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रायसेन: मां नर्मदा तक जान जोखिम में डाल पिंड भराई - narmada yatra

रायसेन के उदयपुरा की अनोखी परंपरा, 6 किमी. तक पिंड भरकर निकलती मां नर्मदा की यात्रा. उदयपुरा से शुरु शुरू हुई यात्रा बोरास के नर्मदा घाट पर जाकर खत्म होती है.यात्रा पूरी करने में लगभग 2 दिन लग जाते हैं

रायसेन की अनोखी परंपरा
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Published : Nov 11, 2019, 10:16 PM IST

रायसेन। इन तस्वीरों को देखकर आप कोई अंदाजा लगाएं, इससे पहले हम खुद आपको पूरी कहानी बयां कर देते हैं. दरअसल सड़कों पर लेटते ये लोग अपनी 45 साल पुरानी आस्था और परंपरा को निभा रहे हैं. इसमें महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सब शामिल हैं. लेकिन सड़क पर इन श्रद्धालुओं की जान पर हमेशा खतरा बना रहता है.

रायसेन की अनोखी परंपरा
यात्रा पूरी होने में लगते हैं दो दिन
इस परंपरा को निभाने के लिए जिले के उदयपुरा के लोग हर साल 6 किलोमीटर तक पिंड भरते हुए नर्मदा घाट बोरास तक जाते हैं जिसमें करीब दो दिन लग जाते हैं. पिंड भरना एक कठिन तपस्या है, लेकिन लोगों की आस्था के आगे सब बेमानी हो जाता है. पिंड भरने जा रहे भक्तों में किसी की मन्नत पूरी हुई है तो कोई मन्नत मांगने जा रहा है.

प्रशासन नहीं करता कोई इंतजाम
अस्था से भरपूर इस परंपरा को तो लोग जान जोखि में डालकर निभाते हैं. लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. स्टेट हाइवे पर आस्था के इस सैलाब के लिए प्रशासन कोई इंतजाम नहीं करती. सड़क के दोनों तरफ से गाड़ियां आती-जाती रहती हैं लेकिन भक्तों की सुरक्षा का किसी को कोई ख्याल नहीं रहता.

जान पर भारी पड़ रही है आस्था
वहीं श्रद्धालुओं का कहना है कि प्रशासन की तरफ से कभी कोई सुविधा नहीं मिली. अपनी जान जोखिम में डालकर वो इस परंपरा को निभा रहे हैं. वहीं तहसीलदार का कहना है कि पुलिस की ड्यूटी लगी हुई हैं, साथ ही राज्सव के कार्मचारियों को भी लगाया गया हैं. सब कुछ प्रशासन की निगरानी में हैं . लेकिन इन तस्वीरों में ना पुलिस बल दिख रहा, ना ही राजस्व का कोई अमला.

क्या प्रशासन को हादसे का इंतजार ?

पिछले 45 सालों से ये परंपरा लगातार जारी है, लेकिन प्रशासन ने आज तक इसके लिए कोई इंतजाम नहीं किए. तो सवाल ये है कि क्या प्रशासन किसी हादसे का इंतजार कर रहा है. आखिर क्यों नहीं आज तक कोई व्यवस्था की गई.

रायसेन। इन तस्वीरों को देखकर आप कोई अंदाजा लगाएं, इससे पहले हम खुद आपको पूरी कहानी बयां कर देते हैं. दरअसल सड़कों पर लेटते ये लोग अपनी 45 साल पुरानी आस्था और परंपरा को निभा रहे हैं. इसमें महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग सब शामिल हैं. लेकिन सड़क पर इन श्रद्धालुओं की जान पर हमेशा खतरा बना रहता है.

रायसेन की अनोखी परंपरा
यात्रा पूरी होने में लगते हैं दो दिन
इस परंपरा को निभाने के लिए जिले के उदयपुरा के लोग हर साल 6 किलोमीटर तक पिंड भरते हुए नर्मदा घाट बोरास तक जाते हैं जिसमें करीब दो दिन लग जाते हैं. पिंड भरना एक कठिन तपस्या है, लेकिन लोगों की आस्था के आगे सब बेमानी हो जाता है. पिंड भरने जा रहे भक्तों में किसी की मन्नत पूरी हुई है तो कोई मन्नत मांगने जा रहा है.

प्रशासन नहीं करता कोई इंतजाम
अस्था से भरपूर इस परंपरा को तो लोग जान जोखि में डालकर निभाते हैं. लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. स्टेट हाइवे पर आस्था के इस सैलाब के लिए प्रशासन कोई इंतजाम नहीं करती. सड़क के दोनों तरफ से गाड़ियां आती-जाती रहती हैं लेकिन भक्तों की सुरक्षा का किसी को कोई ख्याल नहीं रहता.

जान पर भारी पड़ रही है आस्था
वहीं श्रद्धालुओं का कहना है कि प्रशासन की तरफ से कभी कोई सुविधा नहीं मिली. अपनी जान जोखिम में डालकर वो इस परंपरा को निभा रहे हैं. वहीं तहसीलदार का कहना है कि पुलिस की ड्यूटी लगी हुई हैं, साथ ही राज्सव के कार्मचारियों को भी लगाया गया हैं. सब कुछ प्रशासन की निगरानी में हैं . लेकिन इन तस्वीरों में ना पुलिस बल दिख रहा, ना ही राजस्व का कोई अमला.

क्या प्रशासन को हादसे का इंतजार ?

पिछले 45 सालों से ये परंपरा लगातार जारी है, लेकिन प्रशासन ने आज तक इसके लिए कोई इंतजाम नहीं किए. तो सवाल ये है कि क्या प्रशासन किसी हादसे का इंतजार कर रहा है. आखिर क्यों नहीं आज तक कोई व्यवस्था की गई.

Intro:रायसेन- 45 वर्षों से अनोखी परंपरा जिसमें हजारों महिला पुरुष बच्चे पिंड भरते हुए मां नर्मदा घाट बोरास तक जाते हैं महज 6 किलोमीटर पिंड भरने की अनोखी परंपरा वर्षों से अनवरत जारी है मां नर्मदा के आशीर्वाद से पिंड भरे जाते हैं पिंड भरना एक शारीरिक कठिन तपस्या है लेकिन आस्था के आगे सब सरल हो जाती है हजारों भक्त पिंड भरते हुए नर्मदा घाट बोरास जा रहे हैं किसी की मान्यता हुई पूरी तो कोई खुशहाली से जा रहे हैं तो वहीं प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था नहीं है जान जोखिम में स्टेट हाईवे पर पिंड भरते श्रद्धालु तो दूसरी और बिना रोक-टोक के अंधी रफ्तार में चल रहे यह वाहन।


Body:रायसेन जिले के उदयपुरा से प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में भक्त पिंड भरते हुए 6 किलोमीटर की दूरी तय कर 2 दिन में बोरास घाट पहुंचते हैं महिलाएं पुरुषों के साथ बच्चे भी पिंड भरते हुए जा रहे हैं इन्हें मां कृपा से कोई कठिनाई नहीं आती है और ना ही शारीरिक तकलीफ होती है लगभग 5 हजार से अधिक भक्त मां नर्मदा के दर्शनों के लिए पिंड भरते जा रहे हैं लगभग 45 वर्षों से यह परंपरा अनवरत जारी है वहीं प्रशासन की और से पुख्ता इंतजाम की बात की जा रही है लेकिन जमीनी हकीकत जब ईटीवी भारत की टीम ने देखी जहां जीरो ग्राउंड पर पुलिस की कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है जान जोखिम में डाल आस्था के कारण जान जोखिम में डाल पिंड भरते जा रहे हैं श्रद्धालु। यह 2 दिन में पिंड भरकर मां नर्मदा घाट बोरास पहुंचेंगे वही आप देख सकते हैं कि किस तरह भारी वाहनों के आवागमन को देखा जा रहा है जब हमने इस मामले में तहसीलदार से बात की तो घटनास्थल पर जाने की बात की और कहा कि पुलिस के जिन लोगों की साथ चलने की जिम्मेदारी है उन पर कार्यवाही की जाएगी। Byte-श्रद्धालु बच्चें,महिलाएं,पुरुष। Byte-बृजेश सिंह तहसीलदार।


Conclusion:
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