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हुनर को सलाम: मूक बधिर दिव्यांग ने खोजा रोजगार, साथ ही देते हैं बिजली बचाने का संदेश - फ्यूज

रायसेन में एक 40 वर्षीय दिव्यांग घर-घर जाकर फ्यूज बल्ब को 10-20 रुपये में खरीदते हैं और उन्हें ठीक कर 30 से 50 में बेच कर प्रतिमाह 3 से 5 हजार तक कमाते हैं और साथ ही बिजली बचाओ का संदेश देते हैं.

हुनर को सलाम
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Published : Oct 11, 2019, 10:42 PM IST

रायसेन। 40 वर्षीय दिव्यांग घर-घर जाकर फ्यूज बल्ब को खरीदते हैं और फिर उसे ठीक करके बेच देते हैं, इस तरह प्रतिमाह 3 से 5 हजार रुपए तक की कमाई करते हैं.

मूक बधिर दिव्यांग ने खोजा रोजगार


वही बता दें कि लगातार बिजली के भारी बिल से परेशान उपभोक्ता घरों में सीएफएल बल्ब उपयोग करते हैं, जिन्हें खराब होने पर फेंक दिया जाता है लेकिन अब इन्हें फेंकने की जरूरत नहीं है. जिले के उदयपुरा में रहने वाले एक 40 वर्षीय अंजनी शर्मा उन बल्बों को पुनः जलने लायक बना देते हैं.


अंजनी शर्मा सुबह अपनी ट्राई सायकिल पर घर-घर जाकर फ्यूज बल्ब को 10-20 रुपये में खरीदते हैं और उन्हें ठीक कर 30 से 50 में बेच कर प्रतिमाह 3 से 5 हजार तक कमाते है. अंजनी शर्मा दिव्यांग और गूंगे और बहरे होते हुए भी बिजली बचाओ का संदेश दे रहे हैं और साथ ही यह बिजली बचाने के लिए सीएफएल बल्ब उपयोग करने के अपने अंदाज में बयान करते हैं और अपने पिता का सहयोग करते हैं.

रायसेन। 40 वर्षीय दिव्यांग घर-घर जाकर फ्यूज बल्ब को खरीदते हैं और फिर उसे ठीक करके बेच देते हैं, इस तरह प्रतिमाह 3 से 5 हजार रुपए तक की कमाई करते हैं.

मूक बधिर दिव्यांग ने खोजा रोजगार


वही बता दें कि लगातार बिजली के भारी बिल से परेशान उपभोक्ता घरों में सीएफएल बल्ब उपयोग करते हैं, जिन्हें खराब होने पर फेंक दिया जाता है लेकिन अब इन्हें फेंकने की जरूरत नहीं है. जिले के उदयपुरा में रहने वाले एक 40 वर्षीय अंजनी शर्मा उन बल्बों को पुनः जलने लायक बना देते हैं.


अंजनी शर्मा सुबह अपनी ट्राई सायकिल पर घर-घर जाकर फ्यूज बल्ब को 10-20 रुपये में खरीदते हैं और उन्हें ठीक कर 30 से 50 में बेच कर प्रतिमाह 3 से 5 हजार तक कमाते है. अंजनी शर्मा दिव्यांग और गूंगे और बहरे होते हुए भी बिजली बचाओ का संदेश दे रहे हैं और साथ ही यह बिजली बचाने के लिए सीएफएल बल्ब उपयोग करने के अपने अंदाज में बयान करते हैं और अपने पिता का सहयोग करते हैं.

Intro:रायसेन-कौन कहता है कि लगड़ा पहाड़ नही लांघ सकता?कौन कहता है कि गूँगा बोल नही सकता?कौन कहता है कि वहरा सुन नही सकता?यदि दुनिया मे ईश्वर है तो सव संभव है/एक 40 वर्षीय युवक जो लगड़ा,गूँगा वहरा यानि पूर्ण रूप से दिव्यांग होते हुए लोगों में रोशनी कर रहा है यह रोशनी उसे रोजगार दे रही है रोजगार/


Body:वही लगातार बिजली के भारी बिल से परेशान उपभोक्ता घरों में सीएफएल वल्प उपयोग करते हैं जिन्हें खराब होने पर फेंक दिया जाता है पर अब फेंकने की जरूरत नहीं है।रायसेन जिले के उदयपुरा में रहने वाले एक 40 वर्षीय अंजनी शर्मा उन वल्वो को पुनः जलने लायक बना देता है/यह महोदय सुबह अपनी ट्राई सायकिल पर घर-घर जाकर फ्यूज बल्ब को 10-20 रुपये में खरीदता है और उन्हें ठीक कर 30 से 50 में बेच कर प्रतिमाह 3 से 5 हजार तक कमाता है/जिन वल्वो को फ्यूज समझकर फेक दिया जाता है उन वल्वो को ठीक कर यह महाशय रोजी-रोटी चलाते हैं/इन्हें यह ज्ञान गॉड गिफ्ट है/ यह महाशय दिव्यांग और गूँगे और वहरे होते हुए भी बिजली बचाओ का संदेश दे रहे है। यह बिजली बचाने के लिए सीएफएल बल्ब उपयोग करने का अपने अंदाज में ब्यान करते हैं इनके पिता ही इनका सहयोग करते हैं चूँकि पिता पेशे से पांडित्य कार्य करते हैं।

Byte-अब्दुल रफ़ीक।

Byte-दिव्यांग की माँ।

Byte(121)-गोपाल प्रसाद शर्मा दिव्यांग के पिता।आदर्श पाराशर रायसेन।


Conclusion:
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