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पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन ने दिया तीन शावकों को जन्म - एमपी खबर

पन्ना टाइगर रिजर्व में लगभग साढ़े तीन साल की बाघिन ने कोर क्षेत्र से बाहर अकोला बफर में तीन शावकों को जन्म दिया है. इन नन्हें मेहमानों के आने से पन्ना टाइगर रिजर्व में खुशी का माहौल है.

All three cubs are perfectly healthy.
मेहमानों का स्वागत है
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Published : Feb 26, 2021, 8:35 PM IST

पन्ना। टाइगर रिजर्व में बाघिन पी-234 (23) ने तीन नन्हे शावकों को जन्म दिया है. ये शावक दो से तीन माह के हो चुके हैं और अपनी मां के साथ चहल कदमी भी करने लगे हैं. शावको की मां का जन्म भी पन्ना टाइगर रिजर्व में हुआ हैं और वो भी यहीं पली बढ़ी हैं. लगभग साढ़े तीन साल की इस बाघिन ने कोर क्षेत्र से बाहर अकोला बफर को अपना नया ठिकाना बनाया है. इन नन्हें मेहमानों के आने से पन्ना टाइगर रिजर्व में जहां खुशी का माहौल है, वहीं अकोला बफर क्षेत्र का आकर्षण और बढ़ गया है.

तीनों शावक बिल्कुल स्वस्थ

बतादें कि पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से लगे अकोला बफर को दो-तीन सालों से सुरक्षित और संरक्षित कर बाघों के अनुकूल विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है. जिसके परिणाम सामने आने लगे हैं. कोर से लगे बफर के इस जंगल में अब कई बाघ विचरण करते हैं साथ ही यहां ब्रीडिंग भी होने लगी है.

टाइगर रिजर्व में आए नए मेहमान

पन्ना टाइगर रिजर्व में मिला विश्व का सबसे तेज उड़ने वाला पक्षी पेरीग्राइन फलकन

कामयाबी से पार्क प्रबंधन अत्यधिक उत्साहित है और अकोला बफर की ही तर्ज पर अन्य क्षेत्रों को भी विकसित करने की योजना बना रहा है. ताकि कोर क्षेत्र में बाघों की बढ़ती आबादी को बफर के जंगल में अनुकूल माहौल के साथ ठिकाना मिल सके. हाल ही में जन्में तीनों शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं.

पन्ना। टाइगर रिजर्व में बाघिन पी-234 (23) ने तीन नन्हे शावकों को जन्म दिया है. ये शावक दो से तीन माह के हो चुके हैं और अपनी मां के साथ चहल कदमी भी करने लगे हैं. शावको की मां का जन्म भी पन्ना टाइगर रिजर्व में हुआ हैं और वो भी यहीं पली बढ़ी हैं. लगभग साढ़े तीन साल की इस बाघिन ने कोर क्षेत्र से बाहर अकोला बफर को अपना नया ठिकाना बनाया है. इन नन्हें मेहमानों के आने से पन्ना टाइगर रिजर्व में जहां खुशी का माहौल है, वहीं अकोला बफर क्षेत्र का आकर्षण और बढ़ गया है.

तीनों शावक बिल्कुल स्वस्थ

बतादें कि पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र से लगे अकोला बफर को दो-तीन सालों से सुरक्षित और संरक्षित कर बाघों के अनुकूल विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है. जिसके परिणाम सामने आने लगे हैं. कोर से लगे बफर के इस जंगल में अब कई बाघ विचरण करते हैं साथ ही यहां ब्रीडिंग भी होने लगी है.

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कामयाबी से पार्क प्रबंधन अत्यधिक उत्साहित है और अकोला बफर की ही तर्ज पर अन्य क्षेत्रों को भी विकसित करने की योजना बना रहा है. ताकि कोर क्षेत्र में बाघों की बढ़ती आबादी को बफर के जंगल में अनुकूल माहौल के साथ ठिकाना मिल सके. हाल ही में जन्में तीनों शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं.

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