ETV Bharat / state

पलायन जारी : महाराष्ट्र से सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर ऑटो से रायसेन पहुंच रहे मजदूर - रायसेन ऑटो से पहुंचे मजदूर

मुंबई में फंसे प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. रायसेन जिले से रोज सैकड़ों ऑटो वाले गुजर रहे हैं. यूपी के अलग-अलग शहरों में रहने वाले ये लोग अपने-अपने शहरों की ओर भाग रहे हैं.

Breaking News
author img

By

Published : May 13, 2020, 6:40 PM IST

रायसेन। मुंबई में फंसे प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. रायसेन जिले से रोज गुजरते हैं सैकड़ों ऑटो. उप्र के अलग-अलग शहरों में रहने वाले ये लोग अपने-अपने शहरों की ओर भाग रहे हैं. सैकड़ों लोग ऑटो रिक्शा में बैठकर शहर की तरफ जा रहे हैं. रायसेन जिले के विदिशा भोपाल हाईवे पर रिक्शों की कतार लगी हुई है. लोग बच्चों के साथ भूखे-प्यासे घरों की तरफ जा रहे हैं. उनका मकसद सिर्फ घर पहुंचना है. रायसेन जिले में दीवानगंज हाईवे पर कुछ लोग खाने की व्यवस्था में जुटे हैं. कुछ देर की राहत के बाद ये लोग वापस अपने-अपने घरों की ओर निकल पड़ते हैं.

महाराष्ट्र से सैकड़ों किलोमीटर ऑटो से रायसेन पहुंच रहे मजदूर

जिले के विदिशा भोपाल हाईवे पर 15 मिनट खड़े हो जाइए. 25 से ज्यादा ऑटो रिक्शा आपके सामने से गुजर जाएंगे. मुंबई, वसई, पुणे, नवी मुंबई, ठाणे, विरार के एक लाख से ज्यादा रिक्शा चालक 200 सीसी की क्षमता वाले छोटे से ऑटो पर 1600 से 2000 किलोमीटर के सफर पर निकल चुके हैं. हर ऑटो में कम से कम चार सवारी हैं. तीन दिन पहले इस तीन पहिया वाहन पर शुरू हुई इनकी जिंदगी अभी अगले तीन दिन तक ऑटो रिक्शा पर ही गुजारनी है. दो महीने तक लॉकडाउन खुलने का इंतजार करने के बाद संयम टूट गया. जब भूखे मरने की नौबत आ गई तो यह रिक्शा चालक परिवार लेकर अपने गांव के लिए निकल पड़े. इन ऑटो वालों में से ज्यादातर यूपी, झारखंड, बिहार के गांवों के हैं

यूपी जौनपुर के राजेश पांडे बताते हैं कि दो छोटे बच्चे, बूढ़ी मां और पत्नी के साथ नवी मुंबई से 1700 किलोमीटर का सफर है 2-3 दिन और लगेंगे. सीएनजी तो मिलती नहीं है. 7 से 10 हजार रुपए का पेट्रोल खर्चा लग जाएगा. वैसे तो 1 दिन में 3-4 सौ किलोमीटर का सफर कर लेते हैं लेकिन गर्मी से ऑटो खराब हो रहे, ज्यादा चल नहीं पा रहे हैं. बच्चे और बूढ़ों की लू से तबीयत खराब हो रही है. रास्तों में लोगों ने जो खिला दिया, खा लिया. जहां जगह मिल जाती है हम लोग छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर रात बिता लेते हैं. महाराष्ट्र से यहां तक खान-पान की सबसे ज्यादा सेवा करने वाले लोग एमपी में खासकर भोपाल रायसेन के आसपास ही मिले. वहीं जौनपुर जिले के प्रेम नाथ यादव बताते हैं सिर्फ ऑटो ही नहीं है जिसको जो साधन मिला है बाइक, साइकिल, पैदल, ठेला अपने गांव के लिए निकल पड़े हैं.

रायसेन। मुंबई में फंसे प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. रायसेन जिले से रोज गुजरते हैं सैकड़ों ऑटो. उप्र के अलग-अलग शहरों में रहने वाले ये लोग अपने-अपने शहरों की ओर भाग रहे हैं. सैकड़ों लोग ऑटो रिक्शा में बैठकर शहर की तरफ जा रहे हैं. रायसेन जिले के विदिशा भोपाल हाईवे पर रिक्शों की कतार लगी हुई है. लोग बच्चों के साथ भूखे-प्यासे घरों की तरफ जा रहे हैं. उनका मकसद सिर्फ घर पहुंचना है. रायसेन जिले में दीवानगंज हाईवे पर कुछ लोग खाने की व्यवस्था में जुटे हैं. कुछ देर की राहत के बाद ये लोग वापस अपने-अपने घरों की ओर निकल पड़ते हैं.

महाराष्ट्र से सैकड़ों किलोमीटर ऑटो से रायसेन पहुंच रहे मजदूर

जिले के विदिशा भोपाल हाईवे पर 15 मिनट खड़े हो जाइए. 25 से ज्यादा ऑटो रिक्शा आपके सामने से गुजर जाएंगे. मुंबई, वसई, पुणे, नवी मुंबई, ठाणे, विरार के एक लाख से ज्यादा रिक्शा चालक 200 सीसी की क्षमता वाले छोटे से ऑटो पर 1600 से 2000 किलोमीटर के सफर पर निकल चुके हैं. हर ऑटो में कम से कम चार सवारी हैं. तीन दिन पहले इस तीन पहिया वाहन पर शुरू हुई इनकी जिंदगी अभी अगले तीन दिन तक ऑटो रिक्शा पर ही गुजारनी है. दो महीने तक लॉकडाउन खुलने का इंतजार करने के बाद संयम टूट गया. जब भूखे मरने की नौबत आ गई तो यह रिक्शा चालक परिवार लेकर अपने गांव के लिए निकल पड़े. इन ऑटो वालों में से ज्यादातर यूपी, झारखंड, बिहार के गांवों के हैं

यूपी जौनपुर के राजेश पांडे बताते हैं कि दो छोटे बच्चे, बूढ़ी मां और पत्नी के साथ नवी मुंबई से 1700 किलोमीटर का सफर है 2-3 दिन और लगेंगे. सीएनजी तो मिलती नहीं है. 7 से 10 हजार रुपए का पेट्रोल खर्चा लग जाएगा. वैसे तो 1 दिन में 3-4 सौ किलोमीटर का सफर कर लेते हैं लेकिन गर्मी से ऑटो खराब हो रहे, ज्यादा चल नहीं पा रहे हैं. बच्चे और बूढ़ों की लू से तबीयत खराब हो रही है. रास्तों में लोगों ने जो खिला दिया, खा लिया. जहां जगह मिल जाती है हम लोग छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर रात बिता लेते हैं. महाराष्ट्र से यहां तक खान-पान की सबसे ज्यादा सेवा करने वाले लोग एमपी में खासकर भोपाल रायसेन के आसपास ही मिले. वहीं जौनपुर जिले के प्रेम नाथ यादव बताते हैं सिर्फ ऑटो ही नहीं है जिसको जो साधन मिला है बाइक, साइकिल, पैदल, ठेला अपने गांव के लिए निकल पड़े हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.