पन्ना। मंदिरों की नगरी पन्ना में रंगों के पर्व होली को बड़े ही अनोखे अंदाज में मनाया जाता है. ब्रज और वृंदावन की तरह पन्ना में भी कृष्ण भक्ति परंपरा के विशेष त्योहार होली को धूमधाम से मनाने की परंपरा है, जिसका निर्वहन आज भी उसी तरह किया जाता है. किलकिला नदी के निकट एक और राधिका रानी का मंदिर है, जिसे बरसाना कहते हैं.
दूसरी ओर कुछ दूरी पर अब कृष्ण और कृष्ण लीला को केंद्र में रखकर एक ब्रह्म चबूतरे की स्थापना की गई है, जहां श्री प्राणनाथजी कृष्ण की समक्ष शक्तियों के साथ पूर्ण ब्रह्म परमात्मा के रूप में विराजमान हैं.
इस क्षेत्र को ब्रजभूमि और परमधाम कहते हैं, यहां ब्रज वृंदावन और बरसाने की तरह पारंपरिक होली मनाई जाती है. पुरी धाम में रंगों से नहीं बल्कि गुलाब की पंखुड़ियों और केसु नामक फूल से होली खेली जाती है.
होलिका की स्थापना के साथ पन्ना धाम के मंदिरों में होली उत्सव की तैयारी शुरू हो जाती है. होलिका स्थापना को मोहन होली पर्व के रूप में मनाया जाता है, होली के दिन गुंबद जी और बंगला जी में होली गीतों का सुमधुर गायन होता है और दूरदराज से आने वाले यहां फूलों से होली खेलते हैं.