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पन्ना: व्रत रखकर महिलाओं ने की आंवला पेड़ की पूजा, आयुर्वेद के नौ रत्नों में शामिल है ये पेड़

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Published : Nov 24, 2020, 2:51 AM IST

आंवला नवमी जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है. यही कारण है कि महिलाएं सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए आज के दिन व्रत रखती हैं इसी के चलते महिलाओं ने आंवला के पेड़ के नीचे पहुंचकर पूजा अर्चना की और आयुर्वेद के नौ रत्नों में शामिल आंवला से परिवार को निरोग रखने की कामना की.

Amla tree worship
आंवला पेड़ की पूजा

पन्ना। शहर में सोमवार को आंवला नवमी की धूम देखने को मिली. इस अवसर पर महिलाओं द्वारा घरों से भोजन बनाकर आंवला वृक्षों के पास पहुंची और वृक्षों की पूजा अर्चना की. इसके बाद परिवार के साथ पेड़ की छांव में बैठकर भोजन किया. आंवला नवमी के चलते नगर के चोपड़ा मंदिर और श्रीराम जानकी मंदिर सहित विभिन्न जगों पर सैकड़ों की संख्या में महिलाएं पहुंची.

संतान प्राप्ति के लिए व्रत

वैसे तो पन्ना के हर त्योहारा में एक अलग ही धूम देखने को मिलती है और पन्ना में ऐतिहासिक मंदिरों के साथ अनोखी मान्यताएं भी प्रचलित है. कहते है कि आंवला नवमी जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है. यही कारण है कि महिलाएं सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए आज के दिन व्रत रखती हैं इसी के चलते महिलाओं ने आंवला के पेड़ के नीचे पहुंचकर पूजा अर्चना की और आयुर्वेद के नौ रत्नों में शामिल आंवला से परिवार को निरोग रखने की कामना की.

अक्षय नवमी या आंवला नवमी

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है. इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है. इस दिन महिलाएं परिवार की सुख और शांति के लिए आंवला वृक्ष की परिक्रमा लगाकर पूजा करती हैं. आंवला वृक्ष के नीचे पकवानों का भोग लगाया जाता है और उन्हीं पकवानों से अपना व्रत खुलती हैं. आंवला नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक अक्षय नवमी को कहा जाता है. अक्षय नवमी के दिन किए गए दान या किसी धर्मार्थ कार्य का लाभ व्यक्ति को वर्तमान और अगले जन्म में भी प्राप्त होता है.

पन्ना। शहर में सोमवार को आंवला नवमी की धूम देखने को मिली. इस अवसर पर महिलाओं द्वारा घरों से भोजन बनाकर आंवला वृक्षों के पास पहुंची और वृक्षों की पूजा अर्चना की. इसके बाद परिवार के साथ पेड़ की छांव में बैठकर भोजन किया. आंवला नवमी के चलते नगर के चोपड़ा मंदिर और श्रीराम जानकी मंदिर सहित विभिन्न जगों पर सैकड़ों की संख्या में महिलाएं पहुंची.

संतान प्राप्ति के लिए व्रत

वैसे तो पन्ना के हर त्योहारा में एक अलग ही धूम देखने को मिलती है और पन्ना में ऐतिहासिक मंदिरों के साथ अनोखी मान्यताएं भी प्रचलित है. कहते है कि आंवला नवमी जिसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा शुभ मानी जाती है. यही कारण है कि महिलाएं सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए आज के दिन व्रत रखती हैं इसी के चलते महिलाओं ने आंवला के पेड़ के नीचे पहुंचकर पूजा अर्चना की और आयुर्वेद के नौ रत्नों में शामिल आंवला से परिवार को निरोग रखने की कामना की.

अक्षय नवमी या आंवला नवमी

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी के रूप में मनाया जाता है. इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है. इस दिन महिलाएं परिवार की सुख और शांति के लिए आंवला वृक्ष की परिक्रमा लगाकर पूजा करती हैं. आंवला वृक्ष के नीचे पकवानों का भोग लगाया जाता है और उन्हीं पकवानों से अपना व्रत खुलती हैं. आंवला नवमी के दिन आंवला वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है. हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक अक्षय नवमी को कहा जाता है. अक्षय नवमी के दिन किए गए दान या किसी धर्मार्थ कार्य का लाभ व्यक्ति को वर्तमान और अगले जन्म में भी प्राप्त होता है.

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