पन्ना। हीरे की चमक और शेर की दहाड़ के लिए देश ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध पन्ना की बात करें तो पौराणिक काल से लेकर पन्ना का वर्तमान तक गौरवशाली इतिहास रहा है. कहा जाता है कि सतयुग में यहां राजा दक्ष ने यज्ञ किया था,जिसकी चहवेदी में गिरककर सती ने प्राणों की आहूति दी थी. जो अब गरम पानी के कुंड के रूप में परिवर्तित हो गया है, यह ऋषि मंडूप की तपोस्थली रहा है. पन्ना का प्राचीन नाम “परना” है. पन्ना नगर में किलकिला नदी प्रवाहित होती है. किलकिला नदी के तट पर श्री पदमा देवी का छोटा सा मठ है. जहां एक पुरानी बस्ती है, उसे पुराने पन्ना के नाम से जानते हैं. पन्ना में ही गुरु प्राणनाथ ने प्रणामी पंथ का शुभारंभ किया. प्राचीन काल में पन्ना चेदि राज में था और फिर यहां चंदेलों ने राज किया. 13 वीं शताब्दी से लेकर 17 वीं शताब्दी तक पन्ना में गौंड राजाओं का राज रहा, जो मुगलों से पराजित हो गए, लेकिन छत्रसाल ने जीतकर विक्रम संवत 1738 में पन्ना को अपने राज्य की राजधानी बनाया.
पन्ना एक परिचय: पन्ना जिला सागर संभाग का एक जिला है. पन्ना जिले के उत्तर में यूपी की सीमा, पूर्व में सतना, दक्षिण में कटनी, दक्षिण पश्चिम में दमोह और उत्तर पूर्व में छतरपुर जिला है. अंग्रेजों के खिलाफ हुए प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान यहां के राजा निरपाल सिंह थे, जिन्होंने अंग्रेजों की मदद की थी. इस कारण उन्हें महाराज की उपाधि से सम्मानित किया गया. देश की आजादी के समय पन्ना विंध्यप्रदेश का हिस्सा हुआ करता था. मध्यप्रदेश गठन के बाद पन्ना एक जिला बना और फिलहाल ये सागर संभाग का हिस्सा है.
पन्ना विधानसभा का चुनावी इतिहास: पन्ना विधानसभा के चुनावी इतिहास की बात करें तो यहां पर ज्यादातर कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला है. यहां के मतदाताओं ने भी विधानसभा को किसी एक दल या नेता की जागीर नहीं बनने दिया. हालांकि भाजपा की कुसुम मेहदेले ने यहां से चार बार चुनाव जीता है, लेकिन दो बार हार का सामना भी करना पड़ा है. मौजूदा स्थिति में यहां भाजपा का कब्जा है, लेकिन विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा का आपसी संघर्ष और वरिष्ठ नेता कुसुम सिंह मेहदेले की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ सकती है. पन्ना विधानसभा के पिछले तीन चुनावों के इतिहास पर नजर डालें तो
2008 विधानसभा चुनाव: 2008 विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में भले ही भाजपा की सरकार बनी थी, लेकिन पन्ना से भाजपा को कांटे के मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा था. महज 42 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकांत दुबे यह चुनाव जीत गए थे. भाजपा प्रत्याशी कुसुम सिंह मेहदेले के लिए जहां 22 हजार 541 मत हासिल हुए थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकांत दुबे ने 22 हजार 583 मत हासिल करते हुए 42 वोटों से कुसुम मेहदेले को हरा दिया था.
2013 विधानसभा चुनाव: विधानसभा चुनाव 2013 में भाजपा की कुसुम मेहदेले ने शानदार वापसी की थी. कुसुम मेहदेले ने कांग्रेस प्रत्याशी को करीब 28 हजार वोटों से हराया था. कुसुम मेहदेले के लिए जहां 54 हजार 778 वोट हासिल हुई थी. वहीं बहुजन समाज पार्टी के महेन्द्र पाल वर्मा कांग्रेस को पछाड़कर दूसरे नंबर थे. उनको 25 हजार 742 मत हासिल हुए थे.
2018 विधानसभा चुनाव: विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा ने कुसुम मेहदेले की जगह पर बृजेन्द्र प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया. बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने 68 हजार 359 मत हासिल किए थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी शिवजीत सिंह को 47 हजार 651 मतों के साथ 20 हजार से ज्यादा मतों से चुनाव हार गए थे.
पन्ना विधानसभा के जातीय समीकरण: पन्ना विधानसभा एक तरह से ब्राह्मण बाहुल्य सीट है. यहां के कुल मतदाताओं में सबसे ज्यादा करीब 80 हजार हजार ब्राह्मण मतदाता हैं. इसके अलावा लोधी और यादव समाज के मतदाता भी निर्णायक स्थिति में है. पन्ना में लोधी मतदाताओं की संख्या 45 हजार है और यादव मतदाता भी करीब 35 हजार की संख्या में है. यहां के पिछले चुनाव परिणामों पर गौर करें, तो ब्राह्मण मतदाताओं ने पन्ना में ज्यादातर चुनाव जीते हैं. हालांकि लोधी समाज की नेता कुसुम मेहदेले अपनी जातीय जनाधार और पार्टी जनाधार के आधार पर सबसे ज्यादा चुनाव जीतने में सफल रही है.
पन्ना विधानसभा के प्रमुख मुद्दे: पन्ना जिला मुख्यालय की विधानसभा पन्ना में प्रमुख मुद्दे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार है. मध्य प्रदेश मंत्रीमंडल में पन्ना जिले को लगभग हर बार मौका मिला है, लेकिन पन्ना शहर में मेडिकल काॅलेज की मांग, यूनिवर्सटी की मांग आज तक पूरी नहीं हो पायी है. इसके अलावा रेललाइन और उद्योग की मांग भी बहुत पुरानी है. पन्ना की हीरे और पत्थर की खदाने बंद पड़ी हुई है, इसलिए रोजगार का बड़ा संकट है. रोजगार के अभाव में लोग सूरत, दिल्ली और महानगरों में पलानय के लिए मजबूर है.
भाजपा-कांग्रेस के प्रमुख दावेदार: भाजपा के दावेदार पन्ना विधानसभा में फिलहाल भाजपा का कब्जा है, मध्यप्रदेश सरकार के खनिज संसाधन मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह यहां से विधायक हैं. इन्हें टिकट की दावेदारी में तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. पूर्व मंत्री और चार बार की विधायक कुसुम मेहदेले उम्रदराज होने के बावजूद दावा ठोक रही है और उनकी नाराजगी पार्टी के लिए भारी पड़ सकती है। पन्ना में जो सबसे बड़ी चर्चा है कि खजुराहो संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली इस विधानसभा से खजुराहो सांसद और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा चुनाव लड़ सकते हैं. इसके अलावा रामअवतार पाठक भी टिकट के प्रबल दावेदार है.
कांग्रेस के दावेदार: भाजपा की तरह कांग्रेस में भी आगामी चुनाव को लेकर जमकर दावेदारी देखने मिल रही है. कांग्रेस से श्रीकांत दीक्षित, श्रीकांत दुबे, ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह, दिव्यारानी सिंह, संजय पटेल, शिवजीत सिंह, शारदा पाठक, भरत मिलन पांडे प्रबल दावेदार है.