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रायसेन जिले में भी 'हमारा घर हमारा विद्यालय' अभियान की शुरूआत - 'humara ghar humara vidhyalay' campaign

प्रदेशभर में सरकार द्वारा 'हमारा घर हमारा विद्यालय' अभियान की शुरूआत हो गई है. इसी के चलते रायसेन जिले के सिलवानी में भी लोगों ने अपने घरों में इसकी शुरूआत कर दी है और इसे लेकर बच्चे भी उत्साहित है.

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Published : Jul 6, 2020, 3:38 PM IST

रायसेन। आज से मध्यप्रदेश के समस्त स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो गई है, लेकिन इस साल कोरोना के चलते बच्चों के पढ़ने का तरीका बदल गया है. जिसके तहत सिलवानी ब्लॉक के समस्त स्कूलों में शासन के निर्देशानुसार 'हमारा घर हमारा विद्यालय' की शुरूआत की गई. शासकीय प्राथमिक शाला ककरुआ ब्लॉक सिलवानी के शिक्षक हेमराज प्रजापति द्वारा थाली बजाकर बच्चों को बुलाया गया.

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हमारा घर हमारा विद्यालय

इसी क्रम में प्रतिदिन बच्चे अपने पड़ोस में रहने वाले बच्चों के साथ थाली बजाकर सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए पढ़ाई करेंगे. उनके मार्गदर्शक में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. वह मोबाइल के माध्यम से बच्चों को प्रतिदिन पढ़ाई सामग्री व्हाट्सएप के द्वारा भेजी जाएगी, जिससे बच्चे घर पर रहकर पढ़ाई कर सकेंगे.

बच्चों के माता-पिता की जिम्मेदारी होगी कि वह बच्चों को ऐसा माहौल बना कर दें जिससे कि घर ही उनको विद्यालय लगने लगे. इसके तहत घरवालों द्वारा सुबह 10:00 बजे घंटी बजाई जाएगी, 1:00 बजे लंच की छुट्टी भी घंटी बजाकर की जाएगी, शाम को पालकों द्वारा बच्चों को कहानी सुनाई जाएगी और कहानी पर बच्चों की उनके पालकों द्वारा प्रतिक्रिया ली जाएगी.

इस कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए शासन द्वारा विभिन्न प्रकार के नए प्रयोग किए जा रहे हैं. आज करीब 3 माह बाद जब स्कूल खुले तब बच्चे काफी उत्साहित नजर आए और उनको घर में ही स्कूल जैसा माहौल लगने लगा है.

रायसेन। आज से मध्यप्रदेश के समस्त स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो गई है, लेकिन इस साल कोरोना के चलते बच्चों के पढ़ने का तरीका बदल गया है. जिसके तहत सिलवानी ब्लॉक के समस्त स्कूलों में शासन के निर्देशानुसार 'हमारा घर हमारा विद्यालय' की शुरूआत की गई. शासकीय प्राथमिक शाला ककरुआ ब्लॉक सिलवानी के शिक्षक हेमराज प्रजापति द्वारा थाली बजाकर बच्चों को बुलाया गया.

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हमारा घर हमारा विद्यालय

इसी क्रम में प्रतिदिन बच्चे अपने पड़ोस में रहने वाले बच्चों के साथ थाली बजाकर सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए पढ़ाई करेंगे. उनके मार्गदर्शक में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. वह मोबाइल के माध्यम से बच्चों को प्रतिदिन पढ़ाई सामग्री व्हाट्सएप के द्वारा भेजी जाएगी, जिससे बच्चे घर पर रहकर पढ़ाई कर सकेंगे.

बच्चों के माता-पिता की जिम्मेदारी होगी कि वह बच्चों को ऐसा माहौल बना कर दें जिससे कि घर ही उनको विद्यालय लगने लगे. इसके तहत घरवालों द्वारा सुबह 10:00 बजे घंटी बजाई जाएगी, 1:00 बजे लंच की छुट्टी भी घंटी बजाकर की जाएगी, शाम को पालकों द्वारा बच्चों को कहानी सुनाई जाएगी और कहानी पर बच्चों की उनके पालकों द्वारा प्रतिक्रिया ली जाएगी.

इस कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए शासन द्वारा विभिन्न प्रकार के नए प्रयोग किए जा रहे हैं. आज करीब 3 माह बाद जब स्कूल खुले तब बच्चे काफी उत्साहित नजर आए और उनको घर में ही स्कूल जैसा माहौल लगने लगा है.

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