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डोल ग्यारस पर माता यशोदा ने श्रीकृष्ण का किया था जलवा पूजन संस्कार, जानें महत्व - भगवान विष्णु

डोल ग्यारस के अवसर पर शहर के विभिन्न स्थानों पर धूमधाम से भगवान कृष्ण की सवारी निकाली जाएगी. पुराणों के अनुसार इस दिन माता यशोदा ने जलवा पूजन संस्कारों की शुरुआत की थी.

आज मनाई जाएगी डोल ग्यारस
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Published : Sep 9, 2019, 3:30 PM IST

राजगढ़। डोल ग्यारस का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा. सोमवार शाम को भगवान कृष्ण की धूम-धाम से डोल के साथ पूजन किया जाएगा. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को डोल ग्यारस मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और उनके आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है. कहा जाता है इस दिन माता यशोदा ने जलवा पूजन किया था.

आज मनाई जाएगी डोल ग्यारस

ग्यारस के दिन माता यशोदा ने जलवा पूजन संस्कारों की शुरुआत की थी, जिसमें भगवान कृष्ण के जन्म के 18 दिनों बाद पुराने वस्त्रों को त्याग कर नए वस्त्रों को पहनाया गया था. पंडित बीएल शर्मा ने बताया कि इस दिन भगवान कृष्ण को नदी के किनारे ले जाया जाता है और पालकी के नीचे से लोग भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए निकलते हैं.

कहा जाता है कि देवशयनी एकादशी पर जहां भगवान विष्णु राजा बलि के यहां पहरेदारी करते हैं, जिसके दो माह बाद वो करवट बदलते हैं, जिसकी वजह से इसको परिवर्तन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.

राजगढ़। डोल ग्यारस का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा. सोमवार शाम को भगवान कृष्ण की धूम-धाम से डोल के साथ पूजन किया जाएगा. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को डोल ग्यारस मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और उनके आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है. कहा जाता है इस दिन माता यशोदा ने जलवा पूजन किया था.

आज मनाई जाएगी डोल ग्यारस

ग्यारस के दिन माता यशोदा ने जलवा पूजन संस्कारों की शुरुआत की थी, जिसमें भगवान कृष्ण के जन्म के 18 दिनों बाद पुराने वस्त्रों को त्याग कर नए वस्त्रों को पहनाया गया था. पंडित बीएल शर्मा ने बताया कि इस दिन भगवान कृष्ण को नदी के किनारे ले जाया जाता है और पालकी के नीचे से लोग भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए निकलते हैं.

कहा जाता है कि देवशयनी एकादशी पर जहां भगवान विष्णु राजा बलि के यहां पहरेदारी करते हैं, जिसके दो माह बाद वो करवट बदलते हैं, जिसकी वजह से इसको परिवर्तन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.

Intro:आज शाम को मनाई जाएगी ढोल ग्यारस जिले भर के विभिन्न स्थानों पर धूमधाम से निकाली जाएगी भगवान कृष्ण की सवारी वही पंडित जी ने बताया इसका महत्व की क्या है इसके महत्व और क्यों मनाई जाती है डोल ग्यारस


Body:जहां भारत अनेक संस्कृतियों का एक संगम वाला देश है जहां पर अनेक तीज त्यौहार बड़े रीति-रिवाजों के साथ पूरे देश में और विभिन्न स्थानों पर बनाए जाते हैं वही आज हिंदू रिती रिवाज के अनुसार ढोल ग्यारस का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से पूरे देश मे मनाया जाएगा,जिसके अनेक महत्व है और आज शाम को भगवान कृष्ण की धूम धाम से ढोल के साथ पूजन की जाएगी।
वही पंडितजी ने ढ़ोल ग्यारस का महत्व बताते हुए बताया कि लगते हुए भादों के दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था जिसके बाद उतरते हुए भादो की एकादशी के दिन माता यशोदा ने जलवा पूजन संस्कारों की शुरुआत की थी जिसमें उनके जन्म के 18 दिनों बाद प्रथम बार उनको पुराने वस्त्रों को नदी में धोते हुए नए वस्त्रों को पहनाया गया था और बड़ी ही धूमधाम से डोल के साथ उनका उत्सव मनाया गया था ,वही उन्होंने बताया कि इसका दूसरा महत्व यह है कि इस दिन भगवान कृष्ण को नदी के किनारे ले जाया जाता है और वहां पर उनकी पालकी के नीचे से छोटे से लेकर बड़े लोग सभी भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए निकलते हैं और शाम को धूमधाम से ढोल के साथ उनकी पूजन की जाती है जिसके वजह से ही से ढोल ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है।


Conclusion:इसका तीसरा महत्व या है कि देवसोणि ग्यारस पर जहां हिन्दू रिवाज के अनुसार भगवान विष्णु राजा बलि के यहाँ पर पहरेदारी करते हैं जिसके बाद आज 2 माह बाद वे अपनी करवट बदलते हैं जिसके वजह से इसको परिवर्तन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन शाम को भगवान कृष्ण की धूमधाम से पूजा की जाती है और उनके पालकी के नीचे से निकलकर लोग भगवान कृष्ण का आशीर्वाद लेते हैं

विसुअल

भगवान कृष्ण के

बाइट

पंडित बी एल शर्मा
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