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मनरेगा में मजदूरों की जगह मशीन कर रहीं काम, जिम्मेदार लगा रहे सरकारी योजनाओं को पलीता - मनरेगा में काम नहीं

दूसरे राज्यों से लॉकडाउन के दौरान लौट रहे मजदूरों को मनरेगा के तहत काम देने का वादा खोखला साबित हो रहा है. ऐसा ही मामला रायसेन में सामने आया है, जहां ग्रामीणों का आरोप है कि मजदूरों से काम कराने के बजाए मशीनों से काम कराकर उनके हक को मारा जा रहा है.

Work not getting in MNREGA scheme
मनरेगा योजना में नहीं मिल रहा काम
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Published : Jun 10, 2020, 10:37 AM IST

रायसेन। लॉकडाउन के कारण जहां गरीब मजदूरों की आर्थिक स्थिति चरमराई हुई है तो वहीं सरकार दावा कर रही है कि इन मजदूरों को ग्राम पंचायत स्तर पर काम दिया जा रहा है. लेकिन जमीनी हकीकत पर सरकार का यह दावा फेल नजर आ रहा है. सरकार द्वारा चलाई जा रही मनरेगा रोजगार गारंटी योजना अधिकारी और ग्राम पंचायतों के लिए कमाई का जरिया बन गई है. क्योंकि इन योजनाओं के तहत जहां मजदूरों को काम करना था वहां तो मशीने लगाकर मजदूरों के हक पर अपना हक जमाया जा रहा है.

मनरेगा योजना में नहीं मिल रहा काम


मामला जनपद पंचायत सिलवानी के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों से सामने आया है, जहां मजदूरों से काम न कराकर मशीनों से काम करवाया जा रहा है और सरकारी योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है. मजदूरों का आरोप है कि ग्राम पंचायतों में बडे़ पैमाने में खेत, तालाब और कुएं का निर्माण काम चालू हैं, लेकिन उस काम को हम सबसे न कराते हुए जेसीबी मशीन से कराया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन की मजबूरी, एमपी की B.A. पास बेटी बनी मनरेगा की 'मेधावी' मजदूर

इसके अलावा ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम पंचायतों में आई मनरेगा योजना की राशि से दूसरी ग्राम पंचायतों में भी निर्माण कार्य कराए गए हैं, जो कि नियम विरुद्ध है. ग्राम पंचायत पड़रिया के खिरका घाटी और जाम गांव में दो तालाबों का निर्माण कार्य जेसीबी मशीन से कराया गया है. इन तालाबों की लागत लगभग छह लाख से ज्यादा बताई जा रही है.

ये भी पढ़ें- मनरेगा के तहत ग्रामीणों को नहीं मिल रहा रोजगार, जनपद CEO से की शिकायत

वहीं इस पूरे मामले पर कुंडली के सरपंच रणधीर सिंह का कहना है कि ग्राम पंचायत पड़रिया में वो जमीन उन किसानों की है. वो चाहे तो पड़रिया पंचायत से तालब निर्माण कराएं या खुद से.

रायसेन। लॉकडाउन के कारण जहां गरीब मजदूरों की आर्थिक स्थिति चरमराई हुई है तो वहीं सरकार दावा कर रही है कि इन मजदूरों को ग्राम पंचायत स्तर पर काम दिया जा रहा है. लेकिन जमीनी हकीकत पर सरकार का यह दावा फेल नजर आ रहा है. सरकार द्वारा चलाई जा रही मनरेगा रोजगार गारंटी योजना अधिकारी और ग्राम पंचायतों के लिए कमाई का जरिया बन गई है. क्योंकि इन योजनाओं के तहत जहां मजदूरों को काम करना था वहां तो मशीने लगाकर मजदूरों के हक पर अपना हक जमाया जा रहा है.

मनरेगा योजना में नहीं मिल रहा काम


मामला जनपद पंचायत सिलवानी के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों से सामने आया है, जहां मजदूरों से काम न कराकर मशीनों से काम करवाया जा रहा है और सरकारी योजनाओं को पलीता लगाया जा रहा है. मजदूरों का आरोप है कि ग्राम पंचायतों में बडे़ पैमाने में खेत, तालाब और कुएं का निर्माण काम चालू हैं, लेकिन उस काम को हम सबसे न कराते हुए जेसीबी मशीन से कराया जा रहा है.

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इसके अलावा ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम पंचायतों में आई मनरेगा योजना की राशि से दूसरी ग्राम पंचायतों में भी निर्माण कार्य कराए गए हैं, जो कि नियम विरुद्ध है. ग्राम पंचायत पड़रिया के खिरका घाटी और जाम गांव में दो तालाबों का निर्माण कार्य जेसीबी मशीन से कराया गया है. इन तालाबों की लागत लगभग छह लाख से ज्यादा बताई जा रही है.

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वहीं इस पूरे मामले पर कुंडली के सरपंच रणधीर सिंह का कहना है कि ग्राम पंचायत पड़रिया में वो जमीन उन किसानों की है. वो चाहे तो पड़रिया पंचायत से तालब निर्माण कराएं या खुद से.

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