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संकट मोचन हनुमान का चमत्कार !, यहां ग्रामीणों पर कोरोना बेअसर - Sankat Mochan Hanuman

रायसेन के छींद गांव में राम भक्त हनुमान की 200 साल प्राचीन स्वंय-भू प्रतिमा स्थापित है. यहां देश के कोने-कोने से श्रद्धालु मनोकामनाएं लेकर आते हैं. श्रद्धालुओं का ऐसा विश्वास है कि भीषण कोरोना काल में यहां रहने वाले लोगों को कोरोना नहीं हुआ है. यह हनुमान जी चमत्कारिक हैं. पढ़िए पूरी खबर.

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संकट मोचन हनुमान का चमत्कार, यहां ग्रामीणों पर कोरोना बेअसर
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Published : Apr 28, 2021, 9:12 AM IST

रायसेन। देश और प्रदेश में कोरोना का संक्रमण से हाहाकार मचा हुआ है, यहां तक की अब यह मानवता पर खतरा बनते जा रहा है. लेकिन रायसेन जिले में हनुमान जी एक ऐसा मंदिर मौजूद है. जिसकी कृपा से आसपास के क्षेत्रों में कोरोना का संक्रमण तक नहीं फैल पाया, यहां श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यह बजरंग बली का चमत्कार ही है. कि गांव के किसी भी व्यक्ति को कोरोना अपनी चपेट में नहीं ले पाया.

संकट मोचन हनुमान का चमत्कार, यहां ग्रामीणों पर कोरोना बेअसर
  • छींद गांव के हनुमान मंदिर पर लाखों श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास

राजधानी भोपाल से सटे रायसेन की बरेली तहसील के छींद गांव में प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है. यह हनुमान जी छींद वाले हनुमान जी के नाम से जाने जाते हैं. हनुमान जी की यहां पर कृपा इस तरह से है कि इस गांव में अभी तक संक्रमण नहीं फैलने दिया है. हर जगह कोरोना का संक्रमण इतना अधिक फैल गया है कि गली-गली, गांव-गांव तक कोरोना वायरस ने अपने पैर पसार लिए है, लेकिन छींद वाले दादा जी की कृपा से यहां आज तक एक भी व्यक्ति इस महामारी की चपेट में नहीं आया है.

  • ' नासे रोग हरे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा '

प्रसिद्ध संकट मोचन हनुमान जी गांव के विशाल पीपल के पेड़ के नीचे दक्षिणमुखी विराजे हैं. हनुमान जी को रोगों से दूर रखने वाला कहा गया है हनुमान जी अनुशासित जीवन शैली को पसंद करते हैं जो भक्त अनुशासित जीवन शैली को जीता है. माना जाता है कि जो भक्त हनुमान जी की आराधना करता है उससे भगवान हनुमान बहुत प्रसन्न रहते हैं हनुमान भक्त स्वस्थ्य और निरोग रहते हैं. हनुमान चालीस की इस पंक्ति में इस बात का उल्लेख भी है. ' नासे रोग हरे सब पीरा, जो सुमिरे हनुमंत बलबीरा ' यह पंक्ति इस कोरोना काल में सही साबित हो रही है. 200 साल प्राचीन इस छींद धाम के मंदिर में दर्शन करने लोग काफी दूर दूर से पहुंचते है.

हनुमान के मंदिर को छू तक नहीं पाया था मुगल शासक, भंवरों के चमत्कार से चौंक गई थी सेना

  • स्वंयभू हनुमानजी की प्रतिमा

इस प्राचीन मंदिर में विराजित हनुमानजी की प्रतिमा के बारे में बताया जाता है कि यह दुर्लभ प्रतिमा जिस स्थान पर स्थापित है. वहां पहले कृषि भूमि थी. इस भूमि के मालिक को बजरंग बली की प्रतिमा खेत में काम करने के दौरान मिली थी. इसके बाद किसान ने उसी स्थान पर छोटी सी मढ़िया बनाकर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर दी. उस दिन से यहां पूजा-पाठ होने लगा और छींद धाम की महिमा चारों तरफ बढ़ती चली गई. देखते ही देखते यह स्थान चमत्कारिक हो गया, और लाखों की संख्या में भक्तों के आने का सिलसिला शुरु हो गया.

यहां के स्थानीय निवासी और श्रद्धालु दिगपाल सिंह पटेल का कहना है कि अभी तक इस गांव में कोरोना का हमला नहीं हुआ है. जिसके चलते एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ, आसपास के गांव भी सुरक्षित है. दादाजी महाराज की कृपा ऐसी ही बनी रहे.

  • देशभर से आते हैं भक्त

हनुमानजी के दर्शन करने श्रद्धालु मनोकामनाएं लेकर दूर-दूर से आते हैं. खासकर मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की कतारें तड़के चार बजे से देखने को मिल जाती है. हनुमान जन्मोत्सव पर हर वर्ष यहां विशेष कार्यक्रम होते है. हांलांकि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते प्रवेश बंद है. लोग परिवार और दोस्तों के साथ आते हैं. दर्शन और पूजा-अर्चना करते हैं. कई श्रद्धालु भंडारे का आयोजन कर प्रसादी भी बांटते हैं. यहां दिन-रात भजन, कीर्तन आयोजित होते हैं और छींद में मेला लगा रहता है.

रायसेन। देश और प्रदेश में कोरोना का संक्रमण से हाहाकार मचा हुआ है, यहां तक की अब यह मानवता पर खतरा बनते जा रहा है. लेकिन रायसेन जिले में हनुमान जी एक ऐसा मंदिर मौजूद है. जिसकी कृपा से आसपास के क्षेत्रों में कोरोना का संक्रमण तक नहीं फैल पाया, यहां श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यह बजरंग बली का चमत्कार ही है. कि गांव के किसी भी व्यक्ति को कोरोना अपनी चपेट में नहीं ले पाया.

संकट मोचन हनुमान का चमत्कार, यहां ग्रामीणों पर कोरोना बेअसर
  • छींद गांव के हनुमान मंदिर पर लाखों श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास

राजधानी भोपाल से सटे रायसेन की बरेली तहसील के छींद गांव में प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है. यह हनुमान जी छींद वाले हनुमान जी के नाम से जाने जाते हैं. हनुमान जी की यहां पर कृपा इस तरह से है कि इस गांव में अभी तक संक्रमण नहीं फैलने दिया है. हर जगह कोरोना का संक्रमण इतना अधिक फैल गया है कि गली-गली, गांव-गांव तक कोरोना वायरस ने अपने पैर पसार लिए है, लेकिन छींद वाले दादा जी की कृपा से यहां आज तक एक भी व्यक्ति इस महामारी की चपेट में नहीं आया है.

  • ' नासे रोग हरे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा '

प्रसिद्ध संकट मोचन हनुमान जी गांव के विशाल पीपल के पेड़ के नीचे दक्षिणमुखी विराजे हैं. हनुमान जी को रोगों से दूर रखने वाला कहा गया है हनुमान जी अनुशासित जीवन शैली को पसंद करते हैं जो भक्त अनुशासित जीवन शैली को जीता है. माना जाता है कि जो भक्त हनुमान जी की आराधना करता है उससे भगवान हनुमान बहुत प्रसन्न रहते हैं हनुमान भक्त स्वस्थ्य और निरोग रहते हैं. हनुमान चालीस की इस पंक्ति में इस बात का उल्लेख भी है. ' नासे रोग हरे सब पीरा, जो सुमिरे हनुमंत बलबीरा ' यह पंक्ति इस कोरोना काल में सही साबित हो रही है. 200 साल प्राचीन इस छींद धाम के मंदिर में दर्शन करने लोग काफी दूर दूर से पहुंचते है.

हनुमान के मंदिर को छू तक नहीं पाया था मुगल शासक, भंवरों के चमत्कार से चौंक गई थी सेना

  • स्वंयभू हनुमानजी की प्रतिमा

इस प्राचीन मंदिर में विराजित हनुमानजी की प्रतिमा के बारे में बताया जाता है कि यह दुर्लभ प्रतिमा जिस स्थान पर स्थापित है. वहां पहले कृषि भूमि थी. इस भूमि के मालिक को बजरंग बली की प्रतिमा खेत में काम करने के दौरान मिली थी. इसके बाद किसान ने उसी स्थान पर छोटी सी मढ़िया बनाकर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर दी. उस दिन से यहां पूजा-पाठ होने लगा और छींद धाम की महिमा चारों तरफ बढ़ती चली गई. देखते ही देखते यह स्थान चमत्कारिक हो गया, और लाखों की संख्या में भक्तों के आने का सिलसिला शुरु हो गया.

यहां के स्थानीय निवासी और श्रद्धालु दिगपाल सिंह पटेल का कहना है कि अभी तक इस गांव में कोरोना का हमला नहीं हुआ है. जिसके चलते एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ, आसपास के गांव भी सुरक्षित है. दादाजी महाराज की कृपा ऐसी ही बनी रहे.

  • देशभर से आते हैं भक्त

हनुमानजी के दर्शन करने श्रद्धालु मनोकामनाएं लेकर दूर-दूर से आते हैं. खासकर मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की कतारें तड़के चार बजे से देखने को मिल जाती है. हनुमान जन्मोत्सव पर हर वर्ष यहां विशेष कार्यक्रम होते है. हांलांकि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते प्रवेश बंद है. लोग परिवार और दोस्तों के साथ आते हैं. दर्शन और पूजा-अर्चना करते हैं. कई श्रद्धालु भंडारे का आयोजन कर प्रसादी भी बांटते हैं. यहां दिन-रात भजन, कीर्तन आयोजित होते हैं और छींद में मेला लगा रहता है.

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