खेतों में अपने पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खेतों में फसल काटने का कार्य करती है और वही बुवाई के टाइम पर भी वह अपने परिवार जनों का साथ देती है, वहीं जिले की एक जागरूक सुस्तानी गाँव की बहू और ग्रामीण परिवेश से ताल्लुक रखने वाली महिला मोना सुस्तानी जो जिले का एक काफी चिर परिचित नाम है वह ना सिर्फ राजनीति से ताल्लुक रखती है बल्कि समाज सेवा में भी लगातार अपना योगदान देती आई है, जहां अभी तक राजनेताओं ने नातरा प्रथा को अपने वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है और इसके विरुद्ध अभी तक कुछ भी कार्य नहीं किया था, वही मोना सुस्तानी बताती है कि उन्होंने समाज सेवा की शुरुआत ब्लड डोनेशन से की थी पहले तो वह स्वयं ब्लड डोनेट कर दी थी फिर लोगों को जागरूक करते हुए ब्लड डोनेशन करवाती थी , वहीं इसके बाद उन्होंने अनेक ऐसे कार्य किए जो समाज के लिए हित में वे वही अभी जिले की सबसे कुप्रथा और जिले की महिलाओं के लिए एक तरह से महिलाओं के लिए नरक से भी पूरी जिंदगी करने वाली यह पता थी जिसके विरुद्ध में मोना सुस्तानी ने लाल चुनर नाम की एक नया संगठन बनाया जो जिले की नातरा प्रथा से पीड़ित महिलाओं को ना सिर्फ न्याय दिलाने के लिए कार्य कर रही है बल्कि लोगों को भी लगातार इस कुप्रथा के बारे में जागरूक कर रहा है कि यह कैसे समाज के लिए एक हानिकारक जहर है जो धीरे-धीरे ना सिर्फ परिवारों को खा रहा है बल्कि महिलाओं के लिए भी एक अभिशाप है।


Conclusion:पढ़ाई में भी अवल थी ग्रामीण लड़कियां

वही कहते हैं कि अगर सच्ची लगन और निष्ठा से किसी भी मुकाम को पाने की कोशिश की जाए तो 1 दिन निश्चित सफलता हाथ लगती है और ऐसा ही कुछ गांव के परिवेश में रहने वाली ग्रामीण अंचल की रमा दांगी ने करके दिखाया था ,इस बार शासकीय हाई सेकेंडरी स्कूल में पड़ी रमा ने 12वीं कला संकाय में 93% अंक हासिल कर प्रदेश में सातवां स्थान हासिल किया था, और ना सिर्फ अपने गांव खजुरिया का नाम रोशन किया था बल्कि अपने अंचल का भी नाम रोशन करते हुए दिखा दिया था, कि गांव में रहने वाली लड़कियां पढ़ाई में पीछे नहीं है, वही कुछ ऐसा ही सारंगपुर के मऊ पढ़ाना के शासकीय स्कूल में पढ़ते हुए डूंगरपुर गाँव की निवासी जागृति जाट ने 10वीं में 500 में से 492 अंक लाकर प्रदेश में सातवां स्थान हासिल किया था।

विसुअल

खेत मे काम करती महिलाएं

बाइट

खेत मे काम करती ग्रामीण महिला

मोना सुस्तानी समाज सेविका
Last Updated : Oct 15, 2019, 10:18 AM IST
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