राजगढ़। मध्यप्रदेश में राजगढ़ जिले का नरसिंहगढ़ क्षेत्र मालवा के कश्मीर नाम से विश्वप्रसिद्ध है. यहां कई ऐसे स्थल मौजूद हैं, जो ना सिर्फ अपने आप में अनोखे हैं बल्कि उनकी खूबसूरती देखते ही बनती है. ऐसा ही एक जगह राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ से लगभग 10 किलोमीटर दूर कोठरा विहार गांव में स्थित है. यहां जगह 16 खंभों के नाम से प्रसिद्ध है, और इसकी ख्याति अकबर के जमाने से है. जिला पुरातत्व विभाग के अधिकारी जीपी सिंह चौहान ने कहा कि 16 खंभी इमारत 10वीं से लेकर 11वीं शताब्दी के बीच परमार कालीन राजाओं द्वारा बनाया गया था. इसके साथ ही 16 खंभी इमारत राजगढ़ जिले की प्रमुख इमारतों में से एक है. जिला पुरातत्व विभाग के अधिकारी ने बताया कि 16वीं शताब्दी में राजा श्याम सिंह का उस वक्त वहां शासन था.
ऑफिसर ने कहा कि किवदंतियों के मुताबिक वहां वर्तमान में 16 खंभी स्मारक है. इसी तरह से इमारत में 16 गुणा 16 बराबर खंभों की ऊंचाई है. इस इमारत के अंदर बारुद से आग लगाई जाती थी. उस आग का तारा दिल्ली तक दिखाई देता था. उस समय दिल्ली पर मुगलों का शासन था. जब मुगल बादशाह ने आग के तारे को देखा, तो सुल्तान को लगा कि उनके राज्य में ऐसा कौन सा राजा है. जिसके राज्य का प्रकाश दिल्ली तक दिखाई दे रहा है. मामले की जानकारी पता करने के लिए मुगल बादशाह ने एक फौज को तैयार किया और राजगढ़ के लिए रवाना कर दिया.
अधिकारी जीपी सिंह ने आगे कहा कि बाद में मुगल सेना और राजा श्याम सिंह की सेना के बीच युद्ध हुआ. युद्ध में राजा श्याम सिंह की सेना मुगलों की सेना से परास्त हो गई और बाद में मुगल सिपाहियों ने 16 खंभी को नष्ट कर दिया. बाद में पुरातत्व विभाग ने पूरी इमारत को अपने अधीन लेकर उसे संरक्षित किया. लेकिन आज भी यह इमारत पर्यटकों के लिए एक खास पहचान रखती है. जीपी सिंह चौहान ने इस बात को भी स्वीकार किया है कि विभाग के कर्मचारियों की कमी के कारण इमारत का संरक्षण उस तरीके से नहीं हो पा रहा है. लेकिन जल्द भी विभाग कर्मचारियों की कमी पूरी कर ली जाएगी.
इमारत को सहजने की जरुरत
खूबसूरत वादियों के बीच बसा 16 खंभी पर्यटन स्थल ना सिर्फ अपना पुरातात्विक महत्व रखता है, बल्कि अपने उस अमर इतिहास को भी बयां करता है. जिसमें अपनी धरोहर को बचाने के लिए कैसे महाराजा श्याम सिंह, अकबर की सेना से लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुए थे. लेकिन आज जहां पुरातत्व विभाग द्वारा इसको संग्रहित किया गया है लेकिन कहीं आसामाजिक तत्व द्वारा इसको तोड़ने की घटना लगातार देखने को मिलती है और ना सिर्फ इसके आसपास की दीवारों में असामाजिक तत्वों द्वारा तोड़फोड़ की गई है बल्कि स्मारक के साथ भी लगातार छेड़खानी की जा रही है. जिससे इस अनमोल धरोहर पर खतरा अब भी दिखाई दे रहा है.