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पन्ना टाइगर रिजर्व की कहानी: आतंक खत्म, आनंद शुरु

एक समय जिन गांवों में ठोकिया, बलखडिया डकैतों का आतंक था. वहां अब पर्यटक बेखौफ होम स्टे और नाइट सफारी का आनंद ले रहे हैं.

terror ends tourism starts
आतंक खत्म, आनंद शुरु
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Published : Mar 16, 2021, 7:53 PM IST

Updated : Mar 16, 2021, 10:43 PM IST

पन्ना। टाइगर रिजर्व और केन नदी के जिन इलाकों में 14 साल पहले तक ठोकिया, बलखडिया जैसे डकैतों का आतंक था. वहां अब पर्यटक बगैर किसी डर के नाइट सफारी कर रहे हैं. इन गांवों में अब होम स्टे, होटल और रिसॉर्ट बन गये हैं. अब पर्यटक नाइट सफारी का मजा ले रहे हैं. साथ ही बाघों का भी दीदार कर रहे हैं.

पन्ना टाइगर रिजर्व की कहानी
  • आतंक खत्म, आनंद शुरु

2007 तक यहां के गांव पर छह लाख के इनामी डकैत ठोकिया के गिरोह का कब्जा था. डकैतों के खौफ से टाइगर रिजर्व के कर्मचारी पेट्रोलिंग तक नहीं कर पाते थे. नतीजा ये हुआ कि यहां के बाघ शिकारियों की भेंट चढ़ गए. एक समय ऐसा भी आया जब इस क्षेत्र को बाघ विहीन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था. इसके बाद जब डकैतों का खात्मा हुआ, तो 2009 में यहां फिर से बाघ लाए गए. इस समय यहां 60 से भी ज्यादा बाघ हो गए हैं. ये बाघ पर्यटकों को आसानी से दिखाई दे जाते हैं. इसलिए देश भर से लोग यहां नाइट सफारी के लिए आ रहे हैं. इससे पर्यटन उद्योग फल-फूल रहा है.

कटनी-पन्ना मार्ग पर बाघ की दहशत, वीडियो वायरल

  • फल-फूल रहा है पन्ना टाइगर रिजर्व

झिन्ना गांव में ठोकिया की दहशत सिर चढ़कर बोलती थी. वी पन्ना टाइगर रिजर्व में बफर जोन नाइट सफारी का एंट्री गेट है. नेशनल हाइवे पर स्टेट मडला गांव में पन्ना टाइगर रिजर्व के पर्यटक जोन का एंट्री गेट है. मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के होटल के साथ एक दर्जन होटल और रिसॉर्ट हैं. मडला में कई लोगों ने अपने घर में होम स्टे के लिए रूम तैयार कर लिए हैं. इसके अलावा टोरिया, टपरियन, राजगढ़, झिन्ना और बगौहा के जंगल में भी होटल और रिसॉर्ट बन गए हैं. जिस वजह से अब बेखौफ होकर पर्यटक पन्ना टाइगर रिजर्व की सैर के लिए आ रहे हैं.

पन्ना। टाइगर रिजर्व और केन नदी के जिन इलाकों में 14 साल पहले तक ठोकिया, बलखडिया जैसे डकैतों का आतंक था. वहां अब पर्यटक बगैर किसी डर के नाइट सफारी कर रहे हैं. इन गांवों में अब होम स्टे, होटल और रिसॉर्ट बन गये हैं. अब पर्यटक नाइट सफारी का मजा ले रहे हैं. साथ ही बाघों का भी दीदार कर रहे हैं.

पन्ना टाइगर रिजर्व की कहानी
  • आतंक खत्म, आनंद शुरु

2007 तक यहां के गांव पर छह लाख के इनामी डकैत ठोकिया के गिरोह का कब्जा था. डकैतों के खौफ से टाइगर रिजर्व के कर्मचारी पेट्रोलिंग तक नहीं कर पाते थे. नतीजा ये हुआ कि यहां के बाघ शिकारियों की भेंट चढ़ गए. एक समय ऐसा भी आया जब इस क्षेत्र को बाघ विहीन क्षेत्र घोषित कर दिया गया था. इसके बाद जब डकैतों का खात्मा हुआ, तो 2009 में यहां फिर से बाघ लाए गए. इस समय यहां 60 से भी ज्यादा बाघ हो गए हैं. ये बाघ पर्यटकों को आसानी से दिखाई दे जाते हैं. इसलिए देश भर से लोग यहां नाइट सफारी के लिए आ रहे हैं. इससे पर्यटन उद्योग फल-फूल रहा है.

कटनी-पन्ना मार्ग पर बाघ की दहशत, वीडियो वायरल

  • फल-फूल रहा है पन्ना टाइगर रिजर्व

झिन्ना गांव में ठोकिया की दहशत सिर चढ़कर बोलती थी. वी पन्ना टाइगर रिजर्व में बफर जोन नाइट सफारी का एंट्री गेट है. नेशनल हाइवे पर स्टेट मडला गांव में पन्ना टाइगर रिजर्व के पर्यटक जोन का एंट्री गेट है. मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के होटल के साथ एक दर्जन होटल और रिसॉर्ट हैं. मडला में कई लोगों ने अपने घर में होम स्टे के लिए रूम तैयार कर लिए हैं. इसके अलावा टोरिया, टपरियन, राजगढ़, झिन्ना और बगौहा के जंगल में भी होटल और रिसॉर्ट बन गए हैं. जिस वजह से अब बेखौफ होकर पर्यटक पन्ना टाइगर रिजर्व की सैर के लिए आ रहे हैं.

Last Updated : Mar 16, 2021, 10:43 PM IST
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