पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व के गहरीघाट रेंज अंतर्गत एक बाघिन की अज्ञात कारणों से मौत हो गई. मृत बाघिन पी-213 (32) चार नन्हें शावकों की मां थी. मृतका के बाएं पैर में कुछ दिनों से सूजन थी. इस कारण वह चलने-फिरने में भी असमर्थ हो चुकी थी. बताया जा रहा है कि पार्क के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव गुप्ता द्वारा दो दिन तक बाघिन का इलाज किया गया, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका.
इस घटना के बाद पार्क प्रबंधन अन्य बाघों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट हो गया हैं. बाघिन की मौत संक्रमण (बीमारी) से हुई या फिर कोई और कारण हैं, इसका पता लगाने के लिए शव का पोस्टमार्टम कराया गया. वहीं बिसरा और अवयव के जांच के लिए सैम्पल सागर, जबलपुर और उत्तर प्रदेश की लैब में भेजे जा रहे हैं. साथ ही मृत बाघिन का कोरोना टेस्ट कराने के लिए उसका स्वाब सैंपल लिया गया हैं.
जंगल में ही दाह संस्कार किया गया
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक डॉ. उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि कोनी बीट के कोनी नाला में बाघिन पी-213 (32) मृत अवस्था में पाई गई. उसके बाएं पैर में सूजन होने की जानकारी 12 मई को मिली थी. इसे गंभीरता से लेते हुए वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता ने लगातार दो दिनों तक उसका इलाज किया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. हालांकि, पोस्टमार्टम के बाद बाघिन के शव का जंगल में ही दाह संस्कार किया गया.
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बाघिन पी-213 (32) ने करीब छह माह पूर्व चार शावकों को जन्म दिया था. बाघिन की असमय मौत के बाद नन्हें शावकों की जान बचाने के लिए उनकी खोजबीन की जा रही हैं.
गौरतलब है कि, रेडियो कॉलर्ड बाघ-बाघिन की प्रत्यक्ष निगरानी के लिए उनके पीछे चार पहिया वाहन में टाइगर ट्रेकिंग टीम 24 घंटे दौड़ती रहती हैं. चूंकि मृत बाघिन पी-213 (32) रेडियो कॉलर्ड थी. इसलिए उसके नन्हें शावकों का अब तक पता नहीं चल सका हैं. इस वजह से टीम के काम करने के तरीकों पर सवाल उठना लाजमी हैं.