रायसेन। जिले के सलामतपुर में बौद्ध स्मारक के पास स्थित सतधारा में वन मंत्री डॉ कुंवर विजय शाह ने फीता काटकर सतधारा ईको जंगल कैम्प का शुभारंभ किया है. वन मंत्री डॉ शाह ने कहा कि प्रदेश में ईको-पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. ईको जंगल कैम्प के माध्यम से पर्यटक प्रकृति से जुड़ सकेंगे. साथ ही स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे.
वन मंत्री डॉ शाह ने कहा कि ईको जंगल कैम्प में पर्यटकों के लिए रहने, एडवेंडचर्स सहित सभी आवश्यक व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई गई हैं. यहां आकर बच्चों, नागरिकों को जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण को जानने और समझने का मौका मिलेगा. इससे वनों के संरक्षण के प्रयासों में भी सहायता मिलेगी. उन्होंने बताया कि ईको जंगल कैम्प में ओपन जिम, वाच टावर, पैगोडा, कॉमन डायनिंग एरिया, कैंपिंग चबूतरा आदि का निर्माण कराया गया है. सतधारा में ईको जंगल कैम्प का शुभारंभ करने के पश्चात वन मंत्री डॉ शाह ने बैलगाड़ी में बैठने, रस्सी पर चलने, तीरंदाजी, गेड़ी, बॉस्केटबाल और क्रिकेट का आनंद लिया.
उन्होंने कैम्प स्थल पर मिट्टी से दीये, कलाकृतियां बनाने वाले कलाकारों को 1100-1100 रूपए देने की घोषणा की. इस अवसर पर वन मंत्री डॉ शाह, प्रमुख सचिव वन विभाग अशोक बर्णवाल, प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला, कलेक्टर उमाशंकर भार्गव, एसपी मोनिका शुक्ला और डीएफओ राजेश खरे ने भी पौधरोपण भी किया. सतधारा स्तूप क्षेत्र में डेढ़ किलोमीटर दूर हलाली नदी बेसिन से 600 मीटर दाएं किनारे मिश्रित वनों से घिरे पहाड़ी पर ईको पर्यटन विकास बोर्ड द्वारा 56 लाख रूपए की लागत से ईको जंगल कैम्प का निर्माण कराया गया है. यहां तीन हेक्टेयर क्षेत्र को चैनलिंक जाली से फैंस कर पर्यटकों को प्राकृतिक वातावरण में रहने के उद्देश्य से केंपिंग प्लेटफार्म का निर्माण किया गया है. जिसमें पोर्टबल टेंट लगाकर पर्यटक रह सकते हैं और प्रकृति का आनंद ले सकेंगे.
सलामतपुर के पास सहत्रधारा हलाली नदी के दाएं किनारे पहाड़ी पर स्थित बौद्ध स्मारक सताधारा की खोज ए कन्धिम ने की थी. मौर्य सम्राट अशोक (268-232 ईसा पूर्व) ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए स्तूप का निर्माण कराया था. इस स्थल पर छोटे-बड़े कुल 27 स्तूप, दो बौद्ध बिहार तथा एक चैत्य है. वर्ष 1989 में इस स्मारक को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया.