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कम बारिश के चलते बारना बांध खाली, कई गांवों को नहीं मिल रहा पानी

रायसेन का बारना डेम कम बारिश होने की वजह से खाली रह गया है, जिसकी वजह से सैकड़ों गांव को पानी नहीं मिल पा रहा है.

कम बारिश के चलते बारना बांध खाली
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Published : Aug 30, 2019, 12:54 PM IST

रायसेन। मध्यप्रदेश में भारी बारिश ने कहर बरपा रखा है, सभी नदी-नाले, तालाब उफान पर हैं, ऐसे में रायसेन जिले का सबसे बड़ा बारना बांध अभी डेढ़ मीटर खाली है, हालांकि पिछले साल से इस साल बारिश ज्यादा हुई है, लेकिन पिछले तीन साल से एक बार भी बांध के गेट नहीं खोले गए हैं.

रायसेन का बारना डेम कम बारिश से खाली रह गया
1972 के बाद इस डेम में तीन साल से ऐसे हालात बन रहे है कि बाड़ी और सुल्तानपुर क्षेत्र में हो रही कम वर्षा से गेट नहीं खोले गए हैं, ग्रामीणों के अनुसार जब से डेम बना है तब से आज तक उन्होंने डेम में इतना कम पानी नहीं देखा है.


इस साल बाड़ी क्षेत्र में कम बारिश होने से डेम खाली रह गया , बांध से बाड़ी क्षेत्र ही नहीं बल्कि बकतरा, खरगोन, उदयपुरा बरेली सहित सैकड़ों गांव में सिंचाई के लिए पानी मिलता है, बारना बांध का पानी रायसेन जिले एवं सीहोर जिले के गांवों में जाता है इसलिए बाड़ी में बना बारना डेम दोनों जिलों के किसानों को वरदान के रूप में माना जाता है.


बारना बांध पिछले साल 2018 के वर्षा काल में कम बारिश होने से मात्र 342 मीटर ही भरा था , जबकि उसकी भराव क्षमता 348.55 मीटर है , प्रतिवर्ष वर्षा काल में अधिक बारिश होने से बारना बांध के गेट दर्जनों बार खुल जाते हैं लेकिन वर्ष 2018 में एक बार भी गेट नहीं खोले गए, रवि फसल के लिए 2 जिलों में 75 हजार हेक्टेयर भूमि में बारना बांध से पानी दिया जाता है


बारना बांध के पिछले हिस्से में जहां पानी का भराव होना चाहिए, उस हिस्से में किसानों द्वारा खेती की जा रही है डैम के पिछले हिस्से की सफाई ना होने के कारण यहां पानी का भराव कम होता है वहीं गर्मियों में जलस्तर कम होते ही डैम की जमीन पर किसानों द्वारा खेती करना शुरू कर दिया था यह किसान डैम के पिछले हिस्से से ही पानी ले लेते हैं और डेम की जमीन पर खेती कर खासा मुनाफा कमा रहे हैं बारना बांध से जुड़े अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

रायसेन। मध्यप्रदेश में भारी बारिश ने कहर बरपा रखा है, सभी नदी-नाले, तालाब उफान पर हैं, ऐसे में रायसेन जिले का सबसे बड़ा बारना बांध अभी डेढ़ मीटर खाली है, हालांकि पिछले साल से इस साल बारिश ज्यादा हुई है, लेकिन पिछले तीन साल से एक बार भी बांध के गेट नहीं खोले गए हैं.

रायसेन का बारना डेम कम बारिश से खाली रह गया
1972 के बाद इस डेम में तीन साल से ऐसे हालात बन रहे है कि बाड़ी और सुल्तानपुर क्षेत्र में हो रही कम वर्षा से गेट नहीं खोले गए हैं, ग्रामीणों के अनुसार जब से डेम बना है तब से आज तक उन्होंने डेम में इतना कम पानी नहीं देखा है.


इस साल बाड़ी क्षेत्र में कम बारिश होने से डेम खाली रह गया , बांध से बाड़ी क्षेत्र ही नहीं बल्कि बकतरा, खरगोन, उदयपुरा बरेली सहित सैकड़ों गांव में सिंचाई के लिए पानी मिलता है, बारना बांध का पानी रायसेन जिले एवं सीहोर जिले के गांवों में जाता है इसलिए बाड़ी में बना बारना डेम दोनों जिलों के किसानों को वरदान के रूप में माना जाता है.


बारना बांध पिछले साल 2018 के वर्षा काल में कम बारिश होने से मात्र 342 मीटर ही भरा था , जबकि उसकी भराव क्षमता 348.55 मीटर है , प्रतिवर्ष वर्षा काल में अधिक बारिश होने से बारना बांध के गेट दर्जनों बार खुल जाते हैं लेकिन वर्ष 2018 में एक बार भी गेट नहीं खोले गए, रवि फसल के लिए 2 जिलों में 75 हजार हेक्टेयर भूमि में बारना बांध से पानी दिया जाता है


बारना बांध के पिछले हिस्से में जहां पानी का भराव होना चाहिए, उस हिस्से में किसानों द्वारा खेती की जा रही है डैम के पिछले हिस्से की सफाई ना होने के कारण यहां पानी का भराव कम होता है वहीं गर्मियों में जलस्तर कम होते ही डैम की जमीन पर किसानों द्वारा खेती करना शुरू कर दिया था यह किसान डैम के पिछले हिस्से से ही पानी ले लेते हैं और डेम की जमीन पर खेती कर खासा मुनाफा कमा रहे हैं बारना बांध से जुड़े अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

Intro:रायसेन-एक और मप्र में भारी बारिश ने कहर बरपा रखा है सभी नदी,नाले,तालाब,बांध लबालब भरे है ऐसे में रायसेन जिले का सबसे बड़ा बांध बारना अभी डेढ़ मीटर खाली है हालांकि बीते वर्ष से इस साल पानी ज्यादा है लेकिन तीन साल से एक बार भी बांध के गेट नही खुले,1972 के बाद इस डेम में तीन साल से ऐसे हालात बन रहे है बाड़ी और सुल्तानपुर झेत्र में हो रही कम वर्षा से ऐसे हालात बने है ग्रामीणों के अनुसार जबसे डैम बना है तब से आज तक उन्होंने डैम में इतना कम पानी नहीं देखा।


Body:इस साल बाड़ी क्षेत्र में कम बारिश होने से बारना डैम खाली रह गया बारना बांध से बाड़ी क्षेत्र ही नहीं बकतरा,खरगोन,उदयपुरा बरेली सहित सैकड़ों गांव में सिंचाई के लिए पानी मिलता है बारना बांध का पानी रायसेन जिले एवं सीहोर जिले के गांवों में जाता है इसलिए बाड़ी में बना बारना डेम दोनों जिलों के किसानों को वरदान के रूप में माना जाता है हालांकि इस बार कम वर्षा होने से डैम अपनी क्षमता के अनुसार नहीं भर पाया है बारना बांध से क्षेत्र का एक बड़ा क्षेत्र सिंचित होता है बारना बांध का पिछले साल 2018 के वर्षा काल में कम बारिश होने से आधा मात्र 342 मीटर ही भरा था जबकि उसकी भराव क्षमता 348.55 मीटर है प्रतिवर्ष वर्षा काल में अधिक बारिश होने से बारना बांध के गेट दर्जनों बार खुल जाते हैं लेकिन वर्ष 2018 में एक बार भी गेट नहीं खोले गए रवि फसल के लिए 2 जिलों में 75 हजार हेक्टेयर भूमि में बारना बांध से पानी दिया जाता है बाड़ी ब्लाक के अंतर्गत 56 हजार 254 हेक्टेयर क्षेत्र से अधिक को कबर किया जाता है वही सीहोर जिले के बुधनी विकासखंड में 14640 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई की जाती है लेकिन वर्ष 2018 में डैम सिर्फ 45 फ़ीसदी ही भर पाया था जिससे सिंचाई के लिए बमुश्किल पानी बांध प्रबंधन दे पाया। बारना बांध बाड़ी ही नहीं बल्कि रायसेन जिले के उदयपुरा तहसील तक और सीहोर जिले के वक़्तरा व मुख्यमंत्री के जेत गाँव तक किसानों को पानी देता है फिलहाल वारना बांध पर भी जल संकट मंडराते दिखाई दे रहा है यहां बांध में पानी डेड एंड पहुंच गया है बाड़ी नगर में दो पहाड़ों को बांधकर बारना बांध का निर्माण सन 1975 में कराया गया था तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र शेट्टी ने बांध का उद्घाटन किया था बारना बांध का कुल लेवल 348.55 मीटर होता है बारना बांध के पिछले हिस्से में जहां पानी का भराव होना चाहिए उस हिस्से में किसानों द्वारा खेती की जा रही है डैम के पिछले हिस्से की सफाई ना होने के कारण यहां पानी का भराव कम होता है वहीं गर्मियों में जलस्तर कम होते ही डैम की जमीन पर किसानों द्वारा खेती करना शुरू कर दिया था यह किसान डैम के पिछले हिस्से से ही पानी ले लेते हैं और डैम की जमीन पर खेती कर खासा मुनाफा कमा रहे हैं बारना बांध से जुड़े अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे।

Byte-एच् डी कुमार कार्यपालन यंत्री।


Conclusion:वही रायसेन जिले का सबसे बड़ा डैम बारना में पानी का जलस्तर इस साल अपने सबसे निचले स्तर पर यानी डेड एंड पर आ गया था आधिकारिक जानकारी के अनुसार डैम का जलस्तर 337-13 पर पहुँच गया है जबकि सचाई के लिए डैम का जलस्तर 348-55 फिट रहना चाहिए।
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