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विदिशा लोकसभा क्षेत्र के लोगों का बदला-बदला है मूड, बीजेपी को फायदा या नुकसान? - सुषमा स्वराज

विदिशा सांसद और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के कामकाज पर कुछ लोगों संतुष्टि जताई है, तो असंतुष्ट नजर आए. लोगों का आरोप है कि सांसद ने जो वादे किये उनमें ज्यादातर अधूरे ही हैं.

विदिशा लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं की राय
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Published : Apr 5, 2019, 11:29 AM IST

रायसेन। विदिशा लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में विकास के नाम पर वोट देने की बात कही है. विदिशा लोकसभा सीट बीजेपी की मजबूत सीटों में से एक है. यहां से पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज करने वाली सुषमा स्वराज सांसद हैं, जो केंद्र में विदेश मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं. कुछ लोगों ने सुषमा स्वराज के कामकाज पर संतुष्टि जताई है, तो असंतुष्ट नजर आए.

लोगों का आरोप है कि सांसद ने जो वादे किए थे, उनमें से ज्यादातर अधूरे हैं. लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी-कांग्रेस ने इस सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. हालांकि मतदाताओं का मानना है कि चेहरा कोई भी हो, कमल का फूल ही खिलेगा. जिन लोगों में आक्रोश है वह कहते हैं कि सांसद सुषमा स्वराज ने जिन गांव को गोद लिया, उनमें विकास नहीं हुआ. लोगों का मानना है कि रुटीन के काम तो हुए, लेकिन कोई विशेष विकास नहीं हुआ. लोग बताते हैं कि पुस्तकालय की घोषणा समते दूसरी घोषणाएं अब तक अधूरी हैं.

विदिशा लोकसभा क्षेत्र के लोगों का बदला-बदला है मूड

लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास मिलने के अलावा कोई विकास नहीं हुआ. विदिशा लोकसभा क्षेत्र में रायसेन जिले की तीन विधानसभा सीटें सांची, भोजपुर एवं सिलवानी आती हैं. इस सीट से दिवंगत पूर्व पीएम अटविहारी वाजपेयी, पूर्व सीएम शिवराज, पूर्व मंत्री रामपाल सिंह, सांसद रहे चुके हैं. पिछले दो लोकसभा चुनावों से यहां के मतदाताओं ने सुषमा स्वराज को सांसद चुना है. आगामी लोकसभा चुनाव के लिये मतादाओं ने उनके कामकाज पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है.

जब सुषमा स्वराज ने 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, उस समय जिले से तीन मंत्री एवं एक विधायक का अहम सहयोग रहा था. यही वजह रही कि वे 2009 में पौने 4 लाख जबकि 2014 में चार लाख से ज्यादा वोटों से जीती थीं. लेकिन इस बार बीजेपी की राह में मतदाताओं की नाराजगी रोड़ा बन सकती है.

रायसेन। विदिशा लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में विकास के नाम पर वोट देने की बात कही है. विदिशा लोकसभा सीट बीजेपी की मजबूत सीटों में से एक है. यहां से पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज करने वाली सुषमा स्वराज सांसद हैं, जो केंद्र में विदेश मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं. कुछ लोगों ने सुषमा स्वराज के कामकाज पर संतुष्टि जताई है, तो असंतुष्ट नजर आए.

लोगों का आरोप है कि सांसद ने जो वादे किए थे, उनमें से ज्यादातर अधूरे हैं. लोकसभा चुनाव 2019 के लिए बीजेपी-कांग्रेस ने इस सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. हालांकि मतदाताओं का मानना है कि चेहरा कोई भी हो, कमल का फूल ही खिलेगा. जिन लोगों में आक्रोश है वह कहते हैं कि सांसद सुषमा स्वराज ने जिन गांव को गोद लिया, उनमें विकास नहीं हुआ. लोगों का मानना है कि रुटीन के काम तो हुए, लेकिन कोई विशेष विकास नहीं हुआ. लोग बताते हैं कि पुस्तकालय की घोषणा समते दूसरी घोषणाएं अब तक अधूरी हैं.

विदिशा लोकसभा क्षेत्र के लोगों का बदला-बदला है मूड

लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास मिलने के अलावा कोई विकास नहीं हुआ. विदिशा लोकसभा क्षेत्र में रायसेन जिले की तीन विधानसभा सीटें सांची, भोजपुर एवं सिलवानी आती हैं. इस सीट से दिवंगत पूर्व पीएम अटविहारी वाजपेयी, पूर्व सीएम शिवराज, पूर्व मंत्री रामपाल सिंह, सांसद रहे चुके हैं. पिछले दो लोकसभा चुनावों से यहां के मतदाताओं ने सुषमा स्वराज को सांसद चुना है. आगामी लोकसभा चुनाव के लिये मतादाओं ने उनके कामकाज पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है.

जब सुषमा स्वराज ने 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, उस समय जिले से तीन मंत्री एवं एक विधायक का अहम सहयोग रहा था. यही वजह रही कि वे 2009 में पौने 4 लाख जबकि 2014 में चार लाख से ज्यादा वोटों से जीती थीं. लेकिन इस बार बीजेपी की राह में मतदाताओं की नाराजगी रोड़ा बन सकती है.

Intro:विदिशा रायसेन लोकसभा में 8 विधानसभा आती है जिसमें 3 विधानसभा रायसेन जिले की आती है लोकसभा से पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री रामपाल सिंह राजपूत सांसद रह चुके हैं और 2009 से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सांसद है यहां की जनता की क्या है प्रतिक्रिया।


Body:विदिशा लोकसभा के लिए अभित्र अंग है रायसेन जिला। रायसेन जिले की तीन विधानसभा सांची,भोजपुर एवं सिलवानी आती है। जब सुषमा स्वराज ने 2009-2014 चुनाव लड़ा था उस समय जिले से तीन मंत्री एवं एक विधायक का सहयोग रहा।2009 में पौने 4 लाख से जीती एवं 2014 में चार लाख से ऊपर। सांसद सुषमा स्वराज ने कई विकास कार्यों की घोषणा की और एक दर्जन गांव को गोद लिया। रेल लाने की घोषणा की और सर्वे की बात। रेल मंत्री को 2014 में जीत के बाद साथ भी लायी। लेकिन न दिल का पता है और ना गोद लिए गांव की हालत सुधरी है इस बार मतदाताओं में बीजेपी प्रत्याशी के प्रति रोष है वहीं में चौकीदार की भी लहर है। और नोटबंदी एवं जीएसटी और 15 लाख खातों में नही यह बात भी मतदाताओं के मन मे है।

Byte-मतदाता।


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